कोटा। पहलगाम आतंकी हमले के खिलाफ शुक्रवार को कोटा शहर पूर्णतः बंद रहा। बंद का आह्वान विश्व हिंदू परिषद ने किया था, जिसे भाजपा, कांग्रेस, व्यापारी संघों और स्थानीय नागरिकों ने भी सक्रिय समर्थन दिया। सांगोद, रामगंजमंडी, इटावा, कैथून, दीगोद, सुल्तानपुर और सिमलिया जैसे प्रमुख कस्बे भी पूरी तरह से बंद रहे।
हालांकि कुछ जगहों पर कहासुनी की घटनाएं सामने आईं, लेकिन कुल मिलाकर बंद शांतिपूर्ण रहा। पुलिस बल की भारी तैनाती की गई थी और बंद समर्थकों की 50 से अधिक टोलियों ने शहरभर में भ्रमण कर दुकानें बंद कराईं।
भामाशाह मंडी, मोटर मार्केट और सार्वजनिक परिवहन भी पूरी तरह से प्रभावित रहा। सड़कों पर सन्नाटा पसरा रहा और अधिकांश लोगों ने स्वेच्छा से अपने प्रतिष्ठान बंद रखे। सामान्यतः जहां बंद दोपहर बाद ढीला पड़ने लगता है, वहीं शुक्रवार को शाम तक भी बाजार बंद ही रहे।
सिंधी कॉलोनी में एक दुकानदार और बंद समर्थकों के बीच कहासुनी हो गई, लेकिन पुलिस की मध्यस्थता से मामला सुलझ गया। नयापुरा में चाय-नाश्ते के ठेले को लेकर भी हल्की झड़प की खबर मिली, जहां ठेले वाले का सामान फेंक दिया गया।
राजनीतिक समर्थन की बात करें तो भाजपा और कांग्रेस दोनों ही इस बंद के साथ खड़ी नजर आईं। विधायक संदीप शर्मा, भाजपा जिला अध्यक्ष राकेश जैन और कांग्रेस नेता प्रहलाद गुंजल सहित कई नेताओं ने बंद का नेतृत्व किया। विवेकानंद सर्किल पर मानव श्रृंखला बनाकर विरोध जताया गया।
व्यापार महासंघ, पेट्रोलियम डीलर एसोसिएशन और अन्य संस्थाओं ने बंद को व्यवस्थित और प्रभावी बनाने में सहयोग किया। पेट्रोल पंप दो घंटे बंद रहे, और न्यायालय में भी न्यायिक कार्य स्थगित कर दिया गया।
शिक्षा व्यवस्था पर भी बंद का असर देखने को मिला। निजी स्कूल, कॉलेज और कोचिंग संस्थान बंद रहे। परीक्षाओं को लेकर छात्रों को विशेष छूट दी गई, जबकि केवल आवश्यक सेवाओं जैसे मेडिकल स्टोर, दूध और सब्जी की दुकानें ही खुली थीं।
सड़कों पर प्रदर्शनकारियों ने रैलियां निकालीं और पाकिस्तान के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की। लोगों की भावनाएं स्पष्ट थीं—आतंकवाद के खिलाफ कड़ा संदेश और राष्ट्रीय एकता का प्रदर्शन।