जोधपुर। राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता अशोक गहलोत ने अपने दो दिवसीय जोधपुर दौरे के दौरान प्रदेश और केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा। रवाना होने से पहले मीडिया से बातचीत करते हुए गहलोत ने न सिर्फ अमेरिकी नीतियों और उसकी भूमिका पर सवाल उठाए, बल्कि भारत सरकार की कूटनीतिक प्रतिक्रिया को भी कमजोर बताया। उन्होंने कहा कि अमेरिका ने हमेशा भारत के महत्वपूर्ण क्षणों में साथ नहीं दिया, चाहे बात गोवा और सिक्किम के विलय की हो, पाकिस्तान के विभाजन की या फिर कारगिल युद्ध की। ऐसे में ट्रंप द्वारा भारत-पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता की पेशकश पर भारत सरकार को सख्त रुख अपनाना चाहिए था।
गहलोत ने तीखे शब्दों में कहा, "ट्रंप कौन होते हैं हमारे आंतरिक मामलों में पंचायती करने वाले? भारत और पाकिस्तान के बीच कोई तीसरा पक्ष स्वीकार्य नहीं हो सकता। दुर्भाग्य की बात है कि भारत सरकार ने उस वक्त ट्रंप की बयानबाज़ी का कोई औपचारिक खंडन नहीं किया। क्या विदेश नीति इतनी कमजोर हो गई है?"
तिरंगा यात्रा पर सवाल, एकता के नाम पर दिखावा
पूर्व मुख्यमंत्री ने सरकार द्वारा निकाली जा रही 'तिरंगा यात्रा' पर भी सवाल खड़े किए और आरोप लगाया कि इसका मकसद जनता की भावनाओं को भड़काना है। उन्होंने कहा, "जिस तिरंगे को ये लोग आज अपना राजनीतिक औजार बना रहे हैं, उसी तिरंगे के प्रति इनका पहले कभी लगाव नहीं दिखा। आज जब देश में असंतोष है, असली मुद्दों से ध्यान हटाना है, तो यह यात्रा निकाली जा रही है। सरकारी धन का खुलेआम दुरुपयोग हो रहा है।"
बिजली और पानी की गंभीर स्थिति पर जताई चिंता
गहलोत ने प्रदेश की मूलभूत समस्याओं की ओर ध्यान दिलाते हुए कहा कि बिजली और पानी की स्थिति बेहद भयावह है। "सरकार ने बड़े-बड़े दावे किए थे, पर धरातल पर कुछ नहीं हुआ। यमुना से पानी लाने की बात की गई थी, लेकिन वो सिर्फ एक सपना बनकर रह गया। गर्मी के इस दौर में न तो पीने का पानी उपलब्ध है, न ही बिजली की नियमित आपूर्ति हो रही है," उन्होंने कहा। साथ ही उन्होंने नरेगा मजदूरों के लिए काम के घंटे घटाने और उचित प्रबंधन की मांग की।
नेशनल हेराल्ड प्रकरण में ‘राजनीतिक षड्यंत्र’ का आरोप
गहलोत ने कांग्रेस द्वारा नेशनल हेराल्ड अखबार को दोबारा शुरू करने के प्रयासों का भी ज़िक्र किया और कहा कि यह सरकार को रास नहीं आया। "1938 में शुरू हुआ यह अखबार कांग्रेस के विचारों का प्रतिबिंब रहा है। जब इसे पुनः आरंभ करने का प्रयास किया गया, तो सरकार ने षड्यंत्र रचकर ईडी को सक्रिय कर दिया। एक रुपये का भी सीधा लेन-देन नहीं हुआ, फिर भी कार्रवाई की जा रही है। ऐसा लगता है कि सरकार विपक्ष की आवाज़ को दबाना चाहती है," उन्होंने कहा।
राहुल गांधी पर सवाल उठाने से क्यों घबराती है सरकार?
अंत में गहलोत ने राहुल गांधी द्वारा उठाए गए सवालों को जायज ठहराते हुए कहा कि सरकार उनके सवालों से डरती है। “जब राहुल गांधी बोलते हैं, तो सरकार को मिर्ची क्यों लगती है? लोकतंत्र में सवाल पूछना अधिकार है, लेकिन इस अधिकार को खत्म करने की कोशिश की जा रही है।”