इन मशहूर स्टैच्यू के लिए दुनियाभर में जाना जाता हैं भारत, जरूर करें इनकी भव्यता का दीदार
By: Neha Wed, 28 Dec 2022 2:58:15
भारत देश को अपने धर्म, रीति-रिवाज, सांस्कृतिक विविधता, भौगोलिक विविधता व अनेकता में एकता जैसी विशेषताओं के लिए दुनियाभर में जाना जाता हैं। इसे देखने के लिए ही लोग विदेशों से यहां पहुंचते हैं। देश के पर्यटन स्थलों में से कुछ यहां की मशहूर मूर्तियां हैं जो अपनी भव्यता के लिए जाने जाते हैं। मूर्तियां किसी भी देश की अमूल्य ऐतिहासिक धरोहर होती हैं। ये मूर्तियां पर्यटन के रूप में देश की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में एक अहम रोल अदा करती हैं। आज इस कड़ी में हम आपको देश के कुछ मशहूर स्टैच्यू के बारे में बताने जा रहे हैं जहां हर साल काफी संख्या में लोग घूमने जाते हैं। इन स्टैच्यू की भव्यता के चलते ये दुनियाभर में प्रसिद्द हैं। आइये जानते हैं इन स्टैच्यू के बारे में...
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी, गुजरात
भारत के फेमस स्टैच्यू में से एक स्टैच्यू ऑफ यूनिटी है। यह स्टैच्यू भारत के प्रथम उप प्रधानमन्त्री तथा प्रथम गृहमन्त्री वल्लभभाई पटेल को समर्पित किया गया है। यह स्टैच्यू विश्व का सबसे बड़ा स्टैच्यू है। इसके निर्माण से पहले चीन में स्थित स्प्रिंग टेंपल बुद्धा को सबसे बड़ी मूर्ती कहा जाता था। भारत के इस स्टैच्यू को लगभग 33 महीनों में बनाकर तैयार किया गया था। आपको बतां दे कि इसकी ऊंचाई 522 फिट यानी 182 मीटर है और इसका कुल वजन 1700 टन है। यह स्टैच्यू सरदार सरोवर बांध से 3।2 किमी दूर साधू बेट नामक स्थान पर स्थित है। इस स्मारक का निर्माण 31 अक्टूबर 2013 को शुरू हुआ था जो की 2018 तक पूरा कर दिया गया था। 31 अक्टूबर 2018 को वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इस स्मारक का उद्घाटन किया गया। इस स्मारक को बनाने में कुल लागत 2,063 करोड़ रूपये आई।
वीर अभन्या हनुमान मूर्ती, आंध्र प्रदेश
आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा के पास परिताला शहर में स्थित, वीर अभन्या हनुमान स्वामी की मूर्ति दुनिया का सबसे ऊंचा हनुमान मंदिर है। 135 फीट की ऊँचाई पर खड़ा, प्रतिमा वर्ष 2003 में स्थापित की गई थी। प्रतिमा के आधार पर आप एक छोटे से हनुमान मंदिर को भी देख सकते हैं जिसे परिताल अंजनेय मंदिर कहा जाता है।
तिरुवल्लुवर स्टैच्यू, तमिलनाडु
भारत में स्थित तिरुवल्लुवर स्टैच्यू तमिल कवि और फिलॉसोफर वल्लुवर की एक 41 मीटर ऊंची अर्थात् 133 फीट ऊंची पत्थर की मूर्ति है। जिन्होंने तमिल क्लासिक संगम जिसे तिरुक्कुरल कहा जाता है, लिखा था। यह स्टैच्यू तमिलनाडु के कन्याकुमारी में एक छोटे से द्वीप पर स्थित है। यहां से आप बंगाल की खाड़ी और हिंद महासागर का संगम भी देख सकते हैं। जिस भारतीय मूर्तिकार ने इरावन मंदिर बनाया था उसी ने ही उसी ने ही इस स्टैच्यू का निर्माण किया है।
तथागत त्सल, सिक्किम
