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पंगोट - पक्षी प्रेमियों के स्वर्ग के रूप में प्रसिद्ध है यह पर्यटन स्थल

पंगोट, एक पर्यटन स्थल है , जो नैनीताल शहर से 15 किमी की दूरी पर स्थित है।

Posts by : Priyanka Maheshwari | Updated on: Sat, 19 May 2018 11:47:56

पंगोट - पक्षी प्रेमियों के स्वर्ग के रूप में प्रसिद्ध है यह पर्यटन स्थल

पंगोट, एक पर्यटन स्थल है , जो नैनीताल शहर से 15 किमी की दूरी पर स्थित है। इस पर्यटन स्थल की ओर जाने वाली सड़क से गुज़रते हुए यात्री नैना पीक, स्नो-पीक और किलबरी का नज़ारा कर सकते हैं। यह पक्षी प्रेमियों के स्वर्ग के रूप में प्रसिद्ध है क्योंकि लगभग 150 पक्षी प्रजातियाँ यहाँ वास करती हैं। आमतौर पर यहाँ देखे जाने वाले पक्षियों में ग्रिफॉन, रयुफस बेली वुड-पैकर (कठफोड़वा), नीले पंख वाले मिनला, धब्बेदार और स्लेटी फोर्कटेल, लैमरगेयर्स, रयुफस बेली निलतावास और खलीज़ तीतर शामिल हैं। इस जगह का वातावरण अत्यधिक सुहाना है। पंगोट में आप ट्रैकिंग , कैम्पिंग , पैराग्लाइडिंग आदि अन्य चीज़ कर सकते है। पंगोट का मौसम ग्रीष्मकाल में (मार्च-जुलाई) तापमान 25 डिग्री सेल्सियस में सुबह / नॉन से रात 12 डिग्री सेल्सियस तक हो सकता है। विंटर्स में (दिसंबर-जनवरी) तापमान 18 डिग्री सेल्सियस से सुबह / दोपहर से रात 8 डिग्री सेल्सियस तक होता है। इस मौसम में आपको एक हलकी जैकेट और एक स्वेटर ले जाने की सिफारिश की जाती है। पंगोट में आप हमारे द्वारा निचे बताई जगह में घूम कर पंगोट की सौन्दर्यता और प्राकर्तिक मौसम का लुफ्त उठा सकते है।

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# ब्रह्मस्थली

यह जगह पंगोट से 8 km की दुरी पर स्थित है। आप चाहे तो कार , बाइक से 6 km की दुरी तय कर सकते है। उसके बाद आपको 2 km पैदल चलकर आप ब्रह्मस्थली पहुच सकते है। इस जगह का वातावरण अत्यधिक मनमोहक होता है। ब्रह्मस्थली जगह में पौराणिक कुटियाँ भी स्थित है जहाः आपको बाबा की कुटियाँ के दर्शन भी होंगे। इस जगह में आपको एक बाबा मिलेंगे जो की बहुत समय से उस स्थान में रह रहे है। बाबा को इस स्थान में रहकर भी बाहरी दुनिया के बारे में भी जानकारी होती है। ब्रह्मस्थाली पंगोट में घूमने लायक बहुत ही बेहतरीन जगह है।

