जयपुर में शुक्रवार अल सुबह मालवीय नगर इंडस्ट्रियल एरिया में एक लेपर्ड देखा गया, जिससे इलाके में हड़कंप मच गया। सड़क पर मौजूद एक मजदूर ने लेपर्ड को अपनी ओर आते देखा और घबराकर फैक्ट्री में छिप गया। कुछ देर सड़क पर घूमने के बाद लेपर्ड झालाना के जंगल की ओर लौट गया। झालाना लेपर्ड रिजर्व के पास स्थित मालवीय नगर इंडस्ट्रियल एरिया में यह घटना सुबह 3 बजे घटी। मजदूर फैक्ट्री से बाहर निकला और कुछ कदम चलने के बाद 3:04 बजे उसने अचानक सड़क पर भागते हुए लेपर्ड को देखा। डर के मारे मजदूर तुरंत पास की फैक्ट्री में छिप गया, जिससे उसकी जान बच गई। मजदूर राम भजन मीणा ने कहा, "लेपर्ड को इतने नजदीक से देखकर मैं बहुत डर गया। मेरे साथी भी डरे हुए हैं। सरकार को वन्यजीवों को रिहायशी इलाकों में आने से रोकने की पुख्ता व्यवस्था करनी चाहिए।"
स्थानीय निवासी योगेश नरूला ने बताया कि झालाना जंगल से सटे इलाकों में अक्सर लेपर्ड देखे जाते हैं। उन्होंने कहा, "हमारा मानना है कि जंगल में पर्याप्त भोजन न मिलने के कारण ये वन्यजीव शहर में आ रहे हैं। सरकार को इन्हें जंगल में ही भोजन उपलब्ध कराना चाहिए ताकि वे रिहायशी इलाकों में न आएं।"
पहले भी आबादी क्षेत्र में पहुंच चुके लेपर्ड
जयपुर के झालाना और आमागढ़ लेपर्ड रिजर्व के कारण शहर में अक्सर लेपर्ड मूवमेंट देखा जाता है, जिससे रिहायशी इलाकों में दहशत बनी रहती है। हाल ही में कई घटनाएं सामने आई हैं, जहां लेपर्ड आबादी क्षेत्र में पहुंच चुके हैं। 7 फरवरी को जगतपुरा के CBI फाटक के पास हरी नगर कॉलोनी में एक लेपर्ड देखा गया था, जबकि 12 जनवरी को यह नहर के गणेश जी मंदिर की पहाड़ियों तक पहुंच गया था। पिछले साल 7 दिसंबर को विद्याधर नगर में लेपर्ड की मौजूदगी से चार घंटे तक डर का माहौल बना रहा। इसके अलावा, जयसिंहपुरा खोर, मानबाग, जगतपुरा की आशियाना ग्रीनवुड सोसाइटी, दिल्ली रोड, जमवारामगढ़, मालवीय नगर और झालाना इलाके में भी कई बार लेपर्ड देखे जा चुके हैं। इन घटनाओं के दौरान लेपर्ड ने कई बार मवेशियों और जंगली जानवरों को अपना शिकार बनाया, जबकि जमवारामगढ़ इलाके में एक मासूम बच्चे की भी जान चली गई थी। स्थानीय लोगों की मांग है कि वन विभाग इस बढ़ते खतरे को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए, ताकि रिहायशी इलाकों में इस तरह की घटनाएं न हों।
जयपुर में 75 लेपर्ड रह रहे
जयपुर में पिछले कुछ वक्त से लेपर्ड की संख्या लगातार बढ़ रही है। झालाना, आमागढ़ और नाहरगढ़ सफारी में लगभग 75 लेपर्ड रह रहे हैं। इनमें सबसे अधिक लगभग 45 लेपर्ड झालाना में हैं। 20 से ज्यादा लेपर्ड आमागढ़ के जंगलों में हैं। जयपुर देश का पहला ऐसा शहर है, जहां 2 लेपर्ड सफारी, एक लॉयन सफारी, एक टाइगर और एक एलिफेंट सफारी है।