पाचन क्रिया से जुड़ी परेशानियों का हल है इन 4 प्वाइंट मे, सिर्फ 3 मिनट मालिश करने से मिलेगा आराम
By: Priyanka Maheshwari Mon, 11 July 2022 11:38:14
हमारा पाचन तंत्र लिवर, डाइजेस्टिव ट्रैक्ट, पित्ताशय और अग्नाशय से बना होता है। वहीं पाचन तंत्र में कई अच्छे बैक्टीरिया मौजूद होते हैं जो भोजन को पचाने में मदद करते हैं। इन बैक्टीरिया का काम भोजन को तोड़कर उन्हें पोषक तत्वों में बदलना होता है। वहीं अगर पाचन शक्ति कमजोर हो जाए तो भोजन को पचाने की क्रिया मंदी हो जाती है। ऐसे में पाचन शक्ति का दुरुस्त रखना बेहद जरूरी है। गलत खानपान और खराब जीवनशैली के कारण अक्सर लोग पाचन क्रिया से संबंधित समस्याएं जैसे समय-समय पर गैस, कब्ज, और दस्त से जूझना पड़ता है। हालाकि, दवा लेने से इन समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है लेकिन समय-समय पर दवा लेना सेहत पर पूरा असर डाल सकता है। डॉक्टरों का भी मानना है कि ज्यादा दवा लेने की बजह कभी-कभी घरेलू नुस्खे अपनाकर भी आराम पाया जा सकता है। ऐसे में एक्यूप्रेशर उपचार का एक अच्छा विकल्प साबित हो सकते हैं।
क्या होता है एक्यूप्रेशर? (What is an acupressure method?)
एक्यूप्रेशर, चीन का पारंपरिक उपचार है और पिछले कई सौ वर्षों से एक्यूप्रेशर थेरेपी का दुनियाभर में इस्तेमाल किया जा रहा है। एक्यूप्रेशर की मदद से शरीर के विभिन्न हिस्सों के महत्वपूर्ण स्थान पर दबाव डालकर बीमारी को ठीक करने की कोशिश की जाती है। इन स्थानों को एक्यूपॉइंट कहा जाता है। इन एक्यूपॉइंट्स को दबाने से आपकी मांसपेशियों को आराम मिलता है और आपके रक्त प्रवाह में सुधार होता है।
योग में प्राण (जीवनशक्ति) को बहुत महत्व दिया जाता है उसी तरह इस पारंपरिक उपचार एक्यूप्रेशर में जीवन ऊर्जा को सबसे अहम माना जाता है। हमारे शरीर के अंदर इस जीवन ऊर्जा का प्रवाह कुछ नलिकाओं का माध्यम से होता है। ऊर्जा के इस प्राकृतिक प्रवाह में किसी तरह की रुकावट या असंतुलन ही बीमारी या दर्द का कारण बनता है। एक्यूप्रेशर के माध्यम से इस रुकावट या असंतुलन को सही करके जीवन ऊर्जा के प्रवाह में सुधार लाया जाता है जिससे शरीर फिर से स्वस्थ हो जाता है।
तो चलिए जानते हैं गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल लक्षणों को कम करने के लिए एक्यूप्रेशर का उपयोग कैसे करें।
ST36 (Stomach 36)
इसे जुसानलि भी कहा जाता है। यह प्रेशर पॉइंट पांव पर घुटने के 4 इंच नीचे होता है जो अवसाद, घुटने में दर्द, पेट और आंत से संबंधी परेशानी में लाभ दिलाता है। इसके अलावा यह पेट के ऊपरी अंग, तंत्रिका तंत्र को भी प्रभावित करता है।
ऐसे करें प्रेस
- 2 अंगुलियों को जुसानली पॉइंट पर रखें।
- हल्के दबाव का उपयोग करके उंगलियों को गोलाकार गति में घुमाएं।
- 2-3 मिनट तक मालिश करें और दूसरे पैर पर दोहराएं।
SP6 (Spleen 6)
इसे सैनिनजियाओ भी कहते हैं। ये स्प्लीन मेरिडिअन पर स्थित होता है। और लोअर एब्डॉमिनल ऑर्गन्स, नर्वस सिस्टम को प्रभावित करता है। यह बिंदु पैर के अंदरूनी हिस्से में एड़ी से 3 इंच ऊपर होता है।
ऐसे करें प्रेस
- 1-2 अंगुलियों को सैनिनजियाओ पॉइंट पर रखें।
- हल्के दबाव का उपयोग करके उंगलियों को गोलाकार गति में घुमाएं।
