दुनिया मे ही नहीं बल्कि मिल्की वे मे भी है इन 10 भारत वासियो का नाम
By: Megha Wed, 14 June 2017 2:15:13
आकाशगंगा को मंदाकनी या मिल्कीवे भी कहा जाता है। जिस मे हमारी पृथ्वी और सौरमंडल भी स्थित है। आकाशगंगा उपग्रह है जिस मे से एक हमारी पृथ्वी पर ही जीवन है। और जितने भी उपग्रह है उन सबको हमारे वैज्ञानिको के नाम पर उनके नाम रख दिए गए है। जिस मे से हाल ही मे सहिति है जिन्होंने कचरे को दुबारा से काम मे लेने (रीसायकल) का एप बनाया है और इस एप को बनाने की वजह से ही इनके नाम पर आकाशगंगा मे इनके नाम से उपग्रह का नाम दिया जा रहा है। और कुछ ऐसे ही विशेष भारतीय है जिनके नाम पर उपग्रह का नाम रखा गया है। तो आइये जाने इन लोगो के बारे मे.
सहिति पिंगले
सरिथी सिर्फ 16 साल की है और 12th कक्षा की विद्यार्थी है। इन्होने बेकार के सामान को दुबारा उपयोग मे लेने वाला एप्प बनाया है। और इनके नाम से आकाशगंगा मे एक उपग्रह का नाम रखा जायेगा।
हमसा पद्मनाभन
इन्होने इंटेल इंटरनेशनल साइंस एंड इंजीनियरिंग के लिए अपना प्रेजेंटेशन बनाया था। बी ये 16 साल की थी।
सैनूदीन पट्टज़ि
इन्होने मोबाइल टावर, रेड रेन, बिओलॉजिकल आदि पर शोध की है।
विष्णु जयप्रकाश
2010 मे विष्णु 12th मे थे तब इन्होने गांव को ध्यान मे रखते हुए एक ऐसा यंत्र बनाया था जिसमे कम पेसो मे बिजली को कैसे लाया जा सकता है।
अनीश मुखर्जी
16 साल की उम्र मे इन्होने एक ऐसी मशीन बनाई जो ऑटोमेटिकली सिरिंज का उपयोग करती रहे।
देबरघ्या सरकार
2010 मे अनीश के साथ एक ही कक्षा मे थे। तब इन्होने बोतल के ढक्क्न पर टेम्पर प्रूफ बनाया था।
हेतल वैष्णव
10th मे इन्होने बेकार के प्लास्टिक को कम्पनी को ढूंढकर उन्हें इन बेकार की प्लास्टिक रैपर को रीसायकल करने के बारे मे बताया था।
अक्षत सिंघल
इन्होने कंप्यूटर मे ऑटोमेटिकली सारे दस्तावेज को एक ही श्रेणी मे रहे ऐसा सॉफ्टवेयर बनाया था।
माधव पाठक
इन्होने अंधे लोगो के लिखने के लिए और भी सरल तरीका बनाया था। जिस से वह आसानी से पढ़ और लिख सकते है।
विश्वनाथन आनंद
इनका पूरी दुनिया मे शतरंज खेलने मे नाम है। इन्होने अपने देश का नाम चैस के माध्यम से रोशन किया है।