अजमेर की ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती दरगाह को लेकर जारी विवाद में एक नया मोड़ आया है। हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता द्वारा दायर याचिका पर आज कोर्ट में केंद्र सरकार के जवाब के बाद हिंदू सेना की ओर से प्रतिक्रिया दाखिल की गई। यह याचिका दरगाह की जमीन को पहले का 'संकट मोचन शिव मंदिर' बताते हुए उसे हिंदुओं को सौंपने की मांग करती है। अब इस विवाद की अगली सुनवाई 19 जुलाई 2025 को जिला अदालत में होगी।
विष्णु गुप्ता के अधिवक्ता ने जवाब दाखिल करने के साथ कोर्ट से बहस के लिए कुछ समय की मोहलत मांगी है। अदालत ने इस पर सहमति जताई और सुनवाई की तारीख आगे बढ़ा दी। इसके अलावा 1 जुलाई को राजस्थान हाईकोर्ट में यह तय किया जाएगा कि क्या जिला अदालत इस मामले की सुनवाई कर सकती है या नहीं।
केंद्र सरकार की आपत्ति
इससे पहले, 19 अप्रैल को केंद्र सरकार ने अदालत में अपने हलफनामे में इस मुकदमे को अस्वीकार्य बताते हुए खारिज करने की सिफारिश की थी। अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय ने कहा कि याचिका न तो सुनवाई योग्य है और न ही इसमें भारत सरकार को पक्षकार बनाया गया है। मंत्रालय ने यह भी कहा कि याचिका का हिंदी अनुवाद त्रुटिपूर्ण है और असली दस्तावेज़ और अनुवाद में विरोधाभास है।
मुस्लिम पक्ष ने जताई संतुष्टि
मुस्लिम पक्ष ने केंद्र के इस रुख पर संतोष जताया है। दरगाह कमेटी और खादिमों की ओर से अधिवक्ता आशीष कुमार सिंह ने कहा कि यह मुकदमा सस्ती लोकप्रियता और सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने के मकसद से दाखिल किया गया था। उनके अनुसार, केंद्र की सिफारिश इस बात का प्रमाण है कि याचिका का कोई कानूनी आधार नहीं है।
हिंदू सेना का पक्ष
विष्णु गुप्ता का कहना है कि केंद्र सरकार की तकनीकी आपत्तियों को ध्यान में रखते हुए उनका पक्ष कोर्ट में पेश कर दिया गया है। उन्होंने भरोसा जताया है कि आने वाली सुनवाई में वे इस मामले को मजबूती से पेश करेंगे।
गौरतलब है कि यह विवाद पिछले वर्ष उस समय शुरू हुआ था जब हिंदू सेना ने दावा किया था कि अजमेर की दरगाह जिस स्थल पर स्थित है, वह कभी हिंदू मंदिर था। उन्होंने कोर्ट से वहां पूजा-अर्चना की अनुमति देने की मांग की थी।