राजा मान सिंह हत्याकांड / 35 साल के बाद सजा पर फैसला कल, 11 पुलिसकर्मी दोषी करार

By: Pinki Tue, 21 July 2020 5:14:34

राजा मान सिंह हत्याकांड / 35 साल के बाद सजा पर फैसला कल, 11 पुलिसकर्मी दोषी करार

35 साल बाद राजा मान सिंह, हरि सिंह और सुमेर सिंह हत्या मामले पर मथुरा स्थित सीबीआई कोर्ट ने कुल 18 में से 11 आरोपियों को दोषी ठहराया है। कोर्ट ने इसमें 3 लोगों को बरी कर दिया है। बता दे, 21 फरवरी, 1985 को भरतपुर के राजा मान सिंह व दो अन्य की भरतपुर में हत्या हुई थी। दामाद विजय सिंह ने डीग (राजस्थान) थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। तत्कालीन सीओ कान सिंह भाटी व अन्य को नामजद किया गया था। पुलिस ने मुठभेड़ की रिपोर्ट दर्ज की। घटना की सीबीआइ जांच हुई। केस का आरोप पत्र सीबीआइ ने जयपुर न्यायालय में दाखिल किया था। वर्ष 1990 से मथुरा कोर्ट में मुकदमे की सुनवाई चल रही है।

कोर्ट ने आरोपियों को आईपीसी की धारा 302, 148, 149 के तहत दोषी पाया है। अब सजा के मामले में कोर्ट कल सुनवाई करेगी। मथुरा की जिला जज साधना रानी इस मामले में कल सजा सुनाएंगी। इसमें कई पुलिसकर्मी दोषी थे जिसमें सीबीआई ने कोर्ट में 18 पुलिसकर्मियों के खिलाफ चालान पेश किया था। उनमें से चार की मौत हो गई और तीन को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया गया। कोर्ट ने डीएसपी कान सिंह भाटी सहित 11 पुलिसकर्मियों को दोषी माना है।

दरअसल भरतपुर राजपरिवार के सदस्य राजा मान सिंह जो डीग से 7 बार निर्दलीय विधायक रहे, लेकिन यह घटना तब घटित हुई जब राजा मान सिंह के खिलाफ कांग्रेस पार्टी ने एक सेवानिवृत्त आईएएस ऑफिसर विजेंद्र सिंह को उनके सामने टिकट देकर चुनावी मैदान में उतारा। 20 फरवरी 1985 को कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने राजा मान सिंह के पोस्टर झंडे और बैनर फाड़ दिए थे। इससे मान सिंह काफी नाराज हो गए थे।

क्यों हुआ था डीग में विवाद?

कांग्रेस शासित सरकार के मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर हेलीकॉप्टर से डीग में कांग्रेस प्रत्याशी के समर्थन में सभा को संबोधित करने आए थे तभी राजा मान सिंह अपनी जीप लेकर सभा स्थल पर पहुंच गए और मंच तोड़ दिया। उसके बाद मुख्यमंत्री के हेलीकॉप्टर को भी अपनी जीप से तोड़ दिया था, जिसके बाद इलाके में तनाव पैदा हो गया और पुलिस ने भी कर्फ्यू लगा दिया था।

21 फरवरी 1985 को जब राजा मान सिंह अपनी जीप में सवार होकर अपने समर्थकों के साथ पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण करने पहुंच रहे थे तभी डीग कस्बे की अनाज मंडी में भारी पुलिस तैनात थी। वहां डीएसपी कान सिंह भाटी ने अपने पुलिसकर्मियों के साथ राजा मान सिंह को रोक लिया था। जिसके बाद पुलिस ने राजा मान सिंह और उसके समर्थकों पर फायरिंग शुरू कर दी जिसमें राजा मान सिंह के साथ ठाकुर सुमेर सिंह और ठाकुर हरि सिंह की मौत हो गई थी। जिस वक्त राजा की मौत हुई, उनकी उम्र 64 वर्ष थी।

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मान सिंह की पुत्री ने किया था पुलिसकर्मियों के खिलाफ केस

