दुनिया के बेस्ट पब्लिकेशन में शामिल टाइम मैगजीन ने दुनिया में बनी 100 सर्वश्रेष्ठ फिल्मों की सूची जारी की है। इस लिस्ट में 1920 के दशक से लेकर 2010 के दशक तक पिछले दस डिकेड यानी 100 साल के दौरान रिलीज हुई फिल्में चुनी गई हैं। भारत में भी साल 1913 से सिनेमा शुरू हो गया था। ताज्जुब की बात ये है कि सूची में सिर्फ एक भारतीय फिल्म जगह बना पाई है। यह फिल्म है निर्देशक सत्यजीत रे की ‘पाथेर पांचाली।’
रे की यह पहली ही फिल्म थी और इसका निर्माण पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा किया गया था। यह विभूतिभूषण बंद्योपाध्याय के साल 1929 के इसी नाम के बंगाली उपन्यास पर आधारित है। यह फिल्म नन्हे अपू और उसके गरीब परिवार की कहानी है, जो कठिन जीवन जीते हैं और बंगाल के एक गांव में गुजारा करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
जब अपू के पिता बेहतर नौकरी की तलाश में गांव छोड़ देते हैं, तो उसकी मां उसकी और उसकी बड़ी बहन दुर्गा की देखभाल करने की कोशिश करती है। साल 1956 में इसकी रिलीज के बाद टाइम्स ऑफ इंडिया ने लिखा था कि किसी अन्य भारतीय फिल्म के साथ इसकी तुलना करना बेतुका है... पाथेर पांचाली शुद्ध सिनेमा है।
‘बवाल’ फिल्म की इस बात से नाराज हुआ इजरायली दूतावास
नितेश तिवारी के डायरेक्शन में एक्टर वरुण धवन और एक्ट्रेस जाह्नवी कपूर की फिल्म ‘बवाल’ 21 जुलाई को ओटीटी पर रिलीज हुई थी। इस फिल्म ने दर्शकों की खूब सराहना बटोरी। सैकंड वर्ल्ड वॉर के दौरान नरसंहार और ऑशविट्ज एकाग्रता शिविर की ऐतिहासिक कहानी की वजह से ये फिल्म पहले ही विवादों में घिरी हुई है।
अब इस फिल्म को इजरायली दूतावास की आलोचना भी झेलनी पड़ रही है। भारत में इजरायली एम्बेसी ने फिल्म में इवेंट कॉन्टेक्स्ट के बारे में एक बयान जारी किया है। दूतावास ने ट्विटर पर लिखा कि हाल ही में रिलीज हुई फिल्म बवाल में होलोकॉस्ट (यहूदी नरसंहार) जैसे सब्जेक्ट को बेहद हल्के और मामूली तौर पर दिखाया गया है। फिल्म में जिस तरीके से यहूदी नरसंहार के रेफरेंस को यूज किया गया है उससे इसकी गंभीरता नहीं समझ में आती। हालांकि हम ये समझते हैं कि फिल्म का उद्देश्य किसी की भावना को ठेस पहुंचाना नहीं था, फिर भी हम आपसे आग्रह करते हैं कि आप यहूदी नरसंहार के भयावह सच को जानें और इसकी गंभीरता को समझें।
इजरायली दूतावास लगातार इस दिशा में काम कर रहा है। हम वर्ल्ड वॉर 2 के दौरान यहूदियों पर हुए अत्याचार को उजागर करने के लिए एजुकेशनल मैटेरियल भी पब्लिश कर रहे हैं। साथ ही हमें होलोकॉस्ट पर ओपन डिस्कशन भी करने चाहिए, ताकि हम अपने पास्ट से सीख सकें। इससे पहले यहूदी ह्यूमन राइट ऑर्गेनाजेशन द साइमन विसेन्थल सेंटर ने फिल्म को होलोकॉस्ट के संदर्भ में प्राइम वीडियो से हटाने की मांग की थी, जहां इसे रिलीज किया गया था।