23 जून से 21 जुलाई तक रहेगा आषाढ़ महीना, धार्मिक और सेहत के हिसाब से है महत्वपूर्ण

By: Pinki Fri, 21 June 2024 2:55:18

23 जून से 21 जुलाई तक रहेगा आषाढ़ महीना, धार्मिक और सेहत के हिसाब से है महत्वपूर्ण

धार्मिक मान्यता के अनुसार, आषाढ़ माह में गुरु की उपासना सबसे फलदायी होती है। इस महीने में श्री हरि विष्णु की उपासना से भी संतान प्राप्ति का वरदान मिलता है। इस महीने में जल देव की उपासना का भी महत्व है। कहा जाता है कि जल देव की उपासना करने से धन की प्राप्ति होती है। ज्योतिषाचार्य ने बताया कि ऊर्जा के स्तर को संयमित रखने के लिए आषाढ़ के महीने में सूर्य की उपासना की जाती है। आषाढ़ मास के प्रमुख व्रत-त्योहारों में जगन्नाथ रथयात्रा है। इसी महीने देवशयनी एकादशी के दिन से श्री हरि विष्णु शयन के लिए चले जाते हैं जिसके कारण अगले चार माह तक शुभ कार्यों को करने की मनाही है। इसे चतुर्मास के नाम से भी जाना जाता है। स्कंद पुराण के मुताबिक इस महीने में भगवान विष्णु और सूर्य की पूजा करने से बीमारियां दूर होती हैं और उम्र भी बढ़ती है। आषाढ़ में रविवार और सप्तमी तिथि का व्रत रखने से मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं। भविष्य पुराण में कहा गया है कि सूर्य को जल चढ़ाने से दुश्मनों पर जीत मिलती है।

ज्योतिषाचार्य ने बताया कि आषाढ़ महीना 23 जून से 21 जुलाई तक रहेगा। इस महीने उगते हुए सूरज को अर्घ्य देने की परंपरा है। आषाढ़ के दौरान सूर्य अपने मित्र ग्रहों की राशि में रहता है। इससे सूर्य का शुभ प्रभाव और बढ़ जाता है। स्कंद पुराण के मुताबिक आषाढ़ महीने में भगवान विष्णु के वामन अवतार की पूजा करनी चाहिए। क्योंकि इस महीने के देवता भगवान वामन ही हैं। इसलिए आषाढ़ महीने के शुक्लपक्ष की द्वादशी तिथि पर भगवान वामन की विशेष पूजा और व्रत की परंपरा है। वामन पुराण के मुताबिक आषाढ़ महीने के दौरान भगवान विष्णु के इस अवतार की पूजा करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं। संतान सुख मिलता है, जाने-अनजाने में हुए पाप और शारीरिक परेशानियां भी खत्म हो जाती हैं। आषाढ़ महीना धर्म-कर्म के अलावा सेहत के नजरिये से भी बहुत खास होता है। आयुर्वेद के प्रमुख आचार्य चरक, सुश्रुत और वागभट्ट ने इस महीने को ऋतुओं का संधिकाल कहा है। यानी ये मौसम परिवर्तन का समय होता है। इस दौरान गर्मी खत्म होती है और बारिश की शुरुआत होती है। ज्योतिषीयों के मुताबिक आषाढ़ महीने में सूर्य मिथुन राशि में रहता है। इस कारण भी रोगों का संक्रमण बढ़ता है।

ashadha month,ashadha month 2024,ashadha month significance,ashadha month festival,ashadha month celebrations,ashadha month rituals,ashadha month hindu calendar,ashadha month in hinduism,cultural significance of ashadha month,spiritual practices in ashadha month,ashadha month spiritual benefits,ashadha month and meditation,ashadha month and yoga practices

श्रीराम ने की थी सूर्य पूजा

ज्योतिषाचार्य ने बताया कि स्कंद और पद्म पुराण के अनुसार सूर्य को देवताओं की श्रेणी में रखा गया है। उन्हें भक्तों को प्रत्यक्ष दर्शन देने वाला भी कहा जाता है। इसलिए आषाढ़ महीने में सूर्यदेव को जल चढ़ाने से विशेष पुण्य मिलता है। वाल्मीकि रामायण के अनुसार युद्ध के लिए लंका जाने से पहले भगवान श्रीराम ने भी सूर्य को जल चढ़ाकर पूजा की थी। इससे उन्हें रावण पर जीत हासिल करने में मदद मिली। आषाढ़ महीने में सूर्य को जल चढ़ाने से सम्मान, सफलता और तरक्की मिलती है। दुश्मनों पर जीत के लिए भी सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है।

