अपने हाल को लेकर उठ रहे हैं मन में कई सवाल? चावल से यूं गल जाएगी दाल!
By: Nupur Rawat Thu, 13 May 2021 7:52:38
देश में शायद ही कोई ऐसा होगा जो चावल न खाता हो। पूरे दक्षिण भारत, बिहार, बंगाल, झारखंड, उड़ीसा, असम आदि प्रदेशों का मुख्य भोजन चावल ही है। भारत में प्राचीनकाल से ही भोजन के रूप में चावल का सेवन किया जा रहा है। चावल को पकाकर तो खाया ही जाता है, साथ ही इससे अनेक प्रकार के व्यंजन भी बनाए जाते हैं। क्या आपको पता है कि चावल एक अनाज के साथ-साथ एक उत्तम औषधी भी है और चावल के सेवन से ढेर सारे फायदे होते हैं। क्या आपको यह पता है कि सफेद चावल से ब्राउन राइस अधिक फायेदमंद होता है।
चावल में तत्काल उर्जा प्राप्त करने, ब्लड शुगर को स्थिर करने और बुढ़ापे की प्रक्रिया को धीमा करने की क्षमता होती है। चावल के इस्तेमाल से पीलिया, बवासीर, उल्टी और दस्त सहित अनेक रोगों का इलाज किया जाता है। चावल एक प्रकार का अनाज है। धान के बीजों को चावल कहते हैं। यह सीधा, छोटा, घास की प्रजाति का पौधा होता है। इसका तना 60-120 सेमी लम्बा, रेशेदार जड़ वाला, पत्तेदार, गोल एवं पीले रंग का होता है। इसके पत्ते सीधे, 30-60 सेमी लम्बे एवं 6-8 मिमी चौड़े अथवा अत्यधिक चपटे, रेखित तथा खुरदरे होते हैं।
इसके फूल 8-12 मिमी लम्बे गुच्छों में होते हैं। इसकी बाली 7.5-12.5 सेमी
लम्बी, एकल या 2-7 के गुच्छों में प्रायः नीचे की ओर झुकी हुई, हरी तथा
पकने पर चमकीली सुनहली पीली होती है। घास जैसा हरा अथवा पके हुए धूसर रंग
के फल को ही धान कहते हैं। इसी धान से चावल निकालते हैं। इनके दाने सफेद
रंग के होते हैं, जिन्हें चावल कहते हैं। भारत में अधिकांश स्थानों पर वर्ष
में एक बार, तथा कुछ स्थानों पर धान की फसल वर्ष में दो या तीन बार भी ली
जाती है। चावल के अलावा धान के और भी कई उत्पाद हैं जैसे, चूड़ा या पोहा,
लावा आदि। ब्राउन राइस को भूरा चावल भी कहा जाता है। इसमें कार्बोहाइड्रेट,
विटामिन बी, मैंगनीज, फास्फोरस, आयरन, फाइबर, फैटी एसिड आदि सफेद चावल की
तुलना में दोगुने मात्रा में होते हैं।
चावल के औषधीय गुण
शालि
चावल पचने पर मधुर, पेट को ठण्डा करता है। यह फाइबरयुक्त, तैलीय, जल्द
पचने वाला और वात तथा कफ को बढ़ाने वाला होता है। यह पित को शान्त करता है।
यह शरीर को बल देता है और मेद तथा माँस की वृद्धि करता है। यह वीर्य को
पुष्ट करता है। यह मल को बान्धता है और पेशाब को बढ़ाता है। यह गले की आवाज
को ठीक करता है। लाल शालि चावल सभी शालि धान्यों में श्रेष्ठ तथा वात पित
और कफ तीनों दोषों को शान्त करने वाला होता है। उपरोक्त गुणों के अलावा यह
भूख बढ़ाता है। हृदय को प्रसन्न करता है। यह आँखों के लिए लाभकारी है। यह
बुखार और बुखार के कारण लगने वाली प्यास को समाप्त करता है। यह दम फूलना,
खाँसी और जलन को समाप्त करता है। इसकी जड़ में भी लगभग यही गुण होते हैं।
पेट में कीड़े होने पर चावल के फायदे
पेट
में कीड़े हो जाए तो यह बहुत ही दुखदायी होता है। यह समस्या सबसे अधिक
बच्चों को होती है। बड़ों को भी आंतों में भी कीड़े हो सकते हैं। ये कीड़े
लगभग 20 प्रकार के होते हैं। चावल को भूनकर उनको रातभर के लिए पानी में
भिगो दें। सुबह छानकर चावल के पानी को पीने से पेट के सभी प्रकार के कीड़े
मर जाते हैं।
पीलिया में चावल के फायदे
लिवर तथा
तिल्ली से जुड़ी समस्या होने से पीलिया रोग होता है। रोजाना भोजन में शालि
चावल का भात खाएँ। इससे लीवर और तिल्ली दोनों ही ठीक होते हैं, और पीलिया
रोग दूर होता है।
बवासीर में चावल के फायदे
बवासीर
मुख्यतः पेट की खराबी के कारण होने वाली बीमारी है। भोजन के सही से न पचने
और पेट की गर्मी से बवासीर रोग को बढ़ावा मिलता है। शालि एवं साठी चावल का
सेवन खूनी बवासीर में लाभकारी होता है।
मूत्र रोग (पेशाब की समस्याएं) में ब्राउन राइस से लाभ
पेशाब
में होने वाली जलन तथा पेशाब में दर्द आदि की समस्याओं में चावल काफी
फायदेमंद हैं। शतावर, काश, कुश, गोखरू, विदारीकन्द, शालिधान (शालिचावल), ईख
तथा कसेरू को बराबर मात्रा में लें। इसे चार गुने पानी में रातभर भिगो
दें। इस पानी की 20-40 मिली हिम, मधु एवं शर्करा मिलाकर सेवन करें। इससे
पित के कारण पेशाब में होने वाली परेशानियों में लाभ होता है।
उल्टी रोकने में चावल का औषधीय गुण फायदेमंद
चावल का धान
पेट के लिए काफी लाभकारी होता है। धान के लावा का सेवन करने से उल्टी बन्द
होती है। धान के लावे से बने सत्तू् में मधु तथा घी मिलाकर सेवन करने से
उल्टी पर रोक लगती है। शालिधान के लावे की दलिया में मधु मिलाकर सेवन करने
से उल्टी बन्द हो जाती है। धान का लावा, कपित्थ, मधु और पिप्पली की जड़ को
बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण में मधु मिलाकर सेवन करने
से सभी प्रकार की उल्टी तथा भूख न लगने की समस्या ठीक होती है।
चावल के औषधीय गुण से स्तनों में दूध की वृद्धि
शालि
चावल के बारीक टुकड़ों को दूध के साथ पकाकर पतली खीर बना लें। इस खीर को
खाने से स्तनपान कराने वाली महिलाओं में दूध की वृद्धि होती है।