
आयुष्मान खुराना और नुसरत भरूचा की कॉमेडी फिल्म 'ड्रीम गर्ल' साल 2019 में रिलीज हुई थी। इस पर फैंस ने भरपूर लुटाया और फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर अच्छा बिजनेस किया। साल 2023 में इस फिल्म का सीक्वल 'ड्रीम गर्ल 2' ने भी सिनेमाघरों में धूम मचाई। हालांकि इस बार नुसरत की जगह अनन्या पांडे थीं। नुसरत ने अब एक इंटरव्यू में इस बारे में बात की। नुसरत (40) ने नयनदीप रक्षित के साथ बातचीत में कहा कि 'ड्रीम गर्ल 2' में मुझे रिप्लेस किए जाने का मीडिया से पता चला था।
मुझे खुशी है कि 2 साल बाद इस बारे में बात हो रही है। लोगों ने नोटिस किया कि मैं उस फिल्म में नहीं थी, लेकिन उस वक्त किसी ने कुछ नहीं कहा। इसलिए मैं भी चुप रही, दो साल हो गए हैं, फिल्म बनी, आकर चली भी गई। और मैं भी अपनी लाइफ में आगे बढ़ गई हूं। लीड फिल्म कर रही हूं, मेरा फोकस उधर है। नुसरत से जब ये सवाल किया गया कि क्या वो फिल्म में अनन्या से बेहतर एक्टिंग कर सकती थीं।
इस बारे में उन्होंने कहा कि मेरे पास इसका कोई जवाब नहीं है, सिर्फ इस फिल्म के लिए ही नहीं, किसी भी फिल्म के लिए भी मैं ऐसा नहीं सोचती। मेरा पार्ट अलग था, लाइन अलग थी। एक एक्ट्रेस होने के नाते मैंने ये कभी भी नहीं सोचा है कि मैं इससे बेहतर कर सकती हूं। अगर वो मेरी ही फिल्म क्यों ना हो मैं ऐसा नहीं सोचती। जब नुसरत से पूछा गया कि अगर उनके पास ‘ड्रीम गर्ल 3’ का ऑफर आएगा तो क्या वो करेंगी। इस पर नुसरत ने कहा कि वो जरूर फिल्म में काम करेंगी।

नुसरत भरूचा ने कहा, हमें हीरो जितने ऑप्शंस नहीं मिलते
नुसरत भरूचा करीब दो दशक से सिनेमा में काम कर रही हैं। उन्होंने ‘ड्रीम गर्ल’, ‘प्यार का पंचनामा’ और ‘सोनू के टीटू की स्वीटी’ जैसी चर्चित फिल्मों में काम किया है। नुसरत ने रिवील किया है कि सेट पर एक्टर और एक्ट्रेसेज के बीच बराबरी नहीं होती है। एक्टर्स को ज्यादा बढ़िया वैनिटी वैन मिलती है। नुसरत ने कहा कि जैसे ही कोई लड़का हिट देता है, चाहे वह अंदर का हो या बाहर का, उसे तुरंत पांच नए ऑप्शन मिल जाएंगे लेकिन महिलाओं को संघर्ष करते रहना पड़ता है।
मैं ‘प्यार का पंचनामा’ (2011) के समय से यह कह रही हूं। एक लड़की के लिए बाहर निकलना और बहुत सारे ऑप्शन मिल जाना। मैं यह नहीं कह रही हूं कि उसे रातोंरात सनसनी बन जाना है या कुछ और बन जाए। एक अभिनेता अपनी फिल्म के हिट होने के बाद क्या चाहता है? फ्यूचर प्रोजेक्ट्स के लिए कुछ ऑप्शंस का मिलना है जिनमें से वह चुन सके। बस इतना ही। उन्हें बस अवसरों की जरूरत है। हमें हीरो जितने ऑप्शंस नहीं मिलते।
कई बार ऐसा हुआ है कि मैं पूछती रही, 'क्या मैं 5 मिनट के लिए हीरो की वैनिटी वैन इस्तेमाल कर सकती हूं? वह वैसे भी यहां नहीं है। क्या मैं वॉशरूम इस्तेमाल कर सकती हूं?' क्योंकि वे मेरे वॉशरूम से बेहतर हैं। हालांकि मैं उस समय शिकायत या झगड़ा नहीं करूंगी। मैं खुद से कहती हूं कि मैं खुद को उस मुकाम पर ले जाऊंगी जहां मुझे ये चीजें अपने आप मिले।














