वाराणसी: मुगलकालीन मोहल्लों के नाम बदलने की मांग को लेकर पूरे देश में एक आंदोलन चल रहा है। इस आंदोलन में महान सूर्यवीरों, मुगलों के विरोधी महापुरुषों और सनातन धर्म से जुड़े देवी-देवताओं के नाम पर मोहल्लों और क्षेत्रों के नाम बदलने की मांग की जा रही है। हाल ही में वाराणसी के औरंगाबाद मोहल्ले का नाम बदलने की मांग उठी थी, जहां इसे औरंगजेब के नाम से जोड़ा गया था। इस पर एक हिंदूवादी संगठन ने इसे सनातन संस्कृति से जोड़ते हुए नाम बदलने की मांग की थी। अब नगर निगम इस मांग पर विचार करते हुए इस मोहल्ले का नाम बदलकर लक्ष्मी नगर या नारायणी धाम नगर करने पर विचार कर रहा है।
इसके अलावा, वाराणसी में 50 से अधिक मोहल्लों के नाम बदलने की योजना भी बनाई जा रही है। बीएचयू और संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के विद्वान और हिंदूवादी संगठन मिलकर इस पर मंथन कर रहे हैं। माना जा रहा है कि आने वाले महीने के भीतर वाराणसी में बड़े स्तर पर मुगलों के नाम से जुड़े मोहल्लों के नाम बदलकर सनातन धर्म और महापुरुषों के नाम पर रखे जा सकते हैं।
आज कार्यकारिणी की बैठक में रखा जाएगा प्रस्तावः
वाराणसी नगर निगम के जनसंपर्क अधिकारी संदीप श्रीवास्तव ने बताया कि आज कार्यकारिणी की महत्वपूर्ण बैठक आयोजित होने जा रही है, जिसमें एक दर्जन से अधिक मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। बैठक में प्रस्ताव पर सहमति बनाने के बाद इसे मिनी सदन के पटल पर रखा जाएगा, जहां सभी की सहमति के साथ इसे पास किया जाएगा। इस बैठक में विशेष रूप से औरंगाबाद मोहल्ले का नाम बदलकर लक्ष्मी नगर या नारायणी धाम रखने का प्रस्ताव भी चर्चा में आएगा। कार्यकारिणी की बैठक महापौर अशोक तिवारी की अध्यक्षता में होगी।
औरंगाबाद पर एक नजरः
औरंगाबाद मोहल्ला वह स्थान है, जहां मुगल शासक औरंगजेब की सराय हुआ करती थी। वर्तमान में इस स्थान पर बक्सा और अलमारी का काम किया जाता है। इस मोहल्ले में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिवंगत पूर्व मुख्यमंत्री पंडित कमलापति त्रिपाठी का आवास भी स्थित है, जिसे अब औरंगाबाद आवास के नाम से जाना जाता है। नगर निगम प्रशासन ने अब इस मोहल्ले के नाम बदलने की तैयारी की है, और इसे आज कार्यकारिणी की बैठक में प्रस्ताव के रूप में रखा जाएगा। अंतिम मंजूरी इस प्रस्ताव को मिनी सदन की बैठक में पार्षदों की सहमति के बाद मिलेगी।
इस संगठन ने सबसे पहले उठाई मांग:
वाराणसी में मोहल्ले के नाम बदलने को लेकर चर्चा तेज हो गई है, और इसके पीछे प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं सनातन रक्षक दल के अजय शर्मा। अजय शर्मा ने फोन पर बताया कि उन्होंने इस मुद्दे को जनवरी से उठाना शुरू किया था और कई मोहल्लों के नाम बदलने की मांग महापौर से मिलकर की थी। इसके लिए उन्होंने 50 से ज्यादा मोहल्लों के नाम बदलने के लिए एक ड्राफ्ट तैयार किया है। इस ड्राफ्ट में बनारस के तेलू की गली, अविमुक्त के पश्चिम द्वार का नाम गोकर्ण तीर्थ, काजीकला का नाम ध्रुव तीर्थ, गोलगड्डा का नाम विश्वकर्मा तीर्थ, और चौखम्भा का नाम अमीरचंद रखने की मांग की गई है। इसके अलावा, फातमान रोड, बादशाहबाग का नाम बदलकर विमल तीर्थ करने की मांग भी की गई है। अजय शर्मा ने बताया कि उन्होंने महापौर से इस संबंध में मुलाकात की थी, और महापौर ने विद्वानों के साथ इस पर एक योजना तैयार करने के निर्देश दिए थे, जिस पर वे काम कर रहे हैं।
किस मोहल्ले के लिए क्या नाम:
हाल ही में जिन मोहल्लों के नाम बदलने की योजना बनाई जा रही है, उनमें खालिसपुरा का नाम ब्रह्मतीर्थ, मदनपुरा का नाम पुष्पदंतेश्वर, कज्जाकपुरा का नाम अनारक तीर्थ, अंबिया मंडी का नाम अमरेश्वर तीर्थ, पीली कोठी का नाम स्वर्ण तीर्थ, और औरंगाबाद का नाम लक्ष्मी नगर या नारायणी धाम करने का प्रस्ताव है। इसके अलावा शिव मंदिर तिलभांडेश्वर के नाम पर भी मोहल्ले का नाम रखने का प्रस्ताव है। इस संबंध में एक ड्राफ्ट तैयार किया गया है, जिसे जल्द ही नगर निगम के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा।
कई मोहल्लों में 70 फीसदी से ज्यादा आबादी अल्पसंख्यक:
सबसे बड़ी बात यह है कि जिन मोहल्लों के नाम बदलने की योजना बनाई जा रही है, वहां मिश्रित आबादी रहती है, लेकिन विशेष वर्ग के लोगों की आबादी 70% से ज्यादा है। इसके अलावा, वाराणसी के फुलवरिया में हाल ही में बनी नई सड़क पर शिवजी की प्रतिमा लगाने की मांग शिव सैनिकों ने की है, और वहां भूमि पूजन भी किया गया है। अब वाराणसी में महापुरुषों के नाम पर सड़कों के नामकरण की मांग भी जोर पकड़ने लगी है।