भारत में चांदी की कीमतें गुरुवार (5 जून) को इतिहास में पहली बार अपने सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गईं। स्पॉट मार्केट में चांदी ₹1,04,000 प्रति किलो के भाव पर बिकती नजर आई। इसके पीछे मुख्य वजह ट्रेडर्स की बढ़ती सक्रियता, वैश्विक अनिश्चितता और मजबूत तकनीकी संकेत माने जा रहे हैं, जिसने चांदी को नई ऊंचाई तक पहुंचा दिया।
ट्रेडिंग में दिखी जबरदस्त हलचल
बाजार में 17,560 लॉट की ट्रेडिंग देखने को मिली, जिससे यह संकेत मिलता है कि निवेशकों की चांदी में दिलचस्पी तेजी से बढ़ी है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि निवेशकों ने नई खरीदारी की शुरुआत की है, जिससे कीमतों में इजाफा हुआ। हालांकि भारत में चांदी के दाम आसमान छू रहे हैं, वहीं न्यूयॉर्क जैसे अंतरराष्ट्रीय बाजारों में थोड़ी गिरावट देखने को मिली। वहां चांदी की कीमत 0.10% गिरकर $34.46 प्रति औंस पर ट्रेड हो रही थी।
चांदी की बढ़ती मांग की वजहें
चांदी के दाम में बढ़ोतरी की एक अहम वजह अमेरिका की कमजोर होती अर्थव्यवस्था और वैश्विक तनाव है। जब भी आर्थिक हालात बिगड़ते हैं, निवेशक सुरक्षित विकल्प की तलाश में रहते हैं। ऐसे में सोना और चांदी जैसे पारंपरिक निवेश साधन प्रमुख रूप से सामने आते हैं। हाल के अमेरिकी आंकड़े इस बात की पुष्टि करते हैं कि सर्विस सेक्टर में गिरावट आई है और प्राइवेट सेक्टर में हायरिंग धीमी पड़ी है। इससे फेडरल रिजर्व से ब्याज दर में कटौती की उम्मीद और प्रबल हुई है, जिससे चांदी व सोने की कीमतें बढ़ती हैं।
तकनीकी दृष्टिकोण क्या कहता है?
Augmont Goldtech, जो सोना-चांदी के थोक कारोबार में शामिल है, उसने चांदी का सपोर्ट लेवल ₹96,000 प्रति किलो और रेजिस्टेंस ₹1,01,500 तय किया था। लेकिन अब चांदी की कीमत इस स्तर को पार कर चुकी है। यदि अंतरराष्ट्रीय संकेत सकारात्मक रहते हैं, तो कीमतें और ऊपर जा सकती हैं।
वैश्विक स्तर पर चांदी बीते महीने से $32.5 से $34 प्रति औंस के दायरे में चल रही थी, जिसे अब पार कर लिया गया है। अगला बड़ा रेजिस्टेंस लेवल $35 प्रति औंस हो सकता है।
सोना अब तक स्थिर, नज़र जॉब डेटा पर
चांदी के मुकाबले सोने में अभी कोई खास तेजी नहीं आई है क्योंकि निवेशक अमेरिकी नॉन-फार्म जॉब डेटा का इंतजार कर रहे हैं, जो शुक्रवार (6 जून) को आने वाला है। यदि यह डेटा कमजोर आता है, तो ब्याज दर में कटौती की संभावना बढ़ेगी, जिससे सोने की कीमतों में उछाल आ सकता है।
बाजार का मूड क्या कहता है?
इंडिया बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन की वाइस प्रेसिडेंट अक्षा कांबोज का कहना है, “बाजार इस वक्त उम्मीद और सतर्कता के बीच झूल रहा है। अमेरिका-चीन ट्रेड टेंशन, यूरोप के टैरिफ और मिडिल ईस्ट में तनाव जैसे वैश्विक घटनाक्रम सोने की कीमत को ऊंचा बनाए हुए हैं। हालांकि, यदि अमेरिका का जॉब डेटा अच्छा आता है, तो निवेशक मुनाफा वसूली के मूड में आ सकते हैं।”