इलाहाबाद हाई कोर्ट ने संभल की शाही जमा मस्जिद में सफेदी कराने की इजाजत दे दी है। कोर्ट के आदेश के अनुसार, मस्जिद के जिन हिस्सों में सफेदी की जरूरत है वहां पर ASI सफेदी कराएगी। कोर्ट ने एक सप्ताह में सफेदी कराने का आदेश दिया है। सफेदी का खर्च मस्जिद कमेटी उठाएगी। रमजान के मौके पर जामा मस्जिद की सफेदी और लाइटिंग की हाईकोर्ट ने अनुमति दी है।
संभल जामा मस्जिद की रंगाई-पुताई की मांग को लेकर दाखिल अर्जी पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में सोमवार को सुनवाई हुई थी। कोर्ट ने सुनवाई को 12 मार्च के लिए टाल दिया था। कोर्ट के आदेश के अनुपालन में एएसआई ने जांच रिपोर्ट दाखिल की थी। रिपोर्ट में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने कहा था कि मस्जिद में रंगाई-पुताई की जरूरत नहीं है। जांच के दौरान मस्जिद में गंदगी व कुछ जगहों पर झाड़ियां उगी पाई गईं हैं। इसके फोटोग्राफ भी एएसआई ने कोर्ट में दाखिल किए गए थे।
कोर्ट ने एएसआई को मस्जिद की सफाई व उगी हुईं झाड़ियों को साफ करने का निर्देश दिया था। वहीं मुस्लिम पक्ष ने एएसआई की जांच रिपोर्ट के खिलाफ आपत्ति दाखिल करने के लिए समय लिया था। हिंदू पक्ष ने भी एफिडेविट फाइल करने के लिए समय लिया था। कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद सुनवाई को 12 मार्च तक के लिए टाल दिया था। बुधवार को सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने एएसआई को मस्जिद की रंगाई पुताई और लाइटिंग कराने का आदेश दिया है।
संबद्ध पक्षों को सुनने के बाद न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने एएसआई (ASI) को मस्जिद की बाहरी दीवार की पुताई और लाइट लगाने का निर्देश दिया। इससे पूर्व, सोमवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एएसआई के वकील से स्पष्ट करने को कहा था कि मस्जिद की बाहरी दीवार की पुताई को लेकर उसके क्या पूर्वाग्रह हैं।
मस्जिद कमेटी के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता एसएफए नकवी ने कहा था कि आज की तिथि तक एएसआई के हलफनामे में यह साफ नहीं किया गया है कि एएसआई मस्जिद की बाहरी दीवार की पुताई और सजावटी लाइट लगाने से क्यों इनकार कर रहा है। नकवी ने बाहरी दीवार की कुछ रंगीन तस्वीरें भी पेश की थीं, जिससे पुताई की जरूरत का पता चलता है।
एएसआई से परमिशन मांगी गई थी
दरअसल, रमजान का महीना शुरू होने से पहले संभल की शाही जामा मस्जिद की सफाई, पेंटिंग और सजावट की मांग की गई थी। इसके लिए मस्जिद के प्रबंधन समिति ने ASI से परमिशन मांगी थी। वहीं, इसे लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट में भी याचिका दायर की गई थी, जिस पर फैसला आया है।
जामा मस्जिद कमेटी ने बताया था कि इस कार्य के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का हवाला दिया गया, जिसमें धर्मस्थलों की सफाई और सजावट पर कोई रोक नहीं लगाई गई है। जामा मस्जिद समिति ने पहले एएसआई को एक औपचारिक पत्र भेजकर मस्जिद की सफाई और सजावट के लिए मंजूरी का अनुरोध किया था। इसके बाद हाई कोर्ट में याचिका लगाई।
24 नवंबर को हुई हिंसा की घटना
जामा मस्जिद समिति के सदर (अध्यक्ष) जफर अली का कहना था कि सदियों से मस्जिद की सफाई और सजावट बिना किसी कानूनी अड़चन के की जाती रही है, लेकिन पिछले वर्ष 24 नवंबर को हुई हिंसा की घटना के बाद यह कदम उठाना जरूरी हो गया। उन्हें इस बात की चिंता थी कि बिना इजाजत के इस कार्य को करने से कोई विवाद उत्पन्न हो सकता है, इसलिए उन्होंने एएसआई से इसकी अनुमति मांगी।