अमेरिका ने एक बार फिर पूरी दुनिया को चौंकाते हुए ईरान के तीन अहम परमाणु प्रतिष्ठानों पर रविवार को अपने अत्याधुनिक B2 बॉम्बर्स से सीधा हमला कर दिया। इस हमले ने ईरान में भारी तबाही मचा दी है। धमाकों के बाद धुएं के बादल और तनाव की लहर पूरे क्षेत्र में फैल गई। इस गंभीर स्थिति में ईरान ने बेहद तीखी प्रतिक्रिया दी है और कहा है कि अमेरिका ने देश के परमाणु कार्यक्रम को निशाना बनाकर "कूटनीति को बर्बाद करने का निर्णय लिया है"। इसके साथ ही तेहरान ने दो टूक कह दिया है कि अब आगे क्या होगा, इसका फ़ैसला ईरान की सेना तय करेगी – वो भी समय, तरीका और स्तर तीनों मामलों में।
अब ईरानी सेना तय करेगी—कैसा होगा जवाब और कब दिया जाएगा
संयुक्त राष्ट्र में ईरान के राजदूत आमिर सईद इरावानी ने रविवार रात सुरक्षा परिषद की आपातकालीन बैठक में बेहद स्पष्ट शब्दों में कहा कि, “हमने अमेरिकी प्रशासन को कई बार आगाह किया था कि वह इस खतरनाक रास्ते पर न चले। लेकिन अमेरिका ने चेतावनियों को अनसुना कर ईरान के संवेदनशील परमाणु स्थलों पर हमला कर दिया। यह सीधा-सीधा एक राष्ट्र के आत्मसम्मान पर हमला है।” उन्होंने आगे कहा, “अब ईरान की सेना तय करेगी कि जवाब कब देना है, कैसे देना है और किस हद तक देना है। हम इस हमले को अनदेखा नहीं करेंगे। ज़रूरत पड़ी तो सभी आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।”
अमेरिका ने अंतरराष्ट्रीय कानून को रौंदा: इरावानी
इरावानी ने आरोप लगाया कि इस पूरे घटनाक्रम के पीछे इजरायल का इशारा है और प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को अपने हितों का मोहरा बना लिया है। उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका की यह कार्रवाई अंतरराष्ट्रीय कानून का गंभीर उल्लंघन है। उनके शब्दों में, “अमेरिका एक और बेमतलब और खर्चीले युद्ध में फंस चुका है, जिसकी कोई वैधता नहीं है। यह सब कुछ इजरायल के दबाव में हो रहा है, जिसने अमेरिका की विदेश नीति को हाईजैक कर लिया है।”
'ईरान ने कभी बातचीत का रास्ता छोड़ा ही नहीं'
ईरानी राजदूत ने बताया कि ईरान के विदेश मंत्री ने हाल ही में कई यूरोपीय देशों के साथ वार्ताएं की थीं, लेकिन अमेरिका ने एकतरफा हमले करके उस पूरी कूटनीतिक प्रक्रिया को ही तोड़ डाला। उन्होंने गहरी नाराजगी के साथ कहा, “अब पश्चिम कह रहा है कि ईरान को फिर से बातचीत की मेज पर आना चाहिए। लेकिन सवाल यह है — ईरान वापस कैसे लौटे किसी ऐसी चीज़ पर जिसे उसने कभी छोड़ा ही नहीं?” इरावानी ने मजबूती से कहा, “अब हमें अकेला छोड़ दें। हमारी संप्रभुता, हमारी सुरक्षा और हमारे राष्ट्रीय हितों के साथ छेड़छाड़ अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी।”