पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी शनिवार को नई दिल्ली में हुई नीति आयोग की बैठक में शामिल नहीं हुईं। इसे लेकर राज्य की सियासत तेज हो गई है। हालांकि अधिकारिक रूप से ममता बनर्जी की ओर से बैठक में शामिल नहीं होने की वजह नहीं बताई गई है, लेकिन तृणमूल कांग्रेस के सूत्रों ने इस पर प्रतिक्रिया दी है और बताया है कि आखिर ममता बनर्जी इस महत्वपूर्ण बैठक से दूर क्यों रहीं।
पिछली नीति आयोग की बैठक में ममता बनर्जी शामिल हुई थीं, लेकिन उन्होंने आरोप लगाया था कि उनके भाषण के बीच में ही उनका माइक्रोफोन बंद कर दिया गया था। उस घटना से आहत होकर वह बैठक बीच में ही छोड़कर चली गई थीं। इस बार मुख्यमंत्री ममता बनर्जी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में होने वाली मुख्यमंत्रियों की नीति आयोग की बैठक में अनुपस्थित रहीं।
भारत ने 2047 तक एक विकसित देश बनने का लक्ष्य रखा है। बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की बैठक में सभी मुख्यमंत्रियों के साथ इस लक्ष्य की दिशा में आगे बढ़ने को लेकर चर्चा की। उन्होंने स्पष्ट किया कि अगर कोई राज्य विकसित होता है, तो तभी देश का समग्र विकास संभव है।
माइक्रोफोन बंद करने को लेकर ममता नाराज
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इस बार नीति आयोग की बैठक में नहीं पहुंचीं। उन्होंने पिछले साल बैठक में हिस्सा लिया था, लेकिन बीच में ही निकल गई थीं। उनका कहना था कि उन्हें अपने भाषण में बंगाल की उपेक्षा की बात कहने नहीं दी गई और उनका माइक बंद कर दिया गया। यह बैठक 27 जुलाई को आयोजित की गई थी और उस दौरान 10 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश अनुपस्थित थे।
भाजपा ने ममता पर बोला हमला
नीति आयोग की बैठक से ममता बनर्जी के दूर रहने पर प्रदेश भाजपा प्रवक्ता शमिक भट्टाचार्य ने कहा, "पिछली बार मुख्यमंत्री ने शिकायत की थी कि उनके भाषण के दौरान माइक बंद कर दिया गया था, लेकिन उस पर किसी अधिकारी ने समर्थन नहीं किया। जब केंद्र और राज्य मिलकर सामाजिक-आर्थिक नीतियाँ बना रहे हैं, ऐसे समय में मुख्यमंत्री का न आना दुर्भाग्यपूर्ण है।"
उन्होंने आगे कहा कि पश्चिम बंगाल पहले ही विकास के मामले में पिछड़ा हुआ है। लाखों प्रवासी श्रमिक हैं और राज्य से टैलेंट बाहर जा रहा है। ऐसी स्थिति में नीति आयोग की बैठक से दूरी बनाना राज्य को और संकट में डालने जैसा है। उन्होंने कहा कि यह फैसला राज्य के हितों को पीछे छोड़कर केवल विपक्षी राजनीति करने जैसा है।
बैठक में शामिल नहीं होने की तृणमूल ने बताई ये वजह
मुख्यमंत्री की गैरमौजूदगी पर तृणमूल कांग्रेस के नेता जयप्रकाश मजूमदार ने कहा, "नीति आयोग की बैठक में अगर संघीय ढांचे के अनुरूप चर्चा नहीं हो सकती, तो उसका कोई अर्थ नहीं रह जाता। पिछली बार माइक बंद करना एक अपमानजनक घटना थी। ऐसे में मुख्यमंत्री क्यों जाएंगी, अपमानित होने के लिए?"
उन्होंने कहा, "अगर बंगाल के मुद्दों को रखने की अनुमति नहीं है तो वहां जाने का क्या तात्पर्य है? मुख्यमंत्री बंगाल के साथ हो रही उपेक्षा को उजागर कर रही हैं। केंद्र ने जिस तरह से माइक बंद कर संदेश दिया, वो अब तक की सबसे निंदनीय घटना थी। हमें नहीं पता कि भविष्य में ऐसा फिर होगा या नहीं।"