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# मुक्तेश्वर

पंगोट से करीबन 66 किमी की दूरी पर स्थित मुक्तेश्वर उत्तराखण्ड के नैनीताल जिले में स्थित है। यह कुमाऊँ की पहाडियों में 2286 मीटर (7500फीट) की ऊँचाई पर स्थित है। यहाँ से नंदा देवी, त्रिशूल आदि हिमालय पर्वतों की चोटियाँ दिखती हैं। यहाँ एक पहाड़ी के ऊपर शिवजी का मन्दिर है जो की २३१५ मीटर की ऊँचाई पर स्तिथ है। यह मंदिर 'मुक्तेश्वर मंदिर' के नाम से प्रसिद्ध है। इस मंदिर तक पहुंचने के लिए लगभग 100 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। यहां भगवान शिव के साथ ब्रह्मा, विष्णु, पार्वती, हनुमान और नंदी जी भी विराजमान हैं। मंदिर के बाहर लंगूरों का जमावड़ा लगा रहता है। मुक्तेश्वर एक छोटा-सा हिल स्टेशन है इसलिए यहां रहने और खाने के ढेर सारे ऑप्शन तो नहीं मिलेंगे पर रहने-खाने की कोई परेशानी भी नहीं होती है। मुक्तेश्वर के आस-पास देखने के लिए ढेर सारी जगह हैं। यहां से अल्मोड़ा, बिन्सर और नैनीताल पास ही हैं। अगर चाहें तो मुक्तेश्वर जाते हुए या मुक्तेश्वर से वापिस आते हुए भीमताल पर बोटिंग का आनंद लिया जा सकता है। मौसम साफ हो तो मुक्तेश्वर में हिमालय की पर्वत चोटियों के पाछे से उगते सूरज का सुंदर नजारा देखा जा सकता है और नालकंठ, नंदादेवी और त्रिशूल आदि पर्वतश्रेणियां भी देखी जा सकती हैं। वैसे तो यहां साल में कभी भी जाया जा सकता है परंतु यहां जाने का उचित समय मार्च से जून और अक्टूबर से नवंबर तक है। अगर गर्मियों में यहां जाएं तो हल्के ऊनी कपड़े और सर्दियों में जाएं तो भारी ऊनी कपड़े साथ ले जाएं।

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# नैनीताल

नैनीताल भारत के उत्तराखण्ड राज्य का एक प्रमुख पर्यटन नगर है। यह नैनीताल जिले का मुख्यालय भी है। कुमाऊँ क्षेत्र में नैनीताल जिले का विशेष महत्व है। देश के प्रमुख क्षेत्रों में नैनीताल की गणना होती है। यह 'छखाता' परगने में आता है। 'छखाता' नाम 'षष्टिखात' से बना है। 'षष्टिखात' का तात्पर्य साठ तालों से है। इस अंचल में पहले साठ मनोरम ताल थे। इसीलिए इस क्षेत्र को 'षष्टिखात' कहा जाता था। आज इस अंचल को 'छखाता' नाम से अधिक जाना जाता है। आज भी नैनीताल जिले में सबसे अधिक ताल हैं। इसे भारत का लेक डिस्ट्रिक्ट कहा जाता है, क्योंकि यह पूरी जगह झीलों से घिरी हुई है। 'नैनी' शब्द का अर्थ है आँखें और 'ताल' का अर्थ है झील। झीलों का शहर नैनीताल उत्तराखंड का प्रसिद्ध पर्यटन स्‍थल है। बर्फ़ से ढ़के पहाड़ों के बीच बसा यह स्‍थान झीलों से घिरा हुआ है। इनमें से सबसे प्रमुख झील नैनी झील है जिसके नाम पर इस जगह का नाम नैनीताल पड़ा है। इसलिए इसे झीलों का शहर भी कहा जाता है। नैनीताल को जिधर से देखा जाए, यह बेहद ख़ूबसूरत है।

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# अल्मोड़ा

अल्मोड़ा भारतीय राज्य उत्तराखण्ड का एक महत्वपूर्ण नगर है। यह अल्मोड़ा जिले का मुख्यालय भी है। अल्मोड़ा दिल्ली से ३६५ किलोमीटर और देहरादून से ४१५ किलोमीटर की दूरी पर, कुमाऊँ हिमालय श्रंखला की एक पहाड़ी के दक्षिणी किनारे पर स्थित है। अल्मोड़ा नगर अपनी ऐतिहासिक विरासत के साथ साथ प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है। नगर में एक ओर चन्दकालीन किले तथा मंदिर हैं, तो वहीं दूसरी ओर ब्रिटिशकालीन चर्च तथा पिकनिक स्थल भी उपस्थित हैं। इसके अतिरिक्त अल्मोड़ा सड़क मार्ग से पूरे कुमाऊँ क्षेत्र से जुड़ा हुआ है, इसलिए सुदूर पर्वतीय स्थलों तक भ्रमण करने वाले लोग भी अल्मोड़ा से होकर गुजरते हैं। पर्यटकों, प्रकृति-प्रेमियोम, पर्वतरोहियों और पदारोहियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए अल्मोड़ा आज का सर्वोत्तम नगर है।

