पेपर, चॉक, नाखून... खाने की आदत यानी ‘पिका’ के संकेत, हो सकती हैं ये गंभीर समस्याएं

By: Nupur Rawat Fri, 28 May 2021 1:36:21

पेपर, चॉक, नाखून... खाने की आदत यानी ‘पिका’ के संकेत, हो सकती हैं ये गंभीर समस्याएं

पेपर, चॉक, नाख़ून, धूल... ये सभी चीज़ें आपको रेस्तरां के मेनू में कभी नज़र नहीं आएंगी, लेकिन पिका नामक बीमारी से ग्रस्त लोगों को इसी तरह की चीज़ें खाकर संतुष्टि मिलती है। पिका, ऐसी चीज़ें खाने की लालसा है जो खाद्य पदार्थ की श्रेणी में नहीं आते। पिका का सामान्य उदाहरण छोटे बच्चों का चॉक, मिट्टी, धूल और पेंसिल खाना है। पिका लैटिन शब्द ‘फ़ॉर मैगपाई’ से प्रेरित है। यह एक ऐसे पक्षी का नाम है जो कुछ भी खा सकता है।

वयस्कों में कुछ विशेष प्रकार के पौष्टिक तत्वों, जैसे-आयरन, ज़िंक आदि की कमी के कारण असामान्य चीज़ें खाने की लालसा उत्पन्न होती है। पिका से वे लोग भी पीड़ित हो सकते हैं, जिनके साथ बचपन में कोई बुरा हादसा हुआ हो, जैसे-मां का प्यार न मिलना, माता-पिता का अलगाव, उपेक्षा, उत्पीड़न इत्यादि।
आरंभ में पिका को सिर्फ़ कुछ विशेष प्रकार की भूख के रूप में जाना जाता था, जो खनिज पदार्थों की कमी के कारण होती थी, लेकिन अब इसे मानसिक बीमारी की श्रेणी में भी रखा जाने लगा है, क्योंकि पिका के बहुत से केसेस ऑब्सेसिव कम्पल्सिव डिस्ऑर्डर के दायरे में भी आते हैं। ‘‘पिका से पीड़ित व्यक्ति के केस को पूरी तरह समझने के लिए सिर्फ़ पौष्टिक तत्वों की कमी की जांच ही नहीं, बल्कि उसके मानसिक और पारिवारिक पृष्ठभूमि को भी समझना ज़रूरी है।’’ कहना है मनोवैज्ञानिक डॉ. अशित सेठ का।

pica disease,pica,paper,chalk,nails,soil,zinc,iron,eating disorder,mental problem,symptoms of pica,health article in hindi ,पिका बीमारी, पिका, चॉक, नाखून, मिट्‌टी, जिंक, आयरन, ईटिंग डिसऑर्डर, दिमागी समस्या, पिका के लक्षण, हिन्दी में स्वास्थ्य संबंधी लेख

यह सिर्फ़ ईटिंग डिसऑर्डर ही नहीं है

मनोवैज्ञानिक डॉ. सुधीर श्रीवास्तव बताते हैं कि दुर्भाग्यवश पिका की पुष्टि करने के लिए कोई भी टेस्ट उपलब्ध नहीं है और इस क्षेत्र में ज़्यादा शोध भी नहीं हुए हैं। ‘‘यदि किसी व्यक्ति के पिका से ग्रस्त को होने की आशंका हो तो उसके परिवारवालों को ध्यान रखना चाहिए कि वो किस तरह के नॉन फ़ूड आइटम्स खाता है। यदि कोई व्यक्ति एक महीने से अधिक समय तक ऐसी चीज़ें खाता है तो वह पिकाग्रस्त कहा जा सकता है।’’
चूंकि पिका होने की एक वजह शरीर में पोषक तत्वों की कमी और कुपोषण भी होती है, इसलिए ख़ून में आयरन और ज़िंक के स्तर का पता लगाकर भी पिका का उपचार किया जा सकता है। एनीमिया का पता लगाने के लिए किए जाने वाले ब्लड टेस्ट से भी पिका के उपचार में मदद मिलती है। ये बच्चों के केस में ज़्यादा असरकारी होता है।

pica disease,pica,paper,chalk,nails,soil,zinc,iron,eating disorder,mental problem,symptoms of pica,health article in hindi ,पिका बीमारी, पिका, चॉक, नाखून, मिट्‌टी, जिंक, आयरन, ईटिंग डिसऑर्डर, दिमागी समस्या, पिका के लक्षण, हिन्दी में स्वास्थ्य संबंधी लेख

22 वर्षीय मनप्रीत कौर को शीशा खाने की आदत थी। टूटी हुई ट्यूबलाइट्स उनका मनपसंद नाश्ता था। इसे हीलाफ़ेज़िया की श्रेणी में रखा जाता है। डॉक्टर उनके शीशा खाने की ख़तरनाक आदत की वजह समझ पाने में असमर्थ थे। उनके केस का विस्तृत मनौवैज्ञानिक एवं मानसिक विश्लेषण करने के बाद पता चला कि उनके पिका से पीड़ित होने की वजह, बचपन में उनके सौतेले पिता द्वारा किया गया उत्पीड़न था। इससे पहले कि शीशे से उनका गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट क्षतिग्रस्त होता उनके पति ने उन्हें बिहेवियरल थेरैपी कराने के लिए राज़ी कर लिया।

pica disease,pica,paper,chalk,nails,soil,zinc,iron,eating disorder,mental problem,symptoms of pica,health article in hindi ,पिका बीमारी, पिका, चॉक, नाखून, मिट्‌टी, जिंक, आयरन, ईटिंग डिसऑर्डर, दिमागी समस्या, पिका के लक्षण, हिन्दी में स्वास्थ्य संबंधी लेख

ख़तरनाक लक्षण

इस तरह के नॉन फ़ूड आइटम्स खाने से गले में अवरोध के अलावा अंतड़ियों में अवरूद्धता और क्रॉनिक कब्ज़ की समस्या भी हो सकती है। पिका से पीड़ित व्यक्तियों को निम्न समस्याएं हो सकती हैं।
- बेज़ोर्स (जब बहुत सारी नहीं पचने वाली चीजों का पेट में इकट्ठा होना)
- संक्रमण (यदि व्यक्ति दूषित मिट्टी या जानवरों के मल का सेवन करता है)
- अंतड़ियों में अवरूद्धता
- लीड पॉइज़निंग (अगर किसी ने पेन्ट या लीड-पेन्ट डस्ट के अंतर्गत आने वाली वस्तुओं का सेवन कर लिया हो)

हम WhatsApp पर हैं। नवीनतम समाचार अपडेट पाने के लिए हमारे चैनल से जुड़ें... https://whatsapp.com/channel/0029Va4Cm0aEquiJSIeUiN2i

Home | About | Contact | Disclaimer| Privacy Policy

| | |

Copyright © 2024 lifeberrys.com