हर साल नौतपा वे नौ दिन होते हैं जब सूर्य का तापमान अपने चरम पर होता है, और इस बार इसकी शुरुआत आज से हो गई है। यह काल 3 जून तक चलेगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जब सूर्य, ज्येष्ठ माह में रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करता है, तभी नौतपा की शुरुआत होती है। हालांकि यह अवधि कुल 15 दिनों की मानी जाती है, पर पहले 9 दिन सबसे अधिक गर्म और प्रभावशाली होते हैं।
इस साल मौसम की स्थिति को देखते हुए भले ही तापमान में कुछ कमी दिख रही हो, लेकिन आध्यात्मिक दृष्टिकोण से नौतपा का बहुत महत्व है। यह समय न केवल प्रकृति की उष्णता को दर्शाता है, बल्कि इसे शरीर, मन और पर्यावरण को शुद्ध करने का एक विशेष अवसर भी माना गया है। धर्मग्रंथों में इस दौरान की गई तपस्या, सेवा और दान को अत्यंत पुण्यदायक कहा गया है।
नौतपा में क्या करें?
- जब सूर्य देव रोहिणी नक्षत्र में होते हैं, तब प्रतिदिन प्रातःकाल स्नान कर तांबे के लोटे में जल, लाल पुष्प, चावल और रोली डालकर सूर्य को अर्घ्य देना अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दौरान “ॐ घृणि सूर्याय नमः” मंत्र का जप करें।
- सूर्य देव की विशेष कृपा पाने हेतु “आदित्य हृदय स्तोत्र”, “सूर्य चालीसा” और “गायत्री मंत्र” का पाठ अवश्य करें।
- इस काल में प्याऊ लगवाना, पक्षियों के लिए पानी की व्यवस्था करना और पेड़ों की सेवा करना धर्म और प्रकृति सेवा का प्रतीक माना जाता है।
नौतपा में क्या नहीं करें?
- शास्त्रों के अनुसार नौतपा के समय किसी भी प्रकार के मांगलिक कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन आदि करना वर्जित है। इन कार्यों को करने से परिवार में अशांति और बाधाएं उत्पन्न हो सकती हैं।
- अगर इस दौरान कोई व्यक्ति आपसे जल या अन्न मांगता है, तो उसे खाली हाथ नहीं लौटाना चाहिए। अपनी सामर्थ्य के अनुसार दान अवश्य करें, इससे पुण्य की प्राप्ति होती है।
- इस समय सूर्य से जुड़ी वस्तुओं – जैसे गेहूं, गुड़, घी, केसर आदि – का अनादर या अपमान नहीं करना चाहिए। मान्यता है कि इन चीजों का तिरस्कार करने से आर्थिक स्थिति पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।
डिस्क्लेमर: यह लेख धार्मिक मान्यताओं और पंचांग आधारित जानकारी पर आधारित है। किसी विशेष निर्णय या अनुष्ठान से पहले योग्य पंडित या ज्योतिषी से परामर्श अवश्य लें।