राजस्थान का एक मात्र हिल स्टेशन हैं माउंट आबू, जानें यहां के प्रमुख दर्शनीय स्थल
By: Priyanka Maheshwari Mon, 08 Jan 2024 10:15:29
राजस्थान का नाम आते ही मन में ख्याल आने लगते हैं रेगस्तान, चिलचिलाती धूप, गर्मी आदि के ख्याल आने लगते हैं जो कि सही भी हैं। लेकिन राजस्थान विविधताओं का प्रदेश हैं जहां जलवायु में भी विविधता हैं और प्रदेश का एक हिस्सा ऐसा हैं जो हिल स्टेशन के तौर पर जाना जाता हैं और यहां कड़ाके की ठंड भी पड़ती हैं। हम बात कर रहे हैं माउंट आबू की जो अपने शांत वातावरण और हरे-भरे माहौल की वजह से इस राज्य का सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थल है। गर्मियों और मानसून में भी यहां पर्यटकों का आना-जाना लगा रहता हैं। माउंट आबू हरे भरे जंगलो से घिरा हुआ है जो एक रोमेंटिक और साधारण दोनों तरह के पर्यटकों के लिए काफी अच्छा है। आज इस कड़ी में हम आपको माउंट आबू के प्रमुख दर्शनीय स्थलों की जानकारी देने जा रहे हैं जिन्हें आप घूमने जाएं तो जरूर देखें। तो आइये जानते हैं माउंट आबू की इन जगहों के बारे में...
नक्की झील
नक्की झील राजस्थान के सिरोही जिले में माऊंट आबू में स्तिथ एक प्रसिद्ध कृतिम झील है जो समुद्र तल से लगभग 1200 मिटेर की ऊंचाई पर स्तिथ है। यह झील अरावली पहाडियें के बिच अपनी अनोखा सुंदरता के लिए मशहूर है। माउंट अबू इसी झील के चरों और बसा हुआ है। कहा जाता है की हिन्दू देवताओं ने अपने नाखुनो से जमीन खोदकर इस झील को बनाया थे इसीलिए इस झील का नाम नक्की झील है। यह झील मीठे पानी की है, जो सर्दियों में जम जाती है। झील से हरे भरे पहाड़ियों का दृश्य अत्यंत खूबसूरत दिखाई देता है। विशेष रूप से पर्यटक यहाँ पर नौका विहार का भरपूर आनद उठा ते हैं।
दिलवाड़ा जैन मंदिर
दिलवाड़ा जैन मंदिर राजस्थान की अरावली पहाड़ियों के बीच स्थित जैनियों का सबसे लोकप्रिय और सुंदर तीर्थ स्थल है। इस मंदिर का निर्माण 11 वीं और 13 वीं शताब्दी के बीच वास्तुपाल और तेजपाल ने किया था। दिलवाड़ा मंदिर अपनी जटिल नक्काशी और हर से संगमरमर की संरचना होने की वजह से प्रसिद्ध है। यह मंदिर बाहर से बहुत ही साधारण दिखाई देता है लेकिन जब आप इस मंदिर को अंदर से देखेंगे तो इसकी छत, दीवारों, मेहराबों और स्तंभों पर बनी हुई डिजाइनों को देखते ही आकर्षित हो जायेंगे। जैनियों का तीर्थ स्थल होने के साथ ही यह मंदिर एक संगमरमर से बनी एक ऐसी जादुई संरचना है, जो हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करती है।
अचलगढ़ किला
इतिहास प्रेमियों के लिए यह किला एक खास जगह है जो माउंट अबू से 8 किलोमीटर दूर स्थित है इस किले को मूल रूप से परमार वंश के सासको द्वारा बनवाया गया था और बाद में 1452 ईस्वी में महाराजा कुम्भा ने इसका निर्माण करवाया था। यह राजस्थान का सबसे ऊंचाई पर स्थित फोर्ट है जहाँ से आप माउंट अबू के प्रकिर्तिक नजारों और मनोरम दृश्य का आनंद ले सकते है इस किले के परिसर में अचलेश्वर महादेव का मंदिर है। ऐसा माना जाता है की इस मंदिर के चट्टान में भगवान शिव जी के पदचिन्ह मौजूद है इसके साथ साथ आप यहाँ भगवान शिव के नंदी की पीतल की बनी प्रतिमा को भी देख सकते है।
गौमुख मंदिर
राजस्थान के माऊंट आबू क्षेत्र में कई खूबसूरत और लोकप्रिय पर्यटन स्थल है जिनमे गोमुख मंदिर माउंट आबू का एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में माना जाता है। इस मंदिर के आस पास हरे भरे जंगल और पहाड़ियों का मनोरम दृश्य सैलानिओं को आकर्षित करता है। इस मंदिर के परिसर में गाय की एक मूर्ति है जिसके सिर के ऊपर प्राकृतिक रूप से पानी की धरा बहती रहती है। इसी कारन इस मंदिर को गोमुख मंदिर कहा जाता है। गौमुख मंदिर संत वशिष्ठ के समर्पण में बनाया गया था। माना जाता है संत वशिष्ठ ने इसी स्थान पर यज्ञं का आयेजन किया था।
