जयपुर। राज्य सरकार द्वारा की गई बजट घोषणाओं को धरातल पर उतारने और प्रशासन में पारदर्शिता व जवाबदेही सुनिश्चित करने के उद्देश्य से राजस्थान सरकार नौकरशाही में व्यापक फेरबदल की तैयारी में है। सरकार से जुड़े विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, आईएएस अधिकारियों की तबादला सूची तैयार हो चुकी है, और अब सिर्फ मुख्यमंत्री की अंतिम मंजूरी का इंतजार है। यह सूची कभी भी जारी की जा सकती है।
कई जिलों के कलेक्टर बदले जाने की संभावना
सूत्रों की मानें तो इस तबादला सूची में कई जिलों के कलेक्टरों को बदले जाने की संभावना है। हाल ही में सचिवालय में हुई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में कुछ कलेक्टरों की कार्यशैली पर मुख्य सचिव ने असंतोष जताया था। साथ ही ruling पार्टी के कई विधायक और मंत्री भी अपने जिलों के प्रशासनिक अधिकारियों के कामकाज से असंतुष्ट हैं और उन्होंने सीएम से प्रशासनिक फेरबदल की मांग की है। इसे देखते हुए कई जिलों में प्रशासनिक नेतृत्व में बदलाव लगभग तय माना जा रहा है।
गहलोत सरकार के समय से जमे अफसरों की भी होगी अदला-बदली
राज्य में सत्ता परिवर्तन के डेढ़ साल बाद भी कई वरिष्ठ अधिकारी पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के समय से ही महत्वपूर्ण पदों पर कायम हैं। इनमें गृह, वित्त, शिक्षा और कर जैसे विभाग शामिल हैं। ऐसे में अब इन पदों पर भी नई नियुक्तियों की संभावना जताई जा रही है।
• आनंद कुमार, एसीएस गृह, अक्टूबर 2022 से पदस्थ
• अखिल अरोड़ा, एसीएस वित्त, नवंबर 2020 से पद पर
• आशुतोष गुप्ता, चीफ कंट्रोलर, आरपीएससी
• रामदयाल मीणा, सदस्य, कर बोर्ड
• एमएल चौहान, एडिशनल डायरेक्टर, HCM रीपा, उदयपुर
इन सभी को अब अन्य विभागों में स्थानांतरित किया जा सकता है ताकि नई ऊर्जा और दृष्टिकोण के साथ कार्यों को गति दी जा सके।
प्रतिनियुक्ति पर गए अफसरों से भी राज्य सरकार को परेशानी
राज्य में वरिष्ठ आईएएस अफसरों की कमी के बीच 19 अधिकारी केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर हैं, और एक जम्मू-कश्मीर में तैनात हैं।
केंद्र में तैनात प्रमुख अधिकारी
वी श्रीनिवास, रजत मिश्रा, तन्मय कुमार, रोहित कुमार, रोली सिंह, राजीव सिंह ठाकुर, मुग्धा सिन्हा, टीना सोनी, गौरव गोयल, सिद्धार्थ महाजन, मुक्तानंद अग्रवाल, प्रकाश राजपुरोहित, आशीष गुप्ता आदि। इनमें से चार अधिकारी इसी साल 2025 में दिल्ली गए हैं, जिससे राज्य में अनुभवी अफसरों की कमी और भी गंभीर हो गई है।
'होमवर्क पूरा, अब निर्णय का समय': राजनीतिक विश्लेषक
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, “विधानसभा सत्र समाप्त होने के बाद अब सरकार के सामने चुनौती है कि बजट में की गई घोषणाओं को अमल में कैसे लाया जाए। इसके लिए प्रशासन में तेजी लाने वाले और जवाबदेह अधिकारियों की जरूरत है।” वैसे भी अप्रैल माह परंपरागत रूप से तबादलों का समय होता है, ऐसे में अब देर नहीं करनी चाहिए।
विश्लेषकों का यह भी कहना है कि अब समय आ गया है कि पूर्व सरकार के समय से जमे अफसरों की जगह नई टीम को मौका मिले, ताकि प्रशासनिक कार्यों में नयापन और गति दोनों सुनिश्चित की जा सके।