भारत में आर्थिक अपराधों के आरोपी और लंबे समय से देश से बाहर रह रहे उद्योगपति विजय माल्या ने लगभग एक दशक की चुप्पी तोड़ते हुए एक निजी पॉडकास्ट में कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। उन्होंने कहा कि उन पर ₹9,000 करोड़ की बैंक धोखाधड़ी का जो आरोप है, उससे कहीं अधिक – ₹14,100 करोड़ – भारत सरकार द्वारा वसूले जा चुके हैं।
राज शमानी के पॉडकास्ट ‘Figuring Out’ में उन्होंने पहली बार खुलकर अपनी कहानी साझा की – किंगफिशर एयरलाइंस की विफलता, बैंक लोन विवाद और भारत छोड़ने के पीछे की वजहों पर विस्तार से बात की।
"अब मैं बोल रहा हूं, क्योंकि अब मेरे पास तथ्य हैं"
माल्या ने बताया कि 2016 से वो मीडिया ट्रायल के शिकार बने, जिसमें बिना कोर्ट के फैसले के उन्हें चोर, भगोड़ा और देशद्रोही घोषित कर दिया गया। इतने वर्षों तक उन्होंने इसलिए चुप्पी साधे रखी क्योंकि उनके पास अपनी बात को साबित करने के लिए कोई ठोस दस्तावेज नहीं थे। लेकिन अब, उनके मुताबिक, भारत सरकार के वित्त मंत्रालय ने यह माना है कि उनसे ₹14,100 करोड़ की वसूली की जा चुकी है – जो मूल ₹9,000 करोड़ की मांग से काफी अधिक है।
माल्या बोले, “अब मैं इसलिए बोल रहा हूं क्योंकि सरकार खुद कह रही है कि मेरी संपत्तियां बेचकर ₹14,100 करोड़ वसूल किए गए हैं। तो वो लोग अब क्या कहेंगे जिन्होंने मुझे गुनहगार ठहरा दिया था?” उन्होंने इसे मीडिया और जनमानस द्वारा उनके खिलाफ बनाए गए पूर्वाग्रह को चुनौती के रूप में प्रस्तुत किया।
"पैसा कमाया है, विरासत में नहीं मिला"
अपने शुरुआती जीवन के बारे में बताते हुए माल्या ने कहा कि उनके पिता विट्ठल माल्या यूबी ग्रुप के चेयरमैन थे, लेकिन उन्हें विरासत में सब कुछ नहीं मिला। उन्होंने कॉलेज के बाद ₹400 की स्टाइपेंड पर कंपनी में ट्रेनिंग ली और एक साधारण सेल्समैन की तरह काम किया। 28 साल की उम्र में UB ग्रुप के चेयरमैन बनने के बाद उन्होंने Kingfisher बीयर को दोबारा लॉन्च किया और उसे एक ग्लैमरस ब्रांड बनाया।
उन्होंने बताया कि जब उन्होंने Berger Paints का इंटरनेशनल बिजनेस खरीदा और बेचा, तब उन्हें पहली बार बड़ा मुनाफा हुआ। उन्होंने अपनी मां से कहा था, “मुझे ये विरासत में नहीं मिला, मैंने खुद बनाया है। अगर मैं अब यॉट या प्राइवेट जेट ले रहा हूं, तो मत टोको।” उनका कहना था कि उनका जीवनस्तर खुद के प्रयासों का नतीजा है, न कि किसी बैंक लोन का।
किंगफिशर एयरलाइंस: सपनों की उड़ान, अर्थव्यवस्था की मार
2005 में जब उन्होंने Kingfisher Airlines शुरू की, तो उद्देश्य था भारत को वर्ल्ड-क्लास उड़ान अनुभव देना। इन-फ्लाइट एंटरटेनमेंट, फाइव-स्टार खाना, और अतिथि जैसा व्यवहार उस दौर में नया था। 2008 तक एयरलाइन ने 27% मार्केट हिस्सेदारी ले ली थी। लेकिन फिर वैश्विक आर्थिक संकट आया, क्रूड ऑयल $140 प्रति बैरल तक पहुंच गया, और सरकार ने एयर टरबाइन फ्यूल (ATF) पर टैक्स बढ़ा दिए। साथ ही FDI को भी मंजूरी नहीं दी।
माल्या ने दावा किया कि उन्होंने तत्कालीन वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी से डाउनसाइज़िंग की अनुमति मांगी थी, लेकिन सरकार ने कहा कि “नौकरियां बचानी हैं, एयरलाइन बंद नहीं होनी चाहिए, बैंक सपोर्ट करेंगे।” इसके बाद ही घाटा गहराता गया और अंततः एयरलाइन बंद हो गई।
मीडिया ट्रायल और 'भगोड़ा' टैग पर खुलकर नाराजगी
उन्होंने कहा कि 2016 से अब तक मीडिया उन्हें चोर और ठग बताता रहा, लेकिन किसी ने नहीं बताया कि ₹14,100 करोड़ की वसूली भी हो चुकी है। उनके मुताबिक, जब तक उनके पास सरकारी रिपोर्ट नहीं थी, वो मीडिया से नहीं भिड़ना चाहते थे। लेकिन अब, जब सरकार ने यह स्वीकार किया है, तो वो चाहते हैं कि लोग उनका पक्ष भी सुनें। उन्होंने कहा, “Kingfisher Airlines का विफल होना मेरे गलत निर्णय नहीं, बल्कि आर्थिक और नीतिगत असफलताओं का नतीजा था।”
Air Deccan अधिग्रहण: मजबूरी नहीं, रणनीति थी
उन्होंने यह आरोप खारिज किया कि Air Deccan को उन्होंने सिर्फ इसलिए खरीदा ताकि अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के लिए पांच साल की शर्त को दरकिनार कर सकें। माल्या बोले, “मैं बेवकूफ नहीं हूं जो ₹1 में टिकट बेचने वाली एयरलाइन खरीदूं। Deccan को हमने इंडस्ट्री के समेकन (consolidation) के लिए खरीदा – उसका नेटवर्क, फ्लीट और ट्रेनिंग सब हमारे अनुकूल था।”
₹9,000 करोड़ का लोन, ₹14,100 करोड़ की वसूली – फिर मैं चोर कैसे?
