बॉलिवुड में राजेश खन्ना (Rajesh Khanna) का नाम जब भी लिया जाता है तो दिमाग में एक ऐसे सुपरस्टार की छवि आती है जिसने अपनी जिंदगी अपने शर्तों पर जी। जिसने हिंदी सिनेमा को लंबे समय तक सुपरहिट फिल्में दी। अगर देवानंद के बाद कोई था जिसने बॉलिवुड में लगातार हिट फिल्में देने की गारंटी दी तो वह थे अपने जमाने के मशहूर हीरो राजेश खन्ना। लेकिन राजेश खन्ना को लेकर कुछ कलाकारों की राय कुछ हटकर है। ऐसे ही एक बार मीडिया से बात करते हुए नसीरुद्दीन शाह ने दिवंगत एक्टर राजेश खन्ना के बारे में काफी खुलकर अपनी राय रखी थी। फिल्म इंडस्ट्री को करीब से देखने और समझने वाले नसीरुद्दीन का मानना है कि 1970 के दशक में औसत दर्जे की हिंदी फिल्मों की शुरुआत राजेश खन्ना की वजह से हुई। इनके मुताबिक बॉलीवुड में कुछ भी नहीं बदला। आज भी वही हो रहा है जो 50 साल पहले होता था। फोटोग्राफी और एडिटिंग में काफी बदलाव आया है, अच्छा काम हो रहा है लेकिन सब्जेक्ट वही घिसे-पिटे हैं जो 70 के दशक में थे। इसके लिए नसीरुद्दीन काफी हद तक राजेश खन्ना को जिम्मेदार ठहराते हैं।
नसीरुद्दीन के मुताबिक, 'राजेश खन्ना तमाम सफलताओं और स्टारडम के बावजूद मैं उन्हें एक पूअर एक्टर मानता हूं। मैं जब भी उनसे मिला वह मुझे इंटलेक्चुएली भी बहुत अलर्ट नहीं लगे’।
उन दिनों भगवान थे राजेश खन्ना -नसीरुद्दीन शाह
नसीरुद्दीन शाह ने कहा था कि ‘70 के दशक में कंटेट पर सबसे कम काम हुआ। स्क्रिप्ट की क्वालिटी, एक्टिंग, म्यूजिक और लिरिक्स, सब के स्तर में काफी गिरावट आई। हां कलर जरूर आ गया था। आप हीरोइन को पर्पल ड्रेस और हीरो को लाल रंग की शर्ट पहना दें, कश्मीर चले जाए और फिल्म बना ले। आपको किसी स्टोरी की जरूरत ही नहीं थी। यह ट्रेंड जारी है और मुझे लगता है कि मिस्टर खन्ना का इससे काफी कुछ लेना देना है क्योंकि वह उन दिनों वह भगवान थे’।
नए जमाने के कलाकारों को लेकर नसीरुद्दीन का कहना था कि ‘वे दावा करते हैं कि उन्हें सिनेमा से प्यार हैं, लेकिन वे बना क्या रहे हैं ? अपनी आने वाली 10 पीढ़ियों को आर्थिक रुप से सुरक्षित बनाने में जुटे है, लीक से हटकर काम करने की हिम्मत ही नहीं दिखाते’।
राजेश खन्ना ने इंडस्ट्री पर राज किया। 1969 में ‘आराधना’,1971 में ‘हाथी मेरे साथी’ और 1971 में ही ‘आनंद’ जैसी हिट फिल्में दी।