भारतियों को सबसे ज्यादा खतरा है हार्ट की इस गंभीर बीमारी का, जानें क्या होते हैं लक्षण

By: Priyanka Maheshwari Sun, 06 Nov 2022 3:23:52

भारतियों को सबसे ज्यादा खतरा है हार्ट की इस गंभीर बीमारी का, जानें क्या होते हैं लक्षण

कोरोनरी धमनी डिसीज यानी हार्ट को पर्याप्त मात्रा में खून, ऑक्सीजन और पोषक तत्व देने वाली कोरोनरी धमनियों का डैमेज होना। धमनियों में सूजन आना, उनके अंदर फैट, कोलेस्ट्रॉल जमने के कारण कोरोनरी धमनियां ब्लॉक हो जाती हैं और वह हार्ट तक पर्याप्त मात्रा में खून, ऑक्सीजन और पोषक तत्व नहीं पहुंचा पातीं। कोरोनरी धमनी डिसीज का खतरा सबसे ज्यादा भारतियों को है। हाल ही में हुए एक रिसर्च में यह बात सामने आई है। रिसर्च में सामने आया है कि धमनियों के छोटे व्यास की वजह से नहीं बल्कि छोटे शरीर सतह क्षेत्र के कारण भारतियों में कोरोनरी धमनी रोग की स्थिति बनती है। यह रिसर्च सर गंगा राम अस्पताल के कार्डियोलॉजी और रेडियोलॉजी विभाग के रिसर्चर्स द्वारा की गई है। जर्नल ऑफ इंडियन कॉलेज ऑफ कार्डियोलॉजी में पब्लिश हुई है रिपोर्ट के अनुसार यह रिसर्च 250 रोगियों पर की गई। रिसर्चर्स को लोगों की आम धारणा के विपरीत रिजल्ट मिले हैं। सर गंगा राम अस्पताल के कार्डियोलॉजी डिपार्टमेंट के राइटर और प्रेसिडेंट डॉ जेपीएस साहनी ने कहा, 'हमने पाया कि इन रोगियों में से 51% को हाई ब्लडप्रेशर (Blood Pressure), 18% को डायबिटीज (Diabetes), 4% धूम्रपान (Smoking) करते थे, 28% डिस्लिपिडेमिक थे और 26% लोगों में हार्ट प्रॉब्लम (Heart Problem) की फैमिली हिस्ट्री थी।'

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सर गंगा राम हॉस्पिटल के कार्डियोलॉजी विभाग में सीनियर कंसल्टेंट और राइटर डॉ अश्विनी मेहता के मुताबिक, 'पहले ऐसी धारणा थी कि एशियाई और विशेष रूप से भारतीयों को उनकी छोटे कोरोनरी धमनी व्यास के कारण एथेरोस्क्लेरोसिस (धमनियों में फैट जमा होना) का जोखिम बढ़ता है लेकिन हमारी रिसर्च से बात सामने आई है कि भारतीय आबादी में कोरोनरी धमनी रोग, वाहिका व्यास के कारण नहीं बल्कि शरीर के छोटे सतह क्षेत्र के कारण होती है इसलिए धमनियों का छोटा होना भारतीय आबादी में कोरोनरी धमनी रोगों के जोखिम का मुख्य कारण नहीं है।'

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क्या होता है शरीर का सतह क्षेत्र?

बॉडी साइंस और मेडिसिन में शरीर का सतह क्षेत्र यानी बीएसए (Body surface area) मानव शरीर का मापा गया सतह क्षेत्र है। कई मामलों में बीएसए शरीर के वजन की तुलना में मेटाबॉलिक मॉस का बेहतर अनुमान देता है क्योंकि यह शरीर के फैट द्रव्यमान से काफी कम प्रभावित होता है। आमतौर बीएसए की सही गणना करना तो मुश्किल है लेकिन कुछ फॉर्मूला की मदद से इसका कुछ-कुछ अंदाजा लगाया जा सकता है। बीएसए की गणना करने के लिए सबसे अधिक 'डू बोइस फॉर्मूला (Du Bois formula)' का इस्तेमाल किया जाता है। यह मोटे और पतले लोगों में उस फैट की भी तुलना कर सकता है जो बॉडी मास इंडेक्स में सटीक नहीं आता। इस फॉर्मूला में वजन (W) और हाइट (H) से बॉडी सर्फेस एरिया की गणना की जा सकती है।

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कोरोनरी धमनी रोग के बारे कुछ और बातें

WHO के मुताबिक, यह ऐसी बीमारी है जिसमे कोरोनरी धमनियों के अंदर फैट या कोलेस्ट्रॉल विकसित होने लगता है। इसके कारण दिल का दौरा भी पड़ सकता है। छाती में दर्द और बेचैनी, कोरोनरी धमनी डिसीज का सबसे आम कारण है। अगर किसी को लगातार सीने में दर्द हो रहा है तो उसे तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए क्योंकि यह कोरोनीर धमनी रोग का पहला संकेत हो सकता है। कोरोनरी धमनी रोग के ये भी हो सकते हैं लक्षण।

- बैचेनी
- उल्टी आना
- हाथ में लगातार दर्द
- सीने में दर्द (एनजाइना)
- सांस लेने में परेशानी

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कोरोनरी धमनी रोग के क्या कारण हैं?

एक्सपर्ट के मुताबिक, अधिक वजन, शारीरिक निष्क्रियता, अनहेल्दी डाइट और धूम्रपान तम्बाकू धमनी रोग के कारण हो सकते हैं। पारिवारिक इतिहास भी कोरोनरी धमनी रोग के जोखिम तो भी बढ़ा देता है।

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