सिर्फ कोरोना वायरस से ही नहीं, इन 20 जानलेवा बीमारियों से भी बचाती है वैक्सीन : WHO

By: Priyanka Maheshwari Mon, 31 Jan 2022 11:41:08

सिर्फ कोरोना वायरस से ही नहीं, इन 20 जानलेवा बीमारियों से भी बचाती है वैक्सीन : WHO

पिछले दो साल से कोरोना वायरस पूरी दुनिया में कहर बरपा रहा है। कोरोना ने दुनियाभर में लाखों लोगों की जान ले ली है और कई जिंदगियां तबाह हो गई हैं। पूरी दुनिया में संक्रमित मरीजों की संख्या पर नजर डाले तो अब तक 37.54 करोड़ से ज्यादा लोग महामारी की चपेट में आ चुके हैं। इनमें 29.57 करोड़ ठीक हो चुके हैं। वहीं, 56.78 लाख ने जान गंवाई है। पूरी दुनिया में 7.31 करोड़ एक्टिव केस हैं। कोरोना का कोई स्थायी इलाज नहीं है हालांकि एक्सपर्ट्स का मानना है कि वैक्सीन से कोरोना को मात दी जा सकती है। ऐसा माना जा रहा है कि टीका लगवाने के बाद गंभीर रूप से पीड़ित होने और मौत के जोखिम को कम किया जा सकता है।

कोरोना के आने के बाद से ही लोगों को दूसरी बीमारियों का भी डर सता रहा है। इस बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने एक बड़ी जानकारी साझा की है। WHO ने बताया है कि वैक्सीन न सिर्फ कोरोना जैसे वायरस बल्कि 20 अन्य गंभीर बीमारियों से भी आपका बचाव करती है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस समय कोरोना की वैक्सीन इस बीमारी के खिलाफ सबसे कारगर हथियार है।

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विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 20 से अधिक बीमारियों की सूची जारी की है, जिन्हें टीका लगवाकर रोका जा सकता है। इन बीमारियों में...

- कोविडी-19 (Covid-19)
- सर्वाइकल कैंसर (Cervical cancer)
- हैजा (Cholera)
- डिप्थीरिया (Diphtheria)
- इबोला (Ebola)
- हेप बी (Hep B)
- इन्फ्लुएंजा (Influenza)
- जापानी एन्सेफलाइटिस (Japanese encephalitis)
- खसरा (Measles)
- मेनिनजाइटिस (Meningitis)
- कण्ठमाला (Mumps)
- काली खांसी (Pertussis)
- निमोनिया (Pneumonia)
- पोलियो (Polio)
- रेबीज (Rabies)
- रोटावायरस (Rotavirus)
- रूबेला (Rubella)
- टेटनस (Tetanus)
- टाइफाइड (Typhoid)
- चेचक (Varicella)
- पीला बुखार (Yellow Fever)

'ओमीक्रोन' को हलके में ना ले : WHO

कई विशेषज्ञों का कहना है कि नया संस्करण 'ओमीक्रोन' हल्का है और हल्के सर्दी या फ्लू जैसे लक्षण हैं लेकिन डॉक्टरों ने इसे हल्के में न लेने की बात कही है। WHO ने कहा है किओमीक्रोन एक सामान्य सर्दी की तरह नहीं है क्योंकि कई मामले देखे गए हैं जिनमें रोगी को असपताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ रही है और यहां तक की कुछ लोगों की पहले ही मृत्यु हो चुकी है। संक्रमित होने के बाद ठीक हुए बहुत से लोगों में लॉन्ग कोविड के लक्षण भी देखे गए हैं। WHO का कहना है कि यह डेल्टा की तुलना में हल्का है लेकिन तेजी से फैलता है। इसके लक्षणों में हल्का बुखार, गले में खराश, शरीर में अत्यधिक दर्द, रात को पसीना आना, नाक बहना, छींक आना, उल्टी और भूख न लगना है।

WHO का कहना है कि कोरोना ओमीक्रोन से निपटने के लिए अधिक सतर्क रहने की जरूरत है। लक्षण महसूस होने पर उनकी निगरानी करना और टेस्ट रिजल्ट आने तक दूसरों से अलग रहना कुछ ऐसे बुनियादी उपाय हैं जिन्हें आपको फॉलो करना चाहिए। साथ ही लोगों को ठीक होने के बाद लापरवाही नहीं करनी चाहिए। भले ही आप निगेटिव हों, बेहतर महसूस करें क्योंकि आपका शरीर अभी भी ठीक होने के चरण में है और अपनी ऊर्जा को पुनर्जीवित करने के लिए अधिक समय की आवश्यकता है। इस दौरान डॉक्टर आराम करने, सही खाना खाने और हाइड्रेटेड रहने की सलाह देते हैं।

ये है भारत की स्तिथि

भारत में रविवार को 2.09 लाख कोरोना मामले सामने आए। इस दौरान 2.61 लाख लोग ठीक भी हुए, जबकि 956 लोगों की मौत हुई है। पिछले दिन के मुकाबले एक्टिव केस की संख्या में करीब 52,833 की कमी हुई है। देश में फिलहाल कुल एक्टिव केस, यानी इलाज करा रहे मरीजों की संख्या 18.25 लाख है। कुल केस 4.13 करोड़ के पार पहुंच गए हैं। देश का डेली पॉजिटिविटी रेट 15.77% है। इससे पहले शनिवार को 2.34 लाख और शुक्रवार को 2.35 लाख नए केस मिले थे। तीसरी लहर के दौरान 20 जनवरी को सबसे ज्यादा 3.47 लाख नए केस मिले थे।

मामले घटने के बावजूद कम नहीं हुआ खतरा : WHO

भारत में कोविड-19 के मामले स्थिर होने या कुछ जगहों पर मामलों में गिरावट के बावजूद देश में महामारी का जोखिम कम नहीं हुआ है. साउथ-ईस्ट एशिया में WHO की रीजनल डायरेक्टर पूनम सिंह ने शनिवार को खुद एक बयान में यह बात कही. एक्सपर्ट ने कहा कि देश में अब संक्रमण की रफ्तार कम करने, सेहत संबंधी उपायों को लागू करने और महामारी के खिलाफ वैक्सीनेशन अभियान को तेज करने की जरूरत है. भारत में तीसरी लहर के लिए जिम्मेदार ओमिक्रॉन के बारे में WHO की एक्सपर्ट ने कहा, 'पिछले वैरिएंट्स के मुकाबले ओमिक्रॉन में गंभीर रूप से बीमार पड़ने और मौत का खतरा कम देखा गया है। हालांकि ज्यादा लोगों के संक्रमित होने की वजह से कई देशों में हॉस्पिटलाइजेशन के मामलों में वृद्धि देखी गई है। इससे वहां के हेल्थकेयर सिस्टम पर भी दबाव बढ़ा है।'

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