इस हत्याकांड के बाद राजा मान सिंह की पुत्री और बीजेपी नेता कृष्णेंद्र कौर दीपा ने डीएसपी कान सिंह भाटी सहित अन्य पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कराया था। मामले की जांच का जिम्मा सीबीआई को सौंपा गया था जिसके बाद करीब 35 वर्षों से यह जांच चल रही थी और यह जांच प्रभावित न हो इसलिए उनकी पुत्री ने कोर्ट में अर्जी लगाकर इसकी सुनवाई मथुरा कोर्ट में ट्रांसफर करने की अपील की थी। इस मामले में कल यानी 22 जुलाई को सजा पर फैसला सुनाया जाएगा।

राजा मान सिंह की पुत्री कृष्णेंद्र कौर दीपा ने कहा कि करीब 1700 तारीख पड़ी हैं और कई बार जज बदले हैं और करीब 35 साल बाद आज उनके पिता की आत्मा को शांति मिलेगी, जब उनकी हत्या के आरोपियों को दोषी माना गया है। इसमें कई पुलिसकर्मी दोषी थे जिसमें सीबीआई ने कोर्ट में 18 पुलिसकर्मियों के खिलाफ चालान पेश किया था। इसमें चार की मौत हो गई है और तीन को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया गया। कोर्ट ने डीएसपी कान सिंह भाटी सहित 11 पुलिसकर्मियों को दोषी माना है।

फैसले की तारीख

बचाव पक्ष के अधिवक्ता नारायण सिंह व और अभियोजन के अधिवक्ता नंदकिशोर उपमन्यु के मुताबिक राजा मान सिंह हत्याकांड को लेकर अदालत में बहस पूरी हो गई। अब अदालत ने भी 21 जुलाई को निर्णय देने की तारीख तय की ।

तो होगा खास संयोग

-20 फरवरी, 1985 को राजा मान सिंह ने जोगा से टक्कर मार सीएम के सभा मंच व हेलीकाप्टर को क्षतिग्रस्त कर दिया।

-21 फरवरी, 1985 को राजा मान सिंह की पुलिस मुठभेड़ में मृत्यु हुई थी। यदि मंगलवार को फैसला सुनाया जाता है तो यह भी 21 तारीख होगी। अंतर सिर्फ इतना होगा, वह फरवरी माह था, जबकि यह जुलाई माह है।

-21 फरवरी, 1985 को पुलिस मुठभेड़ में राजा मान सिंह व दो अन्य की मृत्यु हो गई।

-22 फरवरी, राजा मान सिंह के अंतिम संस्कार के वक्त आगजनी व तोडफ़ोड़ हुई। इसमें भी पुलिस फायङ्क्षरग में तीन लोगों की मृत्यु हुई।

-28 फरवरी 1985 को सीबीआइ जांच के लिए नोटीफिकेशन हो गया।

-17 जुलाई, 1985 को सीबीआइ ने जयपुर सीबीआइ कोर्ट में चार्जशीट पेश की।

-61 गवाह अब तक अभियोजन पक्ष की ओर से अदालत में पेश किए गए, जबकि 17 गवाह बचाव पक्ष ने अपनी ओर से अदालत में प्रस्तुत किए।

-1700 से अधिक तारीखें अब तक मुकदमे में पड़ चुकी हैैं।

ये बनाए गए थे आरोपी

डिप्टी एसपी कान सिंह भाटी, एसएचओ डीग वीरेंद्र सिंह, चालक महेंद्र सिंह, कांस्टेबल नेकीराम, सुखराम, कुलदीप सिंह, आरएसी के हेड कांस्टेबल जीवाराम, भंवर सिंह, कांस्टेबल हरी सिंह, शेर सिंह, छत्तर सिंह, पदमाराम, जगमोहन, पुलिस लाइन के हेड कांस्टेबल हरी किशन, इंस्पेक्टर कान सिंह सिरबी, एसआइ रवि शेखर, कांस्टेबल गोविन्द प्रसाद, एएसआइ सीताराम।

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