पेरेंट्स की ये 5 गलतियां बच्चों को पढ़ाई से कर देती हैं दूर, साथी बच्चों से हो जाते हैं पीछे
By: Karishma Sat, 15 Mar 2025 4:17:14
गर आप महसूस कर रहे हैं कि आपके बच्चे का ध्यान पढ़ाई से हट गया है या वह लगातार पढ़ाई करने से बचने के लिए बहाने बना रहा है, तो इस बदलाव के पीछे सिर्फ बच्चे का दोष नहीं है। कई बार पेरेंट्स की कुछ छोटी-मोटी गलतियां भी इसके लिए जिम्मेदार हो सकती हैं। हालांकि, यह सुनकर कुछ पेरेंट्स को बुरा लग सकता है, लेकिन यह सच्चाई है। बच्चों को अच्छी परवरिश देना हर माता-पिता की प्राथमिकता होती है, लेकिन कभी-कभी इसी कोशिश के दौरान वे अनजाने में ऐसी गलतियां कर देते हैं, जो बच्चों को पढ़ाई से दूर कर देती हैं। इससे बच्चे न केवल किताबों से दूरी बनाने लगते हैं, बल्कि उनका मन भी पढ़ाई से भर जाता है। आइए जानते हैं कि पेरेंट्स की कौन सी गलतियां बच्चों को पढ़ाई से दूर कर देती हैं।
बच्चों को सुबह देर से नींद से जगाना
अगर बच्चे सुबह देर तक सोते हैं, तो उन्हें दिनभर के कामों को समय पर पूरा करने के लिए जल्दी-जल्दी करना पड़ता है, जिससे उनके अंदर तनाव और घबराहट पैदा होती है। इस जल्दीबाजी में बच्चे कई बार अपनी पढ़ाई में गलतियां कर बैठते हैं और उनका मूड भी खराब हो जाता है। ऐसे में बच्चे पढ़ाई के प्रति नकारात्मक दृष्टिकोण विकसित कर सकते हैं। बच्चों को सुबह समय पर जगाना, उन्हें आराम से तैयार होने का समय देना, और एक स्थिर दिनचर्या अपनाने की आदत डालना बहुत महत्वपूर्ण है। इससे न सिर्फ उनका पढ़ाई में मन लगेगा, बल्कि उनका मानसिक और शारीरिक विकास भी अच्छे तरीके से होगा। समय पर उठने से उनका आत्मविश्वास बढ़ेगा और वे अपने दिन को व्यवस्थित ढंग से शुरू कर पाएंगे।
बच्चों को भूखे पेट स्कूल भेजना
अगर बच्चों को सुबह खाली पेट स्कूल भेजा जाता है, तो उनका शरीर पूरी तरह से ऊर्जा से रहित होता है। इससे बच्चों का ध्यान पढ़ाई पर नहीं लग पाता और वे थका-थका महसूस करते हैं। जब पेट खाली होता है, तो शरीर में आवश्यक पोषक तत्वों की कमी हो जाती है, जो मानसिक और शारीरिक विकास के लिए आवश्यक होते हैं। इसके परिणामस्वरूप, बच्चे थकान महसूस करते हैं, उनका ध्यान बिखर जाता है और वे पढ़ाई में रुचि खोने लगते हैं। इसके अलावा, लंबे समय तक भूखे रहने से बच्चे मानसिक तनाव, कमजोरी और सेहत संबंधी समस्याओं का सामना कर सकते हैं। बच्चों को सुबह हल्का और पोषणयुक्त नाश्ता देने से उनकी ऊर्जा और एकाग्रता में सुधार होगा, जिससे वे पूरे दिन ताजगी और उत्साह के साथ पढ़ाई कर सकेंगे।
ज्यादा स्क्रीनटाइम
आजकल बच्चों के पास स्मार्टफोन और अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस होते हैं, और पेरेंट्स इन्हें बच्चों को व्यस्त रखने के लिए आसानी से दे देते हैं। हालांकि, ज्यादा स्क्रीनटाइम बच्चों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर डाल सकता है। अधिक समय तक स्क्रीन के सामने बैठने से उनकी आंखों में तनाव, सिरदर्द, और आंखों की समस्याएं हो सकती हैं। साथ ही, लगातार स्क्रीन देखने से बच्चों की नींद की गुणवत्ता भी प्रभावित हो सकती है, क्योंकि इससे उनका दिमाग शांत नहीं हो पाता और रात को नींद में रुकावट आती है। इसके अलावा, अधिक स्क्रीन समय बच्चों के शारीरिक गतिविधियों को घटा देता है, जिससे उनका मोटापा बढ़ सकता है और शारीरिक विकास पर असर पड़ता है। बच्चों को फोन देने के बजाय, पेरेंट्स को चाहिए कि वे उन्हें बाहर खेल-कूद के लिए प्रोत्साहित करें, या उन्हें किताबों, खेलों और रचनात्मक गतिविधियों में शामिल करें, जिससे उनका शारीरिक और मानसिक विकास बेहतर हो। इससे बच्चों का ध्यान और एकाग्रता बढ़ेगी और उनकी सेहत पर सकारात्मक असर पड़ेगा।
