कभी-कभी एक सच्चा भावनात्मक क्षण पूरे देश को छू जाता है — ऐसा ही हुआ महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजीनगर में, जहां एक 93 वर्षीय बुज़ुर्ग अपनी पत्नी के लिए मंगलसूत्र खरीदने पहुंचे। इस प्रेम से भरे पल को देखकर न सिर्फ दुकानदार बल्कि पूरा इंटरनेट भावुक हो गया। इस वीडियो और उसके पीछे की कहानी ने करोड़ों दिलों को छू लिया है।
प्रेम की कीमत नहीं होती, ये उदाहरण बन गया
इस बुज़ुर्ग दंपति का वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है। दोनों हाथों में हाथ डाले एक ज्वेलरी की दुकान में पहुंचे और बड़े प्यार से मंगलसूत्रों को देखने लगे। जब उन्होंने एक मंगलसूत्र पसंद किया तो दुकानदार ने उनसे विनम्रता से पूछा, "आपके पास कितने पैसे हैं?" इस पर महिला ने अपने पास से ₹1,120 निकाले।
दुकानदार ने मुस्कराते हुए मजाक में कहा, "इतने सारे पैसे?" यह सुनकर बुज़ुर्ग को लगा कि पैसे कम हैं। उन्होंने तुरंत अपने झोले से दो बंडल सिक्के और निकाल लिए, ताकि बाकी रकम भी चुका सकें।
For those who couldnt understand Marathi.
— Dr Poornima 🇮🇳 (@PoornimaNimo) June 18, 2025
A video from Chhatrapati Sambhajinagar (formerly Aurangabad) is winning hearts across India, capturing the beautiful bond between a 93-year-old man and his wife.
The elderly couple walked into the shop hand-in-hand and began browsing… pic.twitter.com/dwhHjXmkmK
मात्र ₹20 में मिला मंगलसूत्र, भावुक हो उठा हर कोई
लेकिन इसके बाद जो हुआ उसने इस प्रेम कहानी को और भी खास बना दिया। दुकानदार ने पूरे पैसे लेने से इनकार कर दिया और कहा कि वह सिर्फ ₹20 ही लेगा — ₹10 पति से और ₹10 पत्नी से। यह उसकी तरफ से उस प्रेम को सम्मान देने का छोटा-सा प्रयास था, जिसे यह जोड़ा पिछले कई दशकों से निभा रहा है।
दंपति इस gesture से भावुक हो उठे और दुकान का स्टाफ भी इस नज़ारे से गीली आंखें लिए खड़ा रह गया।
प्रभु ने देखी तुम्हारी करुणा, लिखा गया सोशल मीडिया पर
इस वीडियो के साथ एक पोस्ट में लिखा गया, “प्रिय Gopika Jewellers के मालिक, अगर आप यह पढ़ रहे हैं, तो जान लीजिए — प्रभु श्रीकृष्ण ने इस कलियुग में आपकी दया और करुणा को देखा है। बहुत जल्द आपको उसका कई गुना फल मिलेगा। एवमस्तु!”
इस कहानी ने यह साबित कर दिया है कि आज के दौर में भी सच्चा प्रेम और इंसानियत जिंदा हैं। यह सिर्फ एक वीडियो नहीं, बल्कि उस भावना की मिसाल है जो रिश्तों की नींव बनाती है। ऐसे ही छोटे-छोटे पलों में समाज को उम्मीद की रोशनी दिखाई देती है।