जागेश्वर धाम : शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक, जहां है 124 मंदिरों का समूह

By: Ankur Mundra Thu, 23 Aug 2018 6:08:29

जागेश्वर धाम : शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक, जहां है 124 मंदिरों का समूह

उत्तराखंड को देवभूमि कहा जाता हैं। क्योंकि इस जगह अनगिनत मंदिर स्थित हैं। यहाँ तक की यहाँ ऐसे कई मंदिर हैं जिसका वर्णन पुरानों में भी मिलता हैं। आज हम आपको जिस मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं वह शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक हैं और उसका नाम है जागेश्वर धाम। इस धाम को भगवान शिव का पवित्र धाम माना जाता है। तो आइये जानते हैं इस मंदिर के बारे में।

कहा जाता है कि यहां सप्तऋषियों ने तपस्या की थी और यहीं से लिंग के रूप में भगवान शिव की पूजा शुरू हुई थी। खास बात यह है कि यहां भगवान शिव की पूजा बाल या तरुण रूप में भी की जाती है।

वास्तुकला के शानदार उदाहरणों में एक जागेश्वर धाम में भगवान शिव को समर्पित 124 छोटे-बड़े मंदिर है। मंदिरों का निर्माण लकड़ी तथा सीमेंट से नहीं हुआ है बल्कि बडी-बडी शिलाओं से इसे निर्मित किया गया है। जागेश्वर को भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में एक माना जाता है। इस धाम का उल्लेख स्कंद पुराण, शिव पुराण और लिंग पुराण में भी मिलता है। देवदार के घने जंगलों के बीच बसे इस धाम की सौंदर्यता भक्तों को बरबस ही अपनी तरफ खींचती है।

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कैलाश मानसरोवर के प्राचीन मार्ग पर स्थित इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि जगदगुरू आदि शंकराचार्य ने इस स्थान का भ्रमण कर इसकी मान्यता को फिर से स्थापित किया। सैकड़ों वर्ष पुराने शिलालेखों में ब्रह्म लिपि और संस्कृत भाषा का प्रयोग किया गया है। पुरातत्व विभाग ने इन मंदिरों के निर्माण की अवधि को तीन कालों में बांटा गया है- कत्यरीकाल, उत्तर कत्यूरीकाल एवं चंद्र काल। जागेश्वर धाम में सारे मंदिर केदारनाथ शैली से बने हुए हैं। अपनी वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध इस मंदिर को भगवान शिव की तपस्थली के रूप में भी जाना जाता है। पुरातत्व विभाग के अधीन आने वाले इस मंदिर के किनारे एक पतली सी नदी की धारा भी बहती है।

सबसे विशाल तथा प्राचीनतम 'महामृत्युंजय शिव मंदिर' यहां का मुख्य मंदिर है इसके अलावा जागेश्वर धाम में भैरव, माता पार्वती,केदारनाथ, हनुमान, मृत्युंजय महादेव, माता दुर्गा के मंदिर भी विद्यमान है। हर वर्ष यहां सावन के महीने में श्रावणी मेला लगता है। देश ही विदेश से भी यहां भक्त आकर भगवान शंकर का रूद्राभिषेक करते हैं। यहां रूद्राभिषेक के अलावा, पार्थिव पूजा, कालसृप योग की पूजा, महामृत्युंजय जाप जैसे पूजन किए जाते हैं।

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