रोग दूर करने के लिए किया जाता है मिर्ची का अभिषेक, जानें इस अनोखे मंदिर के बारे में

By: Ankur Tue, 29 Jan 2019 5:11:19

रोग दूर करने के लिए किया जाता है मिर्ची का अभिषेक, जानें इस अनोखे मंदिर के बारे में

भारत एक ऐसा देश हैं जो अपनी प्रथाओं और परम्पराओं के लिए जाना जाता हैं। लेकिन उनमें से कई तो इतनी अजीब परम्पराएं है जिन पर विश्वास ही नहीं हो पाता। इन परम्पराओं का लोगों के जीवन पर बहुत असर पड़ता हैं और लोगों द्वारा ये अजीब परम्पराएं निभाई भी जाती हैं। ऐसी ही एक परंपरा है 'चिली अभिषेक' जो कि तमिलनाडु में वर्नामुत्तु मरियम्मन नाम के मंदिर में की जाती हैं। 'चिली अभिषेक' नाम सुनने में ही अजीब लगता हैं, और ये है भी अजीब। तो आइये जानते हैं इस अजीब परंपरा के बारे में।

वर्नामुत्तु मरियम्मन मंदिर तमिलनाडु के एक गांव इद्यांचवाडी में स्थित है। यहां हर साल में 8 दिनों तक चलने वाला त्योहार मनाया जाता है। इसमें लोगों के अच्छे स्वास्थ्य की कामना के लिए एक भव्य पूजन और प्रार्थना का आयोजन किया जाता है, जिसमें हजारों लोग शामिल होते हैं। इसमें विदेशी पर्यटकों की संख्या भी अच्छी खासी होती है।

weird temple,chilli abhishek,get rid of diseases,tamil nadu ,चिली अभिषेक, वर्नामुत्तु मरियम्मन मंदिर तमिलनाडु, तमिलनाडु, इद्यांचवाडी

इसमें एक अनोखी परम्परा ‘चिली अभिषेक’ को निभाया जाता है। इस परम्परा के लिए मंदिर की ट्रस्ट में शामिल तीन बड़े लोग पहले तो हाथ में पवित्र कंगन पहनकर पूरे दिन का व्रत रखते हैं। इसके बाद उनके सिर के बालों का मुंडन किया जाता। मुंडन के बाद देवताओं की तरह ही उन्हें भी पूजन स्थल पर बीच में बिठाया जाता और बाद में मंदिर के पुजारी उन तीनों को भगवान मानकर 108 सामग्रियों से अभिषेक करते हैं। इन 108 सामग्रियों में कई तरह के तेल, इत्र, विभूति, कुचले हुए फल, चंदन, कुमकुम, हल्दी आदि के लेप होते हैं, लेकिन सबसे ज्यादा दिलचस्प होता मिर्च का (चिली) का लेप। पहले तो तीनों को मिर्च का ये लेप खिलाया जाता, उसके बाद में ऊपर से लेकर नीचे तक इसी लेप से उनका अभिषेक किया जाता। आखिर में उन्हें नीम के लेप से नहलाकर मंदिर के अंदर ले जाया जाता है। मंदिर के अंदर जाकर ‘धीमिति’ का आयोजन होता है, जिसमें उन्हें जलते हुए कोयले पर चलाया जाता है।

इद्यांचवाडी गांव के लोग बताते हैं कि अभिषेक की ये परम्परा पिछले 85 वर्षों से चली आ रही है। कहा जाता है कि 1930 में गांव के हरिश्रीनिवासन ने एक नीम के पेड़ से बाहर आते गोंद को देखा और इसे पी लिया। फिर, उसके सामने भगवान प्रकट हुए और वहां एक मंदिर का निर्माण करवाने को कहा। ग्रामीणों को किसी भी रोग से पीडि़त ना होना पड़े, इसके लिए प्रार्थना के हिस्से के रूप मिर्च से अभिषेक करने का आदेश दिया। हरिश्रीनिवासन के मरने के 19 साल पहले तक मिर्च से अभिषेक की ये परम्परा उन्हीं पर ही निभाई गई थी।

हम WhatsApp पर हैं। नवीनतम समाचार अपडेट पाने के लिए हमारे चैनल से जुड़ें... https://whatsapp.com/channel/0029Va4Cm0aEquiJSIeUiN2i
lifeberrys हिंदी पर देश-विदेश की ताजा Hindi News पढ़ते हुए अपने आप को रखिए अपडेट। Viral News in Hindi के लिए क्लिक करें अजब गजब सेक्‍शन

Home | About | Contact | Disclaimer| Privacy Policy

| | |

Copyright © 2024 lifeberrys.com