अमेरिकी रिसर्च में दावा- कोरोना से दिल होता है कमजोर, रिकवरी के बाद भी रहता है हार्ट अटैक का खतरा

By: Priyanka Maheshwari Thu, 10 Feb 2022 09:58:17

अमेरिकी रिसर्च में दावा- कोरोना से दिल होता है कमजोर, रिकवरी के बाद भी रहता है हार्ट अटैक का खतरा

कोरोना शरीर के कई अंगों को प्रभावित कर रहा है। खास तौर पर दिल को। कोरोना से ठीक होने बाद मरीजों को हार्ट अटैक, स्ट्रोक और हार्ट फेलियर का खतरा बना रहता है। ये रिस्क उन लोगों को भी होता है जिन्हें बीमारी के कोई लक्षण नहीं होते। अमेरिका में हुई एक नई रिसर्च में यह बात सामने आई है।

वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने कोरोना के शिकार हुए 1.53 लाख लोगों के स्वास्थ्य को एक साल से ज्यादा समय के लिए ट्रैक किया। वैज्ञानिकों ने पाया कि वो मरीज जो कोरोना संक्रमण होने के 30 दिन के अंदर ठीक हो गए, उन्हें हार्ट स्ट्रोक का खतरा 1.5 गुना है। साथ ही उनमें हार्ट अटैक का खतरा 1.6 गुना और हार्ट फेलियर का खतरा 1.7 गुना बढ़ गया है। इसके अलावा ऐसे मरीजों को दिल की धड़कनें अनियमित होने का खतरा 1.6 गुना और हार्ट में सूजन का खतरा दोगुना होता है। जहां कई शोधों में ये पता चला है कि कोरोना के दौरान लोगों को हृदय रोग का खतरा होता है, यह पहली ऐसी रिसर्च है जो कोरोना मरीजों में रिकवरी के बाद इन बीमारियों के खतरे को दिखाती है।

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रिसर्च के मुताबिक, अगर आप कोरोना से इन्फेक्ट हुए हैं तो आपको हमेशा ही दिल की बीमारियों का खतरा बना रहेगा। हालांकि संक्रमण की गंभीरता पर निर्भर करता है कि ये ये खतरा ज्यादा होगा या कम।

रिसर्च के मुताबिक, कोरोना के माइल्ड या कोई लक्षण नहीं थे तो आपको हृदय रोग का खतरा काफी कम है। पर यदि कोरोना के चलते आप ICU में भर्ती हुए थे, तो आपको इन बीमारियों का खतरा अधिक है। रिसर्च में हार्ट संबंधी बीमारियों का जोखिम सभी उम्र और लिंग के लोगों में समान पाया गया।

कोरोना से हार्ट संबंधी बीमारियों का जोखिम क्यों बढ़ जाता है हालाकि, वैज्ञानिक इसके पीछे की ठोस वजह का पता नहीं लगा पाए हैं। उनका कहना है कि वायरस दिल की मांसपेशियों के सेल्स (कोशिकाओं) को डैमेज कर देता है, जिससे ये परेशानियां हो सकती हैं। इसके अलावा इम्यून सिस्टम के ज्यादा एक्टिव होने और दिल में सूजन आने से भी ये समस्या हो सकती है।

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रिसर्च में हार्ट संबंधी बीमारियों का जोखिम सभी उम्र और लिंग के लोगों में समान पाया गया। यहां तक कि मोटापा, डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, हाई कोलेस्ट्रोल और किडनी की बीमारी से पीड़ित लोगों में भी कोरोना रिकवरी के बाद दिल की बीमारियों का खतरा समान पाया गया।

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