दिल्ली विधानसभा में शुक्रवार को मुस्तफाबाद विधानसभा क्षेत्र का नाम बदलकर 'शिव विहार' करने का प्रस्ताव पेश किया जाना था, लेकिन विपक्ष की अनुपस्थिति के कारण इसे टाल दिया गया। इस प्रस्ताव को दिल्ली विधानसभा के उपाध्यक्ष और स्थानीय विधायक मोहन सिंह बिष्ट ने निजी संकल्प के रूप में लाने की योजना बनाई थी। उन्होंने कहा कि इलाके के लोग 'शिव विहार' नाम रखने की प्रबल इच्छा रखते हैं और आने वाले दिनों में यह प्रस्ताव फिर से पेश किया जाएगा। उनका कहना है कि मुस्तफाबाद का नाम एक प्रॉपर्टी डीलर के नाम पर रखा गया था, लेकिन अब जनता इसे बदलकर 'शिव विहार' करना चाहती है।
बाबरपुर का नाम बदलकर 'डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम नगर' करने की मांग
मुस्तफाबाद का नाम बदलने का प्रस्ताव भले ही टल गया हो, लेकिन बाबरपुर विधानसभा क्षेत्र का नाम बदलने की नई मांग उठी है। घोंडा से विधायक अजय महावर ने बाबरपुर का नाम बदलकर डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम नगर रखने की मांग की है। उन्होंने कहा कि बाबर एक आक्रांता था जिसने अयोध्या में भगवान राम जन्मभूमि का मंदिर ध्वस्त किया और देश में आतंक फैलाया। ऐसे व्यक्ति के नाम पर दिल्ली में एक विधानसभा क्षेत्र नहीं होना चाहिए। इसके विपरीत, डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम एक महान वैज्ञानिक और प्रेरणादायक व्यक्तित्व थे, जिनके नाम पर कोई आपत्ति नहीं होगी। उन्होंने यह भी कहा कि जल्द ही विधानसभा में इस संबंध में प्रस्ताव लाया जाएगा।
अब विधायक सेवा विभाग से प्रश्न पूछ सकेंगे
दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया, जिसमें स्पष्ट किया गया कि अब विधायक दिल्ली सरकार के सेवा विभाग से संबंधित प्रश्न पूछ सकेंगे। पिछली सरकार के दौरान, सेवा विभाग ने केंद्र सरकार से संचार का हवाला देते हुए विधायकों के प्रश्नों के उत्तर देने से इनकार कर दिया था। हालांकि, सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि सेवा विभाग आरक्षित विषय नहीं है, और इस पर विधानसभा में चर्चा हो सकती है।
इस फैसले का प्रभाव
इस फैसले से विधायकों को सेवा विभाग से जुड़े मामलों में अधिक पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी। अब वे आईएएस और ग्रुप ए अधिकारियों की नियुक्ति और स्थानांतरण जैसे विषयों पर सवाल उठा सकेंगे। इसके अलावा, दिल्ली सरकार के गृह विभाग (जैसे आपराधिक कानून, अभियोजन और अग्निशमन सेवा) और भूमि एवं भवन विभाग (जैसे भूमि आवंटन, आवास) से जुड़े कई विषय अब आरक्षित नहीं माने जाएंगे।