मोहिनी एकादशी आज, इन नियमों के पालन से मिलेगा पूजा और व्रत का संपूर्ण फल

By: Priyanka Maheshwari Thu, 12 May 2022 09:08:14

मोहिनी एकादशी आज, इन नियमों के पालन से मिलेगा पूजा और व्रत का संपूर्ण फल

आज यानी 12 मई को मोहिनी एकादशी (Mohini Ekadashi 2022) मनाई जा रही है। मोहिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा होती है। हर महीने कृष्ण और शुक्ल पक्ष की दो एकादशी पड़ती हैं। वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मोहिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। मोहिनी एकादशी को सभी एकादशियों में सर्वोत्तम माना जाता है। ऐसे में इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और व्रत से उनका खास आशीर्वाद प्राप्त होता है। ऐसे में पूजा और व्रत के दौरान कुछ खास बातों का ध्यान रखना बेहद जरुरी होता है जिससे संपूर्ण फल की प्राप्ति हो। तो चलिए जानते है उन नियमों के बारे में...

- मोहिनी एकादशी का व्रत करने वाले लोगों को इससे एक दिन पहले यानी दशमी तिथि को लहसुन, प्याज, मांसाहार और मसूर की दाल का सेवन नहीं करना चाहिए।

- मोहिनी एकादशी के दिन लकड़ी का दातुन करना भी सही नहीं माना जाता। इस दिन आप सुबह जामुन, आम या नींबू के पत्तों को चबाकर कुल्ला करके अपना मुंह साफ कर सकते हैं। साथ ही ध्यान रखें कि आपको दातुन के लिए पेड़ से पत्ता भी नहीं तोड़ना है, बल्कि नीचे गिरे हुए पत्तों को धोकर चबाकर दातुन कर सकते हैं।

- शास्त्रों के अनुसार एकादशी का व्रत द्वादशी तिथि में खोला जाता है। साथ ही ध्यान रखें कि द्वादशी तिथि को सूर्योदय के बाद ही व्रत का पारण किया जाता है। आप व्रत के अगले दिन सुबह स्नान आदि से निवृत्त होकर और भगवान विष्णु की पूजा के बाद व्रत खोल सकते हैं।

- मोहिनी एकादशी के दिन ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें और साथ ही राम, कृष्ण और विष्णु भगवान के सहस्त्रनाम का पाठ करना भी बहुत फलदायी माना जाता है।

- मोहिनी एकादशी के दिन अपने सामर्थ्य अनुसार दान करना भी शुभ माना जाता है। वहीं इस दिन किसी के द्वारा दिया हुआ अन्न ग्रहण करने की भी मनाही है।

- मोहिनी एकादशी के व्रत का पारण करने के दौरान आप केला, बादाम, आम और अंगूर आदि का सेवन कर सकते हैं।

- माना जाता है कि एकादशी के दिन घर में झाड़ू भी नहीं लगानी चाहिए क्योंकि इससे सूक्ष्म जीवों जैसे चींटी आदि की मृत्यु हो सकती है और फिर पाप चढ़ता है।

- शास्त्रों के अनुसार द्वादशी तिथि के दिन अपनी सामर्थ्य अनुसार ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा और मिष्ठान की वस्तुएं देने का भी विधान है।

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