पटना साहिब : लगातार 2 बार आसानी से जीते शत्रुघ्न सिन्हा के लिए इस बार है कड़ी चुनौती

By: Pinki Fri, 10 May 2019 12:55:35

पटना साहिब : लगातार 2 बार आसानी से जीते शत्रुघ्न सिन्हा के लिए इस बार है कड़ी चुनौती

2009 और 2014 के चुनावों में पटना की पटना साहिब सीट से जीते फिल्म अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा के लिए 2019 की राह थोड़ी कठिन नजर आ रही है। कभी भाजपा के लिए सीट निकालने वाले शत्रुघ्न सिन्हा इस बार कांग्रेस का हाथ थामकर मैदान में हैं। उनका मुकाबला भाजपा के राज्यसभा सांसद व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद से है। राज्य की यह इकलौती सीट है जहां दोनों प्रमुख दलों ने कायस्थ उम्मीदवार को टिकट दिया है।

पटना साहिब लोकसभा सीट पर जातीय समीकरण के आधार पर कायस्थों का दबदबा है। यहां कायस्थों के बाद यादव और राजपूत वोटरों का बोलबाला है। पिछले दो लोकसभा चुनावों से पटना साहिब सीट पर कांग्रेस के उम्मीदवार नंबर दो रहे हैं। ऐसे में महागठबंधन के तहत ये सीट कांग्रेस के खाते में गई है। दिलचस्प बात ये है कि शत्रुघ्न सिन्हा (Shatrughan Sinha) और रविशंकर प्रसाद (Ravi Shankar Prasad) दोनों कायस्थ बिरादरी से आते हैं। शत्रुघ्न (Shatrughan Sinha) दो बार इस सीट से सांसद रह चुके हैं और इसका लाभ उन्हें मिल सकता है। रविशंकर प्रसाद पहली बार इस सीट पर लोकसभा चुनाव लड़ेंगे इसलिए उनके लिए यहां चुनौतियां ज्यादा होंगी। कांग्रेस के टिकट से चुनाव मैदान में आने से शत्रुघ्न को महागठबंधन के तहत यादव, मुस्लिम, दलित मतों का समर्थन मिल सकता है। इसके अलावा कायस्थ के वोटों में भी शत्रुघ्न सेंधमारी कर सकते हैं।

यह है दोनों की दिनचर्या

शत्रुघ्न सिन्हा के पास स्टारडम है तो रविशंकर के पास ब्रांड मोदी और भाजपा का संगठन है। शत्रुघ्न सिन्हा का मिलने-जुलने का सिलसिला दोपहर बाद शुरू होता है और देर रात तक चलता है। सुबह प्राणायाम, व्यायाम, योग, ध्यान, अखबार पढ़ने के बाद नाश्ता कर प्रचार पर निकलते हैं।

वही ढाबे की चाय के शौकीन रविशंकर प्रसाद का रूटीन शत्रुघ्न सिन्हा से बिल्कुल अलग है। शत्रुघ्न का जब तक मिलने-जुलने का सिलसिला शुरू होता है तब तक रविशंकर आधा जनसंपर्क कर चुके होते हैं। सिलसिला मॉर्निंग वॉक से शुरू होता है। फिर कहीं चाय और घर लौटकर स्नान-ध्यान। हल्का नाश्ता फिर कार्यकर्ताओं से भेंट। भाजपा की ओर से 8 राज्यों के प्रभारी रहे रविशंकर 25 साल से लोगों को चुनाव लड़ा रहे हैं। अब पहली बार खुद चुनावी मैदान में हैं।

रविशंकर कहते हैं- पार्टी छोड़कर कोई बड़ा नहीं होता। रविशंकर का बचपन पीरमुहानी की गलियों में गुजरा है। वे शिव प्रसाद बाबू के उस घर भी गए, जहां उनका जन्म हुआ था। पुराने दोस्तों से रविशंकर ठेठ मगही में बात करते हैं - अपन महल्ला में की बोलूं। हाफ पैंट पहनकर टहलता था। यहां वोट नहीं आशीर्वाद मांगने आया हूं।

सभाओं में राष्ट्रवाद, आतंकवाद पर बातें करते हैं। आयुष्मान भारत योजना, उज्ज्वला योजना, बिजली का जिक्र करते हैं। पटना साहिब में महागठबंधन और भाजपा दोनों को ही आधार मतों में सेंधमारी का खतरा है। महागठबंधन में शामिल विकासशील इंसान पार्टी ने यहां रीता देवी को उतार दिया है। भाजपा के राज्यसभा सांसद आरके सिन्हा के समर्थकों की नाराजगी सार्वजनिक हो चुकी है। क्षेत्र के छह में से पांच विधायक भाजपा के हैं। एक सीट राजद के पास है। शत्रुघ्न सिन्हा को 55% वोट मिले थे। इस बार जदयू भाजपा के साथ है। यह मत प्रतिशत हासिल करना रविशंकर के लिए चुनौती है।

भाजपा छोड़ने पर शत्रुघ्न सिन्हा कहते हैं- सच कहना बगावत है तो समझो हम भी बागी हैं। कहते हैं- भाजपा के पास धनशक्ति है, हमारे पास जनशक्ति है। भाजपा इसे सेफ सीट मानती तो मेरे अनुज रविशंकर को क्यों उतारती। हम दोनों शालीनता से चुनाव लड़ रहे हैं। लड़ाई विचारधारा की है। मैं ऊपर वाले के अलावा किसी का भक्त नहीं हो सकता।

शत्रुघ्न सिन्हा के ‘खामोश’ डायलॉग की काट भाजपा के नारे ‘पटना अब खामोश नहीं रहेगा’ पर शत्रुघ्न ठहाका लगाते हैं, कहते हैं- खामोश! अन्याय का प्रतिकार है? गलत को गलत कहने की हिम्मत होनी चाहिए। हमने स्तुतिगान नहीं किया। मुझे खामोश करने की कोशिश हुई। लेकिन जिसके पास जनता का आशीर्वाद हो, उसे खामोश कौन कर सकता है।

क्या है दोनों के दावें और वादें

रविशंकर के दावे : मंत्री रहते अलावलपुर, करनौती जैसे पटना जिले के ही 31 गांवों को डिजिटल विलेज में तब्दील किया है। गांव वाले मुझे डिजिटल भैया कहते हैं। कानून मंत्री रहते तीन तलाक से जुड़े बिल को ही पारित नहीं कराया 1400 पुराने कानूनों को निरस्त भी कराया।

वादे : घर-घर पाइप से रसोई गैस की आपूर्ति, बड़े नालों को अंडरग्राउंड करना। मेट्रो के काम को गति देना।

शत्रुघ्न सिन्हा के दावे :
हमने एम्स दिया, गायघाट में अंतर्देशीय जल परिवहन, हीमोफीलिया अस्पताल आदि दिया। सांसद निधि का पाई-पाई ही खर्च नहीं किया- हेमामालिनी और रेखा जी से भी फंड मांग कर यहां काम करवाया। लड़ाई सत्ता नहीं, व्यवस्था परिवर्तन की है।

वादे : पटना विश्वविद्यालय को केंद्रीय विवि का दर्जा दिलाना। पटना क्लास वन सिटी बनाना।

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