गुरु शिखर
अगर आप शहर के तेज और व्यस्त जीवन बोर हो गए है तो गुरु शिखर आपके लिए सबसे अच्छी जगह है। गुरु शिखर अरावली रेंज की सबसे ऊँची चोटी है जो माउंट आबू से करीब 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस शिखर की समुद्र तल से ऊँचाई 1722 मीटर है जिसकी वजह से यहाँ से अरावली रेंज और माउंट आबू के हिल स्टेशन का बहुत ही आकर्षक दृश्य देखने को मिलता है। इस जगह पर आबूवेधशाला और गुरु दत्तात्रेय का गुफा मंदिर जो भगवान विष्णु को समर्पित है। ऑब्जर्वेटरी में 1.2 मीटर का इंफ्रारेड टेलीस्कोप है। 15 किलोमीटर की ड्राइव के बाद आपको गुरु शिखर पर जाने के लिए कुछ सीढ़ियां चढ़नी होंगी। अगर आप अक्टूबर और नवंबर के समय इस जगह पर जाते हैं तो यहाँ पर बहुत अधिक बादल और धुंध हो जाती है। यहां आने वाले पर्यटकों को इस समय ऐसा महसूस होता है जैसे वो बादलों की मदद से गुरु शिखर पर जा रहे हैं क्योंकि चारों ओर धुंध दिखाई देती है। यह जगह यहां आने वाले पर्यटकों के मन को आनंदित कर देती है।
अर्बुदा देवी मंदिर
अर्बुदा देवी का मंदिर एक ऊँची पहाड़ी पर स्थित काफी पवित्र मंदिर है जहाँ पहुंचे के लिए आपको 365 सीढ़िया चढ़नी पड़ेगी यहाँ मंदिर खुद एक चट्टानी चट्टान के अंदर एक छोटे से गुफा में मौजूद है। अर्बुदा देवी को राजस्थान के वैष्णो देवी के रूप में भी जाना जाता है ऐसा कहा जाता है की माता का अधर यहाँ गिर गया था और मध्य हवा में लटके होंने से इसे अधर देवी के नाम से जाने लगा। इसके पास में ही स्थित है दूध बावड़ी जिसके पानी में कहते है की जादुई शक्तियां है, तो इसे भी आपको जरुर देखना चाहिए।
सनसेट पॉइंट
माउंट आबू से लगभग 2 किलोमीटर की दुरी पर स्तिथ सनसेट पॉइंट पर्यटकों के लिए बेहद खूबसूरत जगह है। इस जगह का खासियत यह है की जॉब पहाड़ियां सूर्य की सुनहरी किरणों से ढक जाती है, तब सूर्यास्त का नज़ारा बहुत ही खूबसूरत दिखाई देता है। यह जगह नेचर लोविंग लोगों के लिए बहुत ही खास है क्यों कि यहाँ की शांत वातावरण और दिलकश नज़ारा काफी आकर्षित होता है। पर्यटक यहाँ सूर्यास्त के समय अपने केमेरे में इस दृश्य को जरूर कैद करते हैं।
टॉड रॉक
टॉड रॉक को माउंट आबू के शुभंकर के रूप में जाना जाता है, यह चट्टानों से बनी एक बहुत ही अद्भुद जगह है जहां पर आपको बड़ी-बड़ी चट्टानें देखने को मिलेंगी। टॉड रॉक माउंट आबू आने वाले सभी पर्यटकों के द्वारा में सबसे ज्यादा बार देखी जाने वाली जगह है। आसपास की झील और हरे भरे पहाड़ी क्षेत्रों केआकर्षक दृश्यों को देखने के लिए आप यहाँ चट्टान पर चढ़ सकते हैं और अपने कैमरा की मदद से कुछ लुहावने दृश्यों को कैद कर सकते हैं।
वाइल्डलाइफ सैन्चुरी
अगर आप माउंट आबू के सुन्दर जिव जन्तु और प्रकिर्तिक सुन्दरता को करीब से देखना चाहते है तो यहाँ की वाइल्डलाइफ सैन्चरी जरुर पधारे हरियाली से गिरे होने के अलावा यह अभयारण्य अपने तेंदुए, भेडिये और जंगली बिल्ली जैसे वन्य जिव के लिए जानी जाती है। यहाँ पर करीब 820 पौधों की प्रजातियाँ है इसके अलावा यहाँ देसी और माइग्रेट पक्छियों की करीब 250 से अधिक प्रजातियाँ है| वाइल्डलाइफ सैन्चुरी माउंट आबू आने वाले पर्यटकों की सबसे पसंदीदा जगह मानी जाती है।
हनीमून पॉइंट
समुद्र तल लगभग 1220 मिटेर की ऊंचाई पर स्तिथ यह जगह नक्की झील के उत्तर पूर्व दिशा में स्तिथ है। इसे अनादरा पॉइंट के नाम से भी जाना जाता है। यहाँ एक चट्टान मजूद है जिसका आकर एक महिला और पुरुष जैसा है। इसीलिए इसका नाम हनीमून पॉइंट है। यहाँ से हरे भरे मैदानों और घाटियों के दृश्य दिखाई देते हैं। पर्यटक यहाँ से सूर्यास्त का मनमोहक नज़ारा भी देख सकते है।