भगवान बुद्ध की 130 फीट ऊंची मूर्ति दक्षिण सिक्किम में रवंगला के पास बुद्ध पार्क में स्थित है। यह भारत में भगवान बुद्ध की सबसे ऊंची मूर्ती है। इस मूर्ति का निर्माण 2006 से 2013 तक चला था। यानि इसे बनाने में पूरे 6 साल लगे। इस मूर्ति का निर्माण सिक्किम सरकार और उसके लोगों के संयुक्त प्रयासों के माध्यम से हुआ था। यह स्टैच्यू तीर्थयात्रि और पर्यटन के लिए काफी शानदार है।
पद्मसंभव प्रतिमा, मंडी हिमाचल प्रदेश
पद्मसंभव का शाब्दिक अर्थ होता है कमल से पैदा हुआ। पद्मसंभव भारत के एक साधु पुरुष थे। जिन्होंने आठवीं सदी में बौद्ध धर्म को भूटान एवं तिब्बत में ले जाने एवं प्रसार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वहाँ उनको गुरू रिन्पोछे या लोपों रिन्पोछे के नाम से भी जाना जाता है। पद्मसंभव की प्रतिमा हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में प्रसिद्ध रेवालसर झील के पास स्थित एक विशालतम मूर्तियों में है। पद्मसंभव प्रतिमा की ऊंचाई 123 फीट है।
ध्यान बुद्ध प्रतिमा, आंध्र प्रदेश
आंध्र प्रदेश के अमरावती में भगवान बुद्ध की एक विशाल प्रतिमा है। भारत में सबसे ऊंची बुद्ध की मूर्तियों में से एक के रूप में जाना जाता है, 125 फीट की ऊँचाई के साथ, ध्यान बुद्ध की प्रतिमा 2003 में चालू की गई थी और 2015 में पूरी हो गई थी। यह प्राचीन नदी कृष्णा का सामना करती है और 4.5 एकड़ जमीन को हरा-भरा करती है।
मुरुदेश्वर भगवान, कर्नाटक
भगवान शिव की विशाल मूर्ति दक्षिण भारत के कर्नाटक राज्य में उत्तर कन्नड़ जिले के मुरुदेश्वर शहर में स्थित है। मुरुदेश्वर का नाम भगवान शिव के नाम पर पड़ा है।यह बहुत ही प्रसिद्ध मंदिर है। मुरुदेश्वर सागर तट कर्नाटक के सब से सुंदर तटों में से एक है। पर्यटकों के लिए यहाँ आना दोगुना लाभप्रद है। जहां एक ओर जहां इस धार्मिक स्थल के दर्शन होते हैं और वहीं दूसरी तरफ प्राकृतिक सुन्दरता का आनंद भी मिलता है। इस मंदिर व प्रतिमा की ऊंचाई 122 फुट है।
गुरु रिनपोचे, सिक्किम
यह विशाल प्रतिमा नामची में स्थित है और इसकी ऊंचाई 118 फीट है जो भारत का सबसे ऊँची मूर्तियों में से एक है। गुरु रिनपोछे का वास्तविक नाम पद्मसंभव था और उन्हें द्वितीय बुद्ध के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि उन्होंने 8 वीं शताब्दी में वज्रयान बौद्ध धर्म को भूटान, तिब्बत, और आसपास के क्षेत्र में प्रचारित किया था। उन्हें बुद्ध अमिता, शाक्यमुनि बुद्ध और कुआन यिन बोधिसत्व का भी कहाँ जाता है।
हनुमान मूर्ति, हिमाचल प्रदेश
भगवान हनुमान की 108 फीट ऊंची मूर्ति हिमाचल प्रदेश में शिमला के पास जाखू पहाड़ी पर स्थित है। इसे 2010 में बनाया गया था। हनुमान जी की इस मूर्ति के निर्माण में लगभग 1.9 करोड़ रूपए का खर्च आया था। यहां से पर्यटक सूर्योदय और सूर्यास्त के लुभावने दृश्यों का आनंद भी ले सकते हैं। विशालकाय हनुमान प्रतिमा, बर्फ से लदी चोटियों, पर्यटन स्थलों का भ्रमण और सुरम्य घाटियों के साथ शिमला एक प्रमुख पर्यटक आकर्षण स्थल हैं।