हिंदी सिनेमा के महानायक अमिताभ बच्चन सिर्फ अपनी बेहतरीन एक्टिंग ही नहीं, बल्कि अपनी गहरी और रौबदार आवाज़ के लिए भी दर्शकों के दिलों में खास जगह रखते हैं। उनकी आवाज़ इतनी दमदार है कि सुनते ही कोई मंत्रमुग्ध हो जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कभी उनकी इसी आवाज़ के कारण उन्हें रेडियो स्टेशन की नौकरी से मना कर दिया गया था?
आवाज़ सुनकर कहा गया था 'लोग भाग जाएंगे'
अमिताभ बच्चन जब बॉलीवुड में कदम नहीं रख पाए थे, तब वे मुंबई में नौकरी की तलाश में थे। एक बार उन्होंने रेडियो स्टेशन में नौकरी के लिए ऑडिशन दिया। उस समय रेडियो की प्रसिद्ध आवाज़ अमीन सयानी मौजूद थे। उन्होंने अमिताभ की आवाज़ सुनी और कहा, “तुम्हारी आवाज़ बहुत भारी है, लोग इसे सुनकर भाग जाएंगे।” ये बात सुनकर अमिताभ को बड़ा झटका लगा, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी।
आवाज़ की विशेषता और प्रभाव
अमिताभ बच्चन की आवाज़ गहरी, भारी और दमदार है, जो उनके संवादों को और प्रभावशाली बनाती है। उनकी आवाज़ ने उनकी ऑन-स्क्रीन परसनालिटी को और भी मजबूत बनाया। फिल्मों के अलावा उन्होंने कई विज्ञापन, नरेशन और टीवी शो में भी अपनी आवाज़ का कमाल दिखाया है। उनकी आवाज़ को सुनकर फैंस एक अलग ही जुड़ाव महसूस करते हैं।
नौकरी की तलाश में की कई जगहों पर कोशिश
फिल्मों से पहले अमिताभ बच्चन ने कई जगह काम किया। कोलकाता में कोयला फैक्ट्री में काम करने के बाद उन्होंने शॉ वैलेस कंपनी में क्लर्क की नौकरी की। इसके अलावा बर्ड एंड कंपनी और ICI जैसी कंपनियों में भी उनका कार्यकाल रहा। अंततः मुंबई आकर उन्होंने रेडियो स्टेशन में भी कोशिश की, लेकिन वहां उनकी आवाज़ के कारण रिजेक्शन मिला।
संघर्षों से भरा शुरुआती दौर
फिल्मी दुनिया में कदम रखने से पहले अमिताभ बच्चन ने कई नौकरियां कीं। कोलकाता में कोयला फैक्ट्री में काम करने के बाद वे शॉ वैलेस नामक शराब कंपनी में क्लर्क थे। इसके बाद उन्होंने शिपिंग फर्म ‘बर्ड एंड कंपनी’ और आईसीआई कंपनी में भी काम किया। हालांकि, उनका मन हमेशा एक्टिंग की ओर था।
फिल्मों में पदार्पण और धीरे-धीरे चमकता सितारा
अमिताभ बच्चन ने 1969 में फिल्म ‘सात हिन्दुस्तानी’ से अपना अभिनय जीवन शुरू किया। उस समय उन्हें ज्यादा सफलता नहीं मिली, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। इसी दौर में सुनील दत्त ने अमिताभ बच्चन को अपनी फिल्म रेशमा और शेरा में एक छोटी सी भूमिका दी। स्वयं आवाज के धनी रही सुनील दत्त को भी शायद अमिताभ बच्चन की आवाज पर भरोसा नहीं था, इसी के चलते उन्होंने रेशमा और शेरा में अमिताभ को गूंगे डाकू का किरदार दिया। इस फिल्म के बाद सुनील दत्त और अमिताभ बच्चन वर्षों बाद रमेश सिप्पी की फिल्म शान में एक साथ नजर आए जहाँ सुनील दत्त ने उनके बड़े भाई की भूमिका निभाई।
