गर्मी के मौसम में ठंडा-ठंडा पानी सचमुच राहत देता है, लेकिन फ्रिज का पानी पीना हर किसी को पसंद नहीं आता। ऐसे में मिट्टी के घड़े का पानी न केवल ठंडा होता है, बल्कि यह प्राकृतिक, हेल्दी और शरीर के लिए फायदेमंद भी होता है। हालांकि, क्या आपने कभी यह महसूस किया है कि कुछ लोगों के घर का घड़े का पानी इतना ठंडा होता है कि वह फ्रिज को भी मात दे देता है, जबकि कुछ के यहां का पानी सिर्फ हल्का ठंडा ही लगता है? असल में, घड़े में कोई समस्या नहीं होती, बल्कि यह पानी को ठंडा करने के तरीके में कुछ सामान्य गलतियां होती हैं। बहुत से लोग घड़ा खरीदने और उसे इस्तेमाल करने में कुछ ऐसी गलतियां कर बैठते हैं, जो पानी को ठंडा नहीं होने देतीं। आइए, जानते हैं वो 3 आम गलतियां जो लोग घड़े का पानी ठंडा न होने पर करते हैं।
# घड़े का सही चयन न करना
बहुत से लोग घड़ा खरीदते वक्त सिर्फ उसकी सूरत या डिजाइन को देखकर खुश हो जाते हैं, लेकिन असल में घड़े की ठंडक का राज उसकी मिट्टी की क्वालिटी और बनावट में होता है।
- हमेशा अच्छी पकी हुई मिट्टी से बने, मोटी दीवारों वाले और हल्की खुरदुरी सतह वाले घड़े का चुनाव करें।
- चिकने और रंगीन (पॉलिश किए हुए) घड़े से पानी ठंडा नहीं रह पाता।
- देसी घड़े, जो स्थानीय कुम्हारों द्वारा बनाए जाते हैं, बाजार में मिलने वाले सजावटी घड़ों की तुलना में कहीं बेहतर होते हैं।
# घड़े का इस्तेमाल करने से पहले तैयारी करना
नया घड़ा लाकर तुरंत पानी भरना एक सामान्य गलती है।
क्या करना चाहिए?
- सबसे पहले घड़े को कम से कम 12 घंटे तक पानी में डुबोकर रखें, ताकि उसकी मिट्टी नमी सोख सके और दीवारें सक्रिय हो सकें।
- घड़े को अच्छे से धूप में सुखाएं।
- इसके बाद ही उसमें पानी भरें।
- इस प्रक्रिया से घड़ा पूरी तरह से ठंडक बनाए रखने के लिए तैयार हो जाएगा।
# घड़े को गलत स्थान पर रखना
यदि घड़े को सीधी धूप या गर्म जगह पर रखा जाए, तो पानी ठंडा नहीं रहेगा।
क्या है सही तरीका?
- घड़े को हमेशा छांव में, ठंडी हवा वाली जगह पर रखें।
- अगर संभव हो, तो घड़े को गीले कपड़े से ढकें, इससे पानी और ठंडा रहेगा।
- घड़े के नीचे लकड़ी की पट्टी या स्टैंड रखें, ताकि नीचे से हवा का प्रवाह बना रहे।
अन्य महत्वपूर्ण टिप्स
- घड़े को हफ्ते में एक बार नीम की पत्तियों से धोएं, ताकि पानी शुद्ध और ताजगी से भरा रहे।
- घड़े में एक चुटकी सेंधा नमक डालने से पानी को और ताजगी मिलती है।
- घड़ा 2–3 महीने में बदलें, ताकि बैक्टीरिया जमा न हो और पानी का स्वाद बेकार न हो।