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# रामगढ़

नैनीताल से कुछ ही दूरी पर बसा हुआ रामगढ़ एक बेहद ही खूबसूरत पर्यटन स्थल है, यहां से अप दूर खड़े हिमालय को निहार सकते हैं । यह जगह उन लोगो को बेजद पसंद आएगी जो अपने साथ कुछ पल सुकून के बिताने की चाह रखते हैं। पर्यटक यहां नथुआखान, भीमताल, नौकुचियाताल देख सकते हैं साथ यहां पक्षियों की विभिन्न जातियों को भी निहार सकते हैं।

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# गौणा हिल्स

ये पहाड़ी पगोट हैंमलेट में स्थित हैं। इस जगह के बारे में ज्यादातर लोगो ने नहीं सुना होगा। मगर इस पहाड़ी में आप Trekking का लाभ उठा सकते है। यह जगह हिमालयी वनस्पतियों से भरी हुई है। यह पहाड़ी पेड़ो जैसे कि ओक, बांबू और देवदार के पेड़ के घने जंगलों से घिरा हुई है। इस जगह का पूरा परिद्रश्य बहुत सुन्दर है। इस जगह तक पहुंचने के लिए बहुत भयानक है। यह जगह लैंड एंड की तरह ही है। यहां पहुंचना बहुत ही मुश्किल काम है। इस जगह से नैनीताल का बहुत अच्छा दृश्य दिखाई देता है।

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# कुंजखारक

कुंजखारक पर्यटन के लिए एक बेहतरीन जगह है। नैनीताल से 37 km की दुरी पर पर स्थित है। यह जगह हिमालय दृश्य बिंदु है मतलब इस जगह से आप हिमालय के दूर से दर्शन कर सकते है। खारक का स्थानीय भाषा में मतलब “पास” होता है। कुंजखारक 2323 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। जो राजसी हिमालय रेंज को देखने के लिए सबसे अच्छी जगह बनाती है। इस जगह से आप पहाड़ों की हिमालय श्रृंखला के एक शानदार 380 किमी दूरदर्शी दृश्य को देख सकते हैं। कुंजखारक उंच्च लुप्तप्रजाति Khoola (Jhoola) का घर है। जो की कई कॉस्मेटिक उत्पादों में इस्तेमाल किया जाता है। Eco-Tourism कुंजखारक का मुख्य आकर्षण है। कुंजखारक घने ओक, पाइन और देवदार पेड़ के बीच भालू गुफाओं पहाड़ों का पता लगाने के लिए पर्याप्त अवसर प्रदान करता है। पक्षी-देखरेख और ट्रेकिंग पर्यटक की संख्या को आकर्षित करती है। लामरेगीयर, हिमालयान और यूरेशियन ग्रिफ़ोन जैसे उच्च ऊंचाई वाले पक्षी जैसे तावे ईगल, स्टेप ईगल और केस्टल जैसे राप्टर यहां देखे जा सकते है।
कुंजखारक के Forest Rest House में रूककर आप कुंजखारक की सुन्दरता का आनंद ले सकते है। कुंजखारक को नैनीताल से दो तरफ से पहुंचा जा सकता है। एक नैनीताल से 18 किमी पंगोट तक कुंजखारक के साथ ट्रेक कर सकता है। इसके अलावा पर्यटकों को नैनीताल से टैक्सियों को किराए पर लिया जा सकता है। यदि आप पंगोट आये तो इन सभी आकर्षक जगह भी जरुर घूमे।

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