1971 में राजेश खन्ना की फिल्म ‘आनंद’ ने उन्हें दर्शकों में अपनी पहचान बनाने में सफलता दिलाई। बाबू मोशाय के रूप में उन्होंने जो छाप दर्शकों में छोड़ी वह अमिट रही। लेकिन असली सफलता 1973 की फिल्म ‘जंजीर’ से मिली, जिसमें उन्होंने ‘एंग्री यंग मैन’ का किरदार निभाया। यह किरदार उनकी छवि का आधार बना और उनकी प्रसिद्धि ने आसमान छू लिया।
प्रकाश मेहरा द्वारा निर्मित और निर्देशित जंजीर को लेकर एक प्रसिद्ध वाक्या है। इस फिल्म को लेकर प्रकाश मेहरा उस समय के सभी बड़े सितारों—राजकुमार, धर्मेन्द्र, देव आनन्द, मनोज कुमार, राजेश खन्ना आदि के पास गए लेकिन सभी ने इस फिल्म को ठुकरा दिया। ऐसे में सलीम जावेद ने उन्हें अमिताभ बच्चन का नाम सुझाया। अमिताभ लगातार असफलताओं से परेशान होकर मुम्बई छोड़कर इलाहाबाद लौटने वाले थे। प्रकाश मेहरा ने अमिताभ को कहानी सुनाई और अमिताभ ने फिल्म करना स्वीकार कर लिया। कहा तो यह भी जाता है कि उस समय की करीब-करीब सभी नामचीन अभिनेत्रियों ने अमिताभ बच्चन के साथ काम करने से मना कर दिया। ऐसे में जया भादुड़ी ने हाँ करी। फिल्म बनी, प्रदर्शित हुई और हिन्दी फिल्म उद्योग को एक ऐसी राह दे गई जिस पर आज तक फिल्म उद्योग चल रहा है।
यादगार फिल्में और शानदार करियर
अपने लंबे और सफल करियर में अमिताभ बच्चन ने कई हिट फिल्मों में काम किया, जिनमें ‘दीवार’, ‘शोले’, ‘शराबी’, ‘अमर अकबर एंथनी’, ‘डॉन’, ‘मुकद्दर का सिकंदर’, ‘नसीब’, ‘सुहाग’ ‘लावारिस’, ‘हेरा फेरी’, ‘त्रिशूल’, ‘मैं आजाद हूँ’, ‘कालिया’, ‘शहंशाह’, ‘आज का अर्जुन’, ‘मोहब्बते’, ‘कभी खुशी कभी गम’ जैसी फिल्में शामिल हैं। उनकी अदाकारी और आवाज़ ने उन्हें भारतीय सिनेमा के इतिहास में अमर बना दिया है।
व्यक्तिगत जीवन और समाज सेवा
अमिताभ बच्चन का निजी जीवन भी उतना ही दिलचस्प और प्रेरणादायक है। उन्होंने जया भादुड़ी से शादी की और उनके दो बच्चे—अभिषेक बच्चन और श्वेता बच्चन नंदा—हैं। अभिषेक बच्चन भी बॉलीवुड में एक सफल अभिनेता हैं। अमिताभ सामाजिक कार्यों में भी सक्रिय हैं और कई दान-पुण्य और जनहितकारी कार्यों से जुड़े हुए हैं।
सम्मान और पुरस्कार
अपने अभिनय और योगदान के लिए अमिताभ बच्चन को कई प्रतिष्ठित पुरस्कार मिले हैं। उन्हें तीन बार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार, कई फिल्मफेयर पुरस्कार, पद्मश्री (1984), पद्मभूषण (2001) और पद्मविभूषण (2015) से सम्मानित किया गया है। उनकी लोकप्रियता केवल भारत तक सीमित नहीं, बल्कि वे विश्व स्तर पर भारतीय सिनेमा के एक दिग्गज कलाकार माने जाते हैं।
अमिताभ बच्चन का सफर संघर्ष, समर्पण और कड़ी मेहनत की मिसाल है। जहां उनकी आवाज़ ने उन्हें शुरू में निराश किया, वहीं उन्होंने उसे अपनी ताकत बनाया। आज वे न सिर्फ बॉलीवुड के शहंशाह हैं बल्कि एक प्रेरणा स्रोत भी हैं, जो यह सिखाते हैं कि हार मानना नहीं है, बल्कि अपनी कमजोरियों को अपनी ताकत में बदलना चाहिए।