
जम्मू संभाग के किश्तवाड़ जिले में 14 अगस्त को अचानक मौसम ने कहर बरपाया। दोपहर लगभग 12:30 बजे बादल फटने की घटना ने इलाके में तबाही मचा दी। इस भयंकर प्राकृतिक आपदा में अब तक 60 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 100 से अधिक लोग गंभीर रूप से घायल हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तुरंत जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से फोन पर संपर्क कर हालातों की जानकारी ली और प्रभावित लोगों के लिए हर संभव मदद का आश्वासन दिया।
सीएम उमर अब्दुल्ला ने सोशल मीडिया पर जताई संवेदनाएं
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट कर बताया कि प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें फोन कर हालात की जानकारी ली। सीएम ने कहा कि किश्तवाड़ में प्रशासन और स्थानीय अधिकारी प्रभावित लोगों की मदद में जुटे हुए हैं। उन्होंने केंद्र सरकार द्वारा दी जा रही सहायता के लिए आभार व्यक्त किया।
पीएम मोदी ने लिया जायजा, अधिकारियों को दिए निर्देश
प्रधानमंत्री मोदी ने भी ‘एक्स’ पर पोस्ट कर कहा कि किश्तवाड़ में बादल फटने और बाढ़ के बाद की स्थिति पर उन्होंने उपराज्यपाल और सीएम से विस्तार से चर्चा की। उन्होंने अधिकारियों को प्रभावित लोगों की मदद के लिए तेजी से कदम उठाने का निर्देश दिया। पीएम ने स्थानीय प्रशासन की तत्परता की सराहना करते हुए राहत कार्यों में हर संभव सहयोग का भरोसा दिलाया।
त्रासदी में 60 लोगों की मौत और 100 से अधिक घायल
सीएम उमर अब्दुल्ला ने बताया कि इस आपदा में 60 लोगों की मौत हुई है और लगभग 100 लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं। उन्होंने शोक संतप्त परिवारों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की और घायलों के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की प्रार्थना की। उन्होंने स्थानीय लोगों को आश्वस्त किया कि सरकार राहत और पुनर्वास के हर प्रयास में लगी हुई है।
किश्तवाड़ में मची तबाही और रेस्क्यू ऑपरेशन
गुरुवार की सुबह किश्तवाड़ में सामान्य माहौल था, लेकिन दोपहर के करीब अचानक चशोटी इलाके में तेज आवाज के साथ बादल फटने की घटना ने सबकुछ बदल दिया। जैसे ही मलबे और पानी का सैलाब नीचे आया, लोग दहशत में आ गए। कई लोग मलबे के नीचे दब गए और कई गंभीर रूप से घायल हुए। वीडियो फुटेज में हादसे की भयावहता दिखाई दी है।
इसी के बाद प्रशासन ने तुरंत रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया। प्रभावित लोगों को अस्पतालों में भर्ती कराया गया और राहत कार्य तेजी से जारी है। स्थानीय प्रशासन, सेना और एनडीआरएफ की टीमें मिलकर प्रभावित क्षेत्रों में मदद कर रही हैं, ताकि और किसी जान-माल की क्षति से बचा जा सके।