सूर्य पूजा से बढ़ता है आत्मविश्वास

ज्योतिषाचार्य ने बताया कि सूर्य को जल चढ़ाने से आत्मविश्वास बढ़ता है। सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है। आषाढ़ महीने में सूर्योदय से पहले नहाकर उगते हुए सूरज को जल चढ़ाने के साथ ही पूजा करने से बीमारियां दूर होती हैं। भविष्य पुराण में श्रीकृष्ण ने अपने पुत्र को सूर्य पूजा का महत्व बताया है। श्रीकृष्ण ने कहा है कि सूर्य ही एक प्रत्यक्ष देवता हैं। यानी ऐसे भगवान हैं जिन्हें रोज देखा जा सकता है। श्रद्धा के साथ सूर्य पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। सूर्य पूजा से कई ऋषियों को दिव्य ज्ञान प्राप्त हुआ है।

सूर्य को देना चाहिए अर्घ्य

ज्योतिषाचार्य ने बताया कि सुबह सूर्योदय से पहले उठकर तीर्थ स्नान करें। संभव नहीं हो तो घर पर ही पानी में गंगाजल डालकर नहाएं। इसके बाद भगवान सूर्य को जल चढ़ाएं। इसके लिए तांबे के लोटे में जल भरें और चावल, फूल डालकर सूर्य को अर्घ्य दें। जल चढ़ाते समय सूर्य के वरूण रूप को प्रणाम करते हुए ऊं रवये नम: मंत्र का जाप करें। इस जाप के साथ शक्ति, बुद्धि, स्वास्थ्य और सम्मान की कामना करना चाहिए। इस प्रकार जल चढ़ाने के बाद धूप, दीप से सूर्य देव का पूजन करें। सूर्य से संबंधित चीजें जैसे तांबे का बर्तन, पीले या लाल कपड़े, गेहूं, गुड़, लाल चंदन का दान करें। श्रद्धानुसार इन में से किसी भी चीज का दान किया जा सकता है। इस दिन सूर्यदेव की पूजा के बाद एक समय फलाहार करें।

शुरू होता है बारिश का मौसम

ज्योतिषाचार्य ने बताया कि आषाढ़ महीने में गर्मी खत्म होने लगती है और ये बारिश का मौसम शुरू होता है। दो मौसमों के संधिकाल की वजह से इन दिनों बीमारियों का संक्रमण ज्यादा होने लगता है। साथ ही नमी की वजह से फंगस और इनडाइजेशन की समस्या भी बढ़ जाती है। इसी महीने में ही मलेरिया, डेंगू और वाइरल फीवर ज्यादा होते हैं। इसलिए खान-पान पर ध्यान देते हुए छोटे-छोटे बदलाव कर के ही बीमारियों से बचा जा सकता है।

बढ़ने लगते हैं फंगस रोग

ज्योतिषाचार्य में बताया कि आयुर्वेद के मुताबिक आषाढ़ महीने के दौरान फंगस रोग बढ़ने लगते हैं। जिससे बचने के लिए नीम, लौंग, दालचीनी, हल्दी और लहसुन का इस्तेमाल ज्यादा करना चाहिए। इनके साथ ही त्रिफला चूर्ण को गरम पानी के साथ लेना चाहिए और गिलोय भी खाना चाहिए। साथ ही इस महीने में टमाटर, अचार, दही और अन्य खट्टी चीजें खाने से बचना चाहिए।

आषाढ़ मास व्रत - त्यौहार

25 जून मंगलवार 2024: कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी
02 जुलाई मंगलवार 2024: योगिनी एकादशी
03 जुलाई बुधवार 2024: प्रदोष व्रत
05 जुलाई शुक्रवार 2024: दर्श अमावस्या, आषाढ़ अमावस्या
06 जुलाई शनिवार 2024: आषाढ़ गुप्त नवरात्रि प्रारंभ,
07 जुलाई रविवार 2024: जगन्नाथ रथयात्रा, चंद्र दर्शन
16 जुलाई मंगलवार 2024: कर्क संक्रान्ति
17 जुलाई बुधवार 2024: देवशयनी एकादशी
18 जुलाई बृहस्पतिवार 2024: प्रदोष व्रत
19 जुलाई शुक्रवार 2024: जयापार्वती व्रत प्रारम्भ
20 जुलाई शनिवार 2024: कोकिला व्रत
21 जुलाई रविवार 2024: गुरु पूर्णिमा, व्यास पूजा, आषाढ़ पूर्णिमा

हम WhatsApp पर हैं। नवीनतम समाचार अपडेट पाने के लिए हमारे चैनल से जुड़ें... https://whatsapp.com/channel/0029Va4Cm0aEquiJSIeUiN2i

Home | About | Contact | Disclaimer| Privacy Policy

| | |

Copyright © 2024 lifeberrys.com