Chhath Puja 2022 : 30 अक्टूबर को पड़ेगा छठ पूजा व्रत, जानें पूजन विधि और नियम
By: Ankur Fri, 28 Oct 2022 08:43:31
दिवाली के पावन पर्व के बाद सूर्य देव और छठी मइया की पूजा के तौर पर छठ पूजा का व्रत रखा जाता हैं जो कि इस बार 30 अक्टूबर को पड़ रहा हैं। 5 दिन चलने वाली छठ पूजा का प्रारंभ 28 अक्टूबर, शुक्रवार से हो जाएगा और 2 नवंबर को समाप्त होगा। प्रमुख रूप से उत्तर प्रदेश और बिहार में मनाया जाने वाला यह त्योहार अब लगभग देश के हर राज्य में मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं पूजन करते हुए व्रत रखती हैं और संतान की दीर्घायु के लिए कामना करती हैं। पूर्ण नियमों के साथ इस व्रत को किया जाए तो बहुत लाभ मिलता हैं। आज इस कड़ी में हम आपको छठ पूजा व्रत की पूजन विधि और नियमों के बारे में बताने जा रहे हैं।
छठ पूजन की विधि
छठ पर्व पर चतुर्थी के दिन स्नान आदि करके भोजन किया जाता है और फिर पंचमी के दिन उपवास करके संध्याकाल में तालाब या नदी में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। उसके बाद अगले दिन सुबह सूर्योदय के वक्त फिर से सूर्य भगवान की पूजा की जाती है। अर्घ्य देने के लिए बांस की तीन बड़ी टोकरी या बांस या पीतल के तीन सूप ले सकते हैं। इनमें चावल, दीपक, लाल सिंदूर, गन्ना, हल्दी, सुथनी, सब्जी और शकरकंदी रख लें। फलों में नाशपाती, शहद, पान, बड़ा नींबू, सुपारी, कैराव, कपूर, मिठाई और चंदन रखें। इसमें ठेकुआ, मालपुआ, खीर, सूजी का हलवा, पूरी, चावल से बने लड्डू भी रखें। सभी सामग्रियां टोकरी में सजा लें। सूर्य को अर्घ्य देते समय सारा प्रसाद सूप में रखें और सूप में एक दीपक भी जला लें। इसके बाद नदी में उतर कर सूर्यदेव को अर्घ्य दें।
छठ पूजा व्रत की विधि
छठ पूजा के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें और व्रत करने का संकल्प लें। पूजा के पहले दिन नहाय खाय होता है। इस दिन सभी लोग मिलकर भोजन तैयार करते हैं और दोपहर में इसे सभी लोग मिलकर खाते हैं। पूजा के दूसरे दिन खरना होता है, जिसमें महिलाएं निर्जला व्रत करती हैं। यह व्रत सूर्योदय से आरंभ होता है और सूर्यास्त तक रखा जाता है। शाम में डूबते सूर्य को अर्घ्य देकर महिलाएं उस दिन के व्रत का पारण करती हैं। उसके बाद अगले दिन सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देकर इस व्रत का समापन हो जाता है।
छठ पूजा व्रत में क्या करें और क्या नहीं
- छठ पूजा का व्रत भगवान सूर्य और छठी मइया का है, इसलिए प्रतिदिन सूर्य आराधना करना तथा छठी मइया का स्मरण करना आवश्यक है।
- छठ पूजा का व्रत सबसे कठिन होता है क्योंकि यह निर्जला और निराहार रखा जाता है।
- नहाय खाय से छठ पूजा का प्रारंभ होता है, इसमें सात्विक भोजन करने का विधान है। लहसुन प्याज वाला भोजन करने से व्रत असफल होता है। उस व्रत का फल प्राप्त नहीं होगा। सूर्य देव और छठी मइया भी प्रसन्न नहीं होंगे।
- छठ पूजा के व्रत में आप जो भी नमक वाला भोजन या पकवान बनाते हैं, उसमें सेंधा नमक का उपयोग होता है। साधारण नमक का उपयोग वर्जित है।
- छठ पूजा में प्रसाद रखने के लिए बांसी की नई टोकरी का उपयोग होता है। इसमें पुरानी टोकरी का उपयोग न करें। ऐसे ही पूजा के समय सूप या थाल का प्रयोग होता है, वह भी नया ही होना चाहिए।
- जो व्रत रखता है, उसे बिस्तर पर सोना वर्जित होता है। वह जमीन पर चटाई बिछाकर सो सकता है।
- छठ पूजा का व्रत प्रारंभ करने से पूर्व घर की अच्छे से साफ सफाई कर लेनी चाहिए। उसके बाद ही स्नान करें और प्रसाद या भोजन बनाएं।
- छठ पूजा का प्रसाद मिट्टी के चूल्हे पर बनाना चाहिए। भोजन वाले स्थान से अलग हटकर छठ पूजा का प्रसाद बनाते हैं।
- इस बात का ध्यान रखना चाहिए को प्रसाद का भोग छठी मइया को लगाने के बाद ही किसी को दें। उससे पहले कोई खा लेता है तो वह प्रसाद झूठा माना जाता है।
- छठ पूजा के प्रसाद में ठेकुआ अवश्य ही बनाते हैं क्योंकि यह छठी मइया को बहुत ही प्रिय है।
- जो व्यक्ति छठ पूजा का व्रत रखता है, उसे नए वस्त्र पहनने चाहिए।
- व्रत और पूजा पाठ से आत्म संयम की भी परीक्षा होती है। इन चार दिनों में आप स्वयं को नकारामक बातों से दूर रखें। किसी पर क्रोधित न हों, किसी के बारे में बुरा न सोचें। ब्रह्मचर्य के नियमों का पालन करें।