एयर इंडिया के पुनरुद्धार और आधुनिकीकरण को गति देने के उद्देश्य से टाटा संस और सिंगापुर एयरलाइंस ने 2024-25 के वित्त वर्ष में कुल 9,558 करोड़ रुपये का भारी-भरकम पूंजी निवेश किया है। यह निवेश टाटा द्वारा एयर इंडिया के अधिग्रहण के बाद शुरू किए गए पांच वर्षीय परिवर्तन योजना के तहत किया गया है, जिसका उद्देश्य इस पुरानी सरकारी एयरलाइन को एक आधुनिक, प्रतिस्पर्धी और मुनाफे वाली निजी कंपनी में बदलना है।
विस्तारा का एयर इंडिया में विलय: हिस्सेदारी के साथ निवेश भी बढ़ा
नवंबर, 2024 में टाटा और सिंगापुर एयरलाइंस के बीच संयुक्त उद्यम 'विस्तारा' का एयर इंडिया में विलय हो गया था, जिससे सिंगापुर एयरलाइंस को एयर इंडिया में 25.1 प्रतिशत हिस्सेदारी प्राप्त हुई। इसके बाद से सिंगापुर एयरलाइंस की भागीदारी केवल संचालन तक सीमित नहीं रही, बल्कि उसने कंपनी में वित्तीय रूप से भी बड़ी भागीदारी निभाई है।
पूंजीगत जरूरतों को पूरा करने के लिए किया गया निवेश
एयर इंडिया के प्रवक्ता ने जानकारी दी कि इस पूंजी निवेश का उद्देश्य कंपनी की पूंजीगत खर्च, कार्यशील पूंजी की जरूरत और विस्तार योजनाओं को समर्थन देना है। टाटा संस ने एयर इंडिया में इस वित्त वर्ष में कुल 3,224.82 करोड़ रुपये का निवेश किया, जबकि सिंगापुर एयरलाइंस ने 6,333.18 करोड़ रुपये लगाए, जिससे कुल मिलाकर निवेश राशि 9,558 करोड़ रुपये तक पहुंच गई।
मार्च में हुआ बड़ा तरजीही शेयर आवंटन
कारोबारी जानकारी मंच टॉफलर के मुताबिक, मार्च 2025 में टाटा संस ने अकेले 3,224.82 करोड़ रुपये निवेश किए। वहीं सिंगापुर एयरलाइंस ने मार्च में 1,080.68 करोड़ रुपये का निवेश किया। इन निवेशों के बदले तरजीही आवंटन के जरिए टाटा संस को 523 करोड़ से अधिक इक्विटी शेयर जारी किए गए, जबकि सिंगापुर एयरलाइंस को प्रति शेयर 6.1632 रुपये की कीमत पर 175 करोड़ से अधिक शेयर आवंटित हुए।
यह सभी शेयर चार रुपये के अंकित मूल्य पर, 2.1632 रुपये प्रति शेयर प्रीमियम के साथ जारी किए गए, और यह आवंटन 20 मार्च को पूरा हुआ।
साल की शुरुआत में ही हो चुका था प्रारंभिक निवेश
मार्च से पहले ही सिंगापुर एयरलाइंस ने वित्त वर्ष 2024-25 में एयर इंडिया में 5,252.5 करोड़ रुपये का निवेश किया था। यह स्पष्ट करता है कि कंपनी ने एयर इंडिया के भविष्य में विश्वास जताते हुए बड़ी धनराशि लगाई है।
एयर इंडिया के पुनरुद्धार की नई राह
जनवरी 2022 से टाटा समूह द्वारा संचालित एयर इंडिया ने जो परिवर्तन यात्रा शुरू की थी, उसमें यह निवेश एक बड़ा मील का पत्थर माना जा सकता है। एक ओर जहां यह पूंजीगत खर्च कंपनी को प्रतिस्पर्धी बनाने की दिशा में मदद करेगा, वहीं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सेवा गुणवत्ता सुधारने और बेड़े के आधुनिकीकरण जैसे लक्ष्य भी इससे पूरे किए जा सकेंगे।
भविष्य की उड़ान के लिए तैयार एयर इंडिया
टाटा संस और सिंगापुर एयरलाइंस का यह सामूहिक निवेश न केवल एयर इंडिया के लिए एक मजबूत वित्तीय सहारा है, बल्कि भारतीय विमानन क्षेत्र में निजी कंपनियों की बढ़ती भागीदारी का भी प्रतीक है। आने वाले वर्षों में एयर इंडिया की नई रणनीति, विस्तार योजनाएं और सेवा सुधार इसकी प्रतिस्पर्धात्मक स्थिति को मजबूती देंगे।