सुप्रीम कोर्ट ने दी शरद-अजित गुट को नसीहत, करना होगा अदालत के दिशा-निर्देशों का पालन

By: Rajesh Bhagtani Thu, 04 Apr 2024 4:40:31

सुप्रीम कोर्ट ने दी शरद-अजित गुट को नसीहत, करना होगा अदालत के दिशा-निर्देशों का पालन

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर गुरुवार को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के घड़ी चिह्न को लेकर सुनवाई की। इस दौरान अदालत ने कहा कि अब समय आ गया है कि दोनों गुटों (शरद-अजित पवार) के नेताओं को अदालत में न होकर कहीं और होना चाहिए। साथ ही आदेश दिया की दोनों खेमों के नेता विधानसभा और आम चुनावों के लिए प्रचार सामग्री में प्रतीकों, पार्टी के नाम और डिस्क्लेमर के उपयोग पर उसके दिशा-निर्देशों का पालन करें।

इस बात पर गौर करते हुए कि समाचार पत्रों में सार्वजनिक विज्ञापन किसी कोनों में दबे हुए थे, न्यायमूर्ति सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने अजित पवार पक्ष से नए सिरे से प्रमुखता से सार्वजनिक सूचना जारी करने को कहा। पीठ में न्यायमूर्ति के.वी. विश्वनाथन भी शामिल थे।

इसने अजित पवार का पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी से राकांपा कार्यकर्ताओं, पदाधिकारियों और उम्मीदवारों को शीर्ष अदालत के निर्देश की अवहेलना नहीं करने के लिए जागरूक करने को भी कहा।

दरअसल, अदालत ने 19 मार्च को निर्देश दिया था कि एनसीपी अपने सभी विज्ञापनों में यह डिस्क्लेमर जरूर दे कि घड़ी चिह्न का उपयोग एक विचाराधीन मामला है। इसी को लेकर दोनों गुटों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। दोनों ने एक-दूसरे पर आरोप लगाया था कि अदालत के आदेश का अनुपालन नहीं किया गया है। इस मामले की न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की खंडपीठ सुनवाई कर रही है।

इसके अलावा, अदालत ने स्पष्ट किया कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी-शरदचंद्र पवार (एनसीपी-एसपी) - जिसके पास 'तुरहा बजा रहा आदमी' का निशान है - भी अदालत के आदेशों का पालन करेगी और "घड़ी" चिह्न का उपयोग नहीं करेगी।

पीठ शरद पवार गुट द्वारा दायर एक आवेदन पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें 19 मार्च के अंतरिम निर्देश का अनुपालन न करने का आरोप लगाया गया था।

इसी तरह, पीठ ने अजित पवार गुट से अखबारों में बड़े और प्रमुख विज्ञापन जारी करने को कहा, जिसमें कहा गया हो कि उसे 'घड़ी' के चिह्न का आवंटन न्यायालय के 19 मार्च के आदेश के अनुरूप विचाराधीन है। इसके अलावा, पीठ ने अपने आदेश में संशोधन करने से इनकार कर दिया जैसा कि अजित पवार के नेतृत्व वाले ब्लॉक ने अनुरोध किया था।

न्यायालय ने महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार नीत पार्टी के धड़े से अंग्रेजी, हिंदी और मराठी में अखबारों में यह सार्वजनिक नोटिस जारी करने को कहा है कि ‘घड़ी’ चुनाव चिह्न आवंटन का मुद्दा अदालत में विचाराधीन है और इस चिह्न का उपयोग फैसले के आधार पर होगा। शीर्ष अदालत ने कहा था, 'यह डिस्क्लेमर एनसीपी राजनीतिक दल द्वारा जारी किए जाने वाले हर पर्चे, विज्ञापन, ऑडियो या वीडियो में शामिल होना चाहिए।'

बुधवार को वरिष्ठ नेता शरद पवार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने गैर-अनुपालन के मुद्दे का उल्लेख करते हुए कहा कि अजित पवार के नेतृत्व वाली पार्टी ने अदालत के निर्देश के संदर्भ में किसी भी समाचार पत्र में सूचना प्रकाशित नहीं की, बल्कि 19 मार्च के आदेश में ढील देने की मांग करते हुए एक आवेदन दिया है।

इस पर जस्टिस कांत की अगुवाई वाली बेंच ने मामले को अगले ही दिन सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया और अजित पवार के वकील से मामले में निर्देश प्राप्त करने को कहा और समाचार पत्रों में प्रकाशित डिस्क्लेमरों का विवरण मांगा।

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