माल्या ने बताया कि किंगफिशर ने ₹4,999 करोड़ का लोन लिया था, जो ब्याज मिलाकर ₹6,200 करोड़ हुआ। उन्होंने पर्सनल गारंटी दी, उनकी संपत्तियां ज़ब्त की गईं, विदेश की प्रॉपर्टीज़ सीज़ की गईं और कुल मिलाकर ₹14,100 करोड़ की वसूली हो चुकी है। वो बोले, “अगर मैं चोर होता, तो यह पैसा कहां से आता?” उन्होंने यह भी दावा किया कि उन्होंने 2012 से 2015 के बीच चार बार सेटलमेंट ऑफर दिए, लेकिन बैंकोंने ठुकरा दिए।
‘King of Good Times’ – मीडिया ने बनाया
माल्या ने कहा कि ‘King of Good Times’ एक टैगलाइन थी, जिसे मीडिया ने उनके पूरे व्यक्तित्व पर चिपका दिया। उन्होंने कहा कि कारें, यॉट और पार्टियां उन्होंने अपने पैसों से कीं, न कि बैंक लोन से। लेकिन मीडिया ने सिर्फ उनकी लाइफस्टाइल पर ध्यान केंद्रित कर उन्हें विलेन बना दिया।
"मेरी मां आज भी रोती हैं"
इंटरव्यू के एक भावुक हिस्से में माल्या ने बताया कि उनकी 98 वर्षीय मां आज भी TV पर उन्हें 'ठग' और 'भगोड़ा' कहे जाते सुनकर दुखी होती हैं। उन्होंने कहा, “मैंने उन्हें कहा था कि मैंने सब खुद बनाया है, विरासत में नहीं मिला। लेकिन जब वो ये सब देखती-सुनती हैं, तो उनकी आंखों में आंसू आ जाते हैं।”
क्या विजय माल्या भारत लौटेंगे?
इस सवाल पर माल्या का जवाब था, “अगर निष्पक्ष ट्रायल की गारंटी दी जाए, तो मैं भारत लौटने को तैयार हूं।” उन्होंने कहा कि वो कानून का सामना करना चाहते हैं, मगर निष्पक्ष न्याय चाहिए। हालांकि, भारत में मनी लॉन्ड्रिंग और बैंक धोखाधड़ी के मामले चल रहे हैं और ब्रिटेन की अदालतों में उनका प्रत्यर्पण लंबित है।
क्या विजय माल्या को जल्दबाज़ी में दोषी ठहरा दिया गया?
यह बातचीत माल्या को निर्दोष सिद्ध नहीं करती और न ही दोषी – यह तय करना अदालत का काम है। लेकिन पहली बार उन्होंने पूरे विस्तार से अपना पक्ष रखा है, जिसे गंभीरता से सुना जाना चाहिए। चाहे वो ₹14,100 करोड़ की वसूली हो, या एयरलाइन की विफलता के पीछे की सरकारी नीतियां – इन सभी पहलुओं पर सार्वजनिक विमर्श ज़रूरी है।
वर्षों तक चुप्पी थी, अब शायद भारत सुनेगा
यह कोई पब्लिसिटी स्टंट नहीं, बल्कि एक कोशिश है – उस शोर में अपनी आवाज़ दर्ज कराने की, जिसमें उन्हें पहले कभी नहीं सुना गया। अगर माल्या सही हैं, तो देश को आत्ममंथन करना चाहिए। अगर वो गलत हैं, तो हमें यह समझना चाहिए कि हमारी प्रणाली की कमज़ोरियाँ कहां थीं।