नहाय-खाय के साथ शुरु हुई छठ पूजा, राज्‍यपाल व CM नीतीश ने दी बधाई

By: Pinki Wed, 18 Nov 2020 11:31:44

नहाय-खाय के साथ शुरु हुई छठ पूजा, राज्‍यपाल व CM नीतीश ने दी बधाई

महापर्व छठ का बुधवार यानी आज से नहाय-खाए (Chhath Puja 2020 Nahay Khay) के साथ शुभ आरंभ हो गया है। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से ये महापर्व शुरू हो जाता है। छठ (Chhath 2020) का पर्व दिवाली के 6 दिन बाद मनाया जाता है। अगले तीन दिन तक सूर्य उपासना का ये पर्व चलेगा। दिवाली के बाद हिंदूओं का छठ सबसे बड़ा त्योहार माना जाता है। इस बार छठ की पूजा नवंबर यानी शुक्रवार को है। उत्तर भारत और खासतौर से बिहार, यूपी, झारखंड में इस त्योहार का बेहद खास महत्व होता है।

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नहाय-खाय का महत्व

छठ पूजा में भगवान सूर्य की पूजा का विशेष महत्व है। चार दिनों के महापर्व छठ की शुरुआत नहाय-खाय से होती है। इस दिन व्रती स्नान करके नए कपड़े धारण करती हैं और पूजा के बाद चना दाल, कद्दू की सब्जी और चावल को प्रसाद के तौर पर ग्रहण करती हैं। व्रती के भोजन करने के बाद परिवार के बाकी सदस्य भोजन करते हैं। नहाय-खाय के दिन भोजन करने के बाद व्रती अगले दिन शाम को खरना पूजा (Kharna Puja 2020) करती हैं। इस पूजा में महिलाएं शाम के समय लकड़ी के चूल्हे पर गुड़ की खीर बनाकर उसे प्रसाद के तौर पर खाती हैं और इसी के साथ व्रती महिलाओं का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो जाता है। मान्यता है कि खरना पूजा के बाद ही घर में देवी षष्ठी (छठी मईया) का आगमन हो जाता है।

छठ व्रत को लेकर बिहार के नदी घाटों पर सुरक्षा व कोरोना संक्रमण (CoronaVirus Infection) से बचाव को लेकर कड़े इंतजाम किए गए हैं। महापर्व को लेकर राज्‍यपाल फागू चौहान तथा मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) सहित कई जनप्रतिनिधियों ने जनता को बधाई दी है।

छठ व्रत का आज पहला दिन

चार दिवसीय छठ व्रत का आज पहला दिन है। इस दिन व्रती अरवा चावल, दूध और गुड़ से बने खीर का प्रसाद बना कर सूर्य देव को अर्पित करते हैं। व्रती व अन्‍य श्रद्धालु गंगा जल या आपपास के अन्‍य नदियों के जल से स्‍नान करते हैं, फिर वहां से जल लाकर प्रसाद बनाते हैं। इस बार कोरोना संक्रमण के कारण नदी घाटों पर पहले वाली भीड़ तो नहीं दिख रही, लेकिन व्रतियों का आना जारी है। पटना की बात करें तो गंगा घाटों पर श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला जारी है।

छठ पर्व नदियों-तालाबों के किनारे घाट बनाकर मनाने की परंपरा है। इसके लिए नदी-घाटों पर तैयारियां की गईं हैं, लेकिन कड़े एहतियात के साथ। प्रशासन ने कोरोना संक्रमण को लेकर नदी घाटों पर नहीं जाने की अपील की है, लेकिन जाने वालों को रोका भी नहीं है। हां, कोरोना संक्रमण की गाइडलाइन जारी करते हुए उनसे पैदल जाने, शारीरिक दूरी का पालन करने तथा मास्‍क पहनने को कहा है। बीमार तथा 10 साल से कम व 60 साल से अधिक के लोगों को घाटों पर जाने की अनुमति नहीं दी गई है। व्रत कि दौरान पानी में डुबकी भी नहीं लगानी है। कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए छठ के दौरान मेला व सांस्कृतिक व भक्ति के कार्यक्रम का आयोजन भी नहीं किया जाएगा।

महापर्व को लेकर आस्‍था है कि इसमें छठी मइया से मांगी गई मुराद पूरी होती है। ऐसे में लोग परिवार व समाज के लिए मन्‍नते मांगते रहे हैं।

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