डांटकर स्कूल भेजना
सुबह के समय जब बच्चों की नींद पूरी नहीं होती, तो वे स्वाभाविक रूप से चिड़चिड़े और जिद्दी हो सकते हैं। ऐसे में, यदि बच्चे समय पर तैयार नहीं होते हैं, तो कई पेरेंट्स उन्हें डांटकर स्कूल भेज देते हैं। हालांकि, यह तरीका बच्चों के मानसिक विकास पर बुरा असर डाल सकता है। डांट से बच्चे घबराते हैं और उनका आत्मविश्वास कम हो सकता है। यह न सिर्फ उनके दिन की शुरुआत को नकारात्मक बनाता है, बल्कि उनका पढ़ाई से भी मन हट सकता है। बच्चे को प्यार और धैर्य के साथ उठाना और उसे स्कूल और पढ़ाई के महत्व को समझाना बेहद जरूरी है। सुबह के समय बच्चों को समझाने के बजाय अगर आप प्यार से उन्हें प्रेरित करेंगे तो उनका दिन बेहतर शुरू होगा। साथ ही, वे स्कूल जाने के लिए मानसिक रूप से तैयार होंगे और पढ़ाई में मन लगाएंगे। बच्चों को दयालुता से समझाने से उनका आत्मविश्वास भी बढ़ता है, और वे सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ पढ़ाई में लगे रहते हैं।
झगड़ा करने वाले पेरेंट्स
जब पेरेंट्स के बीच लगातार झगड़े होते हैं, तो उसका बच्चों पर गहरा असर पड़ता है, खासकर जब यह झगड़े सुबह के समय बच्चों के सामने होते हैं। बच्चे बहुत संवेदनशील होते हैं और वे अपने आसपास की हर बात को आत्मसात कर लेते हैं। यदि माता-पिता आपस में झगड़ते हैं तो बच्चों को यह भावनात्मक रूप से परेशान कर सकता है, जिससे उनका आत्मविश्वास कम होता है। इसके अलावा, वे मानसिक तनाव और चिंता का सामना करने लगते हैं।
यह मानसिक तनाव बच्चों की पढ़ाई में भी असर डालता है। जब बच्चों के मन में तनाव और चिंता होती है, तो उनका ध्यान किताबों से हटकर उन समस्याओं पर केंद्रित हो जाता है जो घर में चल रही होती हैं। ऐसे बच्चों का पढ़ाई में मन नहीं लगता और वे हर समय उदास और तनावग्रस्त महसूस करते हैं।
इसके अलावा, बच्चों में व्यवहारिक समस्याएं भी विकसित हो सकती हैं, जैसे कि चिड़चिड़ापन, गुस्सा आना, अकेलापन महसूस करना और दूसरों से दूर रहना। वे स्कूल में भी अपने दोस्तों से अच्छे रिश्ते बनाने में कठिनाई महसूस करते हैं।
पेरेंट्स को यह समझना चाहिए कि बच्चों के सामने हर छोटी बात को निपटाना और एक-दूसरे से झगड़ना उनके मानसिक विकास को प्रभावित कर सकता है। बच्चों को एक सुखमय वातावरण की आवश्यकता होती है, जिसमें प्यार, समझदारी और धैर्य हो, ताकि वे अपने भावनाओं और चिंताओं को व्यक्त कर सकें। यदि पेरेंट्स आपस में प्रेमपूर्ण व्यवहार रखते हैं और अपने झगड़ों को बच्चों से दूर रखते हैं, तो बच्चों को अधिक मानसिक शांति मिलती है और उनका पढ़ाई में भी मन लगता है।
इसलिए, माता-पिता को एक-दूसरे के साथ सहयोग और समझदारी से पेश आना चाहिए, ताकि बच्चों को एक स्वस्थ और सुखमय वातावरण मिल सके, जहां वे अपनी शिक्षा और विकास पर ध्यान केंद्रित कर सकें।