किडनी की बीमारी भारत में तेजी से बढ़ती जा रही है, जिसका मुख्य कारण डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, खराब लाइफस्टाइल और जेनेटिक फैक्टर्स हैं। किडनी सही से काम न करने पर थकान, सूजन, पेशाब में खून और बार-बार पेशाब आने जैसी समस्याएं सामने आती हैं। इसलिए समय पर किडनी की जांच बेहद जरूरी है। लेकिन सवाल ये है कि किडनी की दिक्कत पता लगाने के लिए कौन-से टेस्ट कराना चाहिए और इनकी कीमत कितनी होती है?
किडनी की दिक्कत का पता लगाने वाला सबसे अहम टेस्ट – KFT
किडनी फंक्शन टेस्ट (KFT), जिसे रीनल फंक्शन टेस्ट (RFT) भी कहा जाता है, किडनी की कार्यप्रणाली जांचने के लिए सबसे जरूरी टेस्ट है। यह ब्लड और यूरिन के माध्यम से किडनी के विभिन्न पैरामीटर्स की जांच करता है:
सीरम क्रिएटिनिन (Serum Creatinine): मांसपेशियों के मेटाबॉलिज्म से बनने वाला वेस्ट प्रोडक्ट है। किडनी सही काम न करने पर इसका लेवल खून में बढ़ जाता है। पुरुषों में सामान्य स्तर 0.7-1.3 mg/dL और महिलाओं में 0.6-1.1 mg/dL होना चाहिए।
ब्लड यूरिया नाइट्रोजन (BUN): प्रोटीन के ब्रेकडाउन से बनने वाला वेस्ट प्रोडक्ट। बढ़ा हुआ स्तर किडनी खराब होने, डिहाइड्रेशन या हाई प्रोटीन डाइट का संकेत देता है। सामान्य रेंज 7-20 mg/dL होती है।
यूरिक एसिड: प्यूरीन के ब्रेकडाउन से बनता है, जो किडनी के जरिए बाहर निकलता है। इसका बढ़ा स्तर किडनी खराबी या गाउट का संकेत है। पुरुषों के लिए 3.4-7.0 mg/dL, महिलाओं के लिए 2.4-6.0 mg/dL सामान्य होता है।
इलेक्ट्रोलाइट्स: सोडियम, पोटैशियम और क्लोराइड शरीर में पानी और मिनरल्स के संतुलन को बनाए रखते हैं। इनका असामान्य स्तर किडनी की समस्या की ओर इशारा कर सकता है।
ग्लोमेरुलर फिल्ट्रेशन रेट (eGFR): यह टेस्ट बताता है कि किडनी खून को कितनी अच्छी तरह फिल्टर कर रही है। 90 mL/min से अधिक सामान्य माना जाता है, जबकि 60 से कम होने पर क्रॉनिक किडनी डिजीज (CKD) का खतरा होता है।
इसके अलावा, किडनी की जांच के लिए यूरिनालिसिस और माइक्रोएल्ब्यूमिन टेस्ट भी किए जा सकते हैं, जो किडनी से प्रोटीन लीक होने या इंफेक्शन की जानकारी देते हैं।
KFT टेस्ट की कीमत कितनी होती है?
देश के अलग-अलग हिस्सों में KFT टेस्ट की कीमतें भिन्न होती हैं:
दिल्ली-एनसीआर: ₹349 से ₹780
मुंबई-पुणे: ₹375 से ₹1250
लखनऊ-कानपुर: ₹300 से ₹1000
जयपुर: ₹400 से ₹900
पटना: ₹300 से ₹700
KFT टेस्ट से पहले क्या करें?
आम तौर पर KFT टेस्ट के लिए खाली पेट रहने की जरूरत नहीं होती, लेकिन कुछ डॉक्टर 8-12 घंटे की फास्टिंग की सलाह देते हैं। टेस्ट से पहले पर्याप्त पानी पीना जरूरी है, क्योंकि डिहाइड्रेशन रिजल्ट को प्रभावित कर सकता है। यदि आप कोई दवा या सप्लीमेंट ले रहे हैं, तो टेस्ट से पहले डॉक्टर को सूचित करें।