- 2-3 मिनट तक मालिश करें और दूसरे पैर पर दोहराएं।
CV12
इसे झोंगवान भी कहा जाता है। ये पॉइंट कॉन्सेप्शन वेसल मेरिडियन पर स्थित होता है। इस पॉइंट में प्रेशर देने पर अपर एब्डॉमिनल ऑर्गन्स, ब्लैडर और गॉल ब्लैडर को प्रभावित करता है। ये पॉइंट नाभि के 4 इंच ऊपर की ओर स्थित होता है।
ऐसे करें प्रेस
- 2-3 अंगुलियों को झोंगवान बिंदु पर रखें।
- एक गोलाकार गति में हल्का दबाव डालें, सुनिश्चित करें कि बहुत अधिक दबाव न डालें।
- 2-3 मिनट तक मसाज करें।
CV6
इसे किहाई भी कहते हैं। ये पॉइंट लोअर एब्डॉमिनल ऑर्गन्स और पूरे एनर्जी सिस्टम को प्रभावित करता है। ये पॉइंट करीब ढेढ़ इंच नाभि के नीचे स्थित होता है।
ऐसे करें प्रेस
- किहाई पॉइंट पर 2-3 अंगुलियां रखें।
- हल्के दबाव का प्रयोग करते हुए उंगलियों को गोलाकार गति में घुमाएं। सुनिश्चित करें कि बहुत अधिक दबाव न डालें, क्योंकि यह क्षेत्र संवेदनशील हो सकता है।
- 2-3 मिनट तक मसाज करें।
पेट में गैस होने पर करे इन चीजों का सेवन
छाछ का सेवन
छाछ के अंदर लैक्टिक एसिड पाया जाता है जो गैस्ट्रिक एसिडिटी से आपको राहत दिलाने में मदद कर सकता है। गैस की समस्या महसूस हो तो आप तुरंत एक गिलास छाछ में थोड़ी काली मिर्च और धनिए का रस मिलाकर पी जाएं। इससे आपको जल्द ही आराम मिलेगा।
केले का सेवन
एसिडिटी या गैस की समस्या से छुटकारा दिलाने के लिए केला आपकी मदद कर सकता है। आपको बता दें कि केले को अंदर प्राकृतिक एंटासिड होता है जो एसिड रिफ्लक्स को रोकने में आपकी सहायता कर सकता है। गैस से राहत पाने के लिए आप रोजाना एक केले का सेवन कर सकते हैं।
सेब का सिरका
सेब के सिरके की मदद से आप पेट से जुड़ी समस्याओं से राहत पा सकते है। इसके लिए बस आपको एक कप पानी में दो बड़े चम्मच अनफिल्टर्ड सेब का सिरका मिलाकर पीना है।
लौंग का उपयोग
लौंग के अन्दर कार्मिनेटिव प्रभाव होता है जो गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट में गैस के विकास को रोकने का काम करता है। अगर आप राजमा, या काले चने बनाए तो इसे बनाते समय लौंग का उपयोग जरूर करें।
भुने हुए जीरे को पानी
जीरा एसिड न्यूट्रलाइजर के रूप में भी जाना जाता है। यह ना केवल पाचन संबंधित परेशानियों को दूर करता है बल्कि यह पेट दर्द से भी निजात दिलाता है। भोजन के बाद भुने हुए जीरे को थोड़ा सा क्रश करें और इसे एक गिलास पानी में डालकर पी लें। या फिर गरम पानी में एक चम्मच जीरा डालकर पी लेने से भी फायदा मिलेगा।
दालचीनी की चाय
दालचीनी स्वाद के साथ-साथ शरीर के विभिन्न अंगों को भी फायदा पहुंचाता है। दालचीनी प्राकृतिक एंटासिड के रूप में कार्य करता है और पाचन को बेहतर कर पेट को शांत रखने में मदद करता है। इसके अलावा यह गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट में इंफेक्शन को ठीक कर सकता है। इसके लिए आप रोजाना चाय का सेवन करें।
गरम पानी के साथ तुलसी के पत्तों का सेवन
तुलसी के पत्तों के अंदर कार्मिनेटिव गुण होते हैं जो आपको एसिडिटी से तुरंत राहत दिला सकते हैं। इसके लिए आपको केवल तुलसी के 3-4 पत्ते लेने हैं और इन्हें खा लेना है। इसके अलावा आप चाहें तो गरम पानी में तुलसी के पत्तों को डालकर भी सेवन कर सकते हैं।
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