खेल रत्न पर छिड़ा विवाद, बजरंग पूनिया सरकार के खिलाफ जाएंगे कोर्ट, विराट कोहली को '0' पॉइंट पर मिला पुरस्कार

By: Priyanka Maheshwari Fri, 21 Sept 2018 3:39:30

खेल रत्न पर छिड़ा विवाद, बजरंग पूनिया सरकार के खिलाफ जाएंगे कोर्ट, विराट कोहली को '0' पॉइंट पर मिला पुरस्कार

खिलाड़ियों को सम्मान और मौका देने के लिए प्रसिद्ध पीएम मोदी की सरकार में भी खेल रत्न को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। भारतीय कुश्ती महासंघ ने राजीव गांधी खेल रत्न के लिए 2018 एशियाड में गोल्ड मेडलिस्ट रहे पूनिया के नाम की सिफ़ारिश की थी, लेकिन सरकार ने विराट कोहली और वेटलिफ्टर मीराबाई चानू को संयुक्त तौर पर ये सम्मान देने का फ़ैसला किया है, जिसके बाद पूनिया का कहना है कि वो जानना चाहते हैं कि जब खेल रत्न के लिए उनके अंक ज़्यादा थे तो उन्हें क्यों नहीं इस पुरस्कार के लिए चुना गया। खेल रत्न न मिलने से नाराज़ पहलवान बजरंग पूनिया सरकार के ख़िलाफ़ कोर्ट जाने की तैयारी में हैं। उन्होंने कहा, 'कमिटी ने उन्हें सर्वोच्च स्कोर दिया था, लेकिन सबसे बड़े खेल पुरस्कार के लिए उनके नाम को नजरअंदाज कर दिया गया। मैं उनसे (कमिटी सदस्यों) पूछना चाहता हूं कि ऐसे में प्वांइट सिस्टम के होने का क्या उपयोग है?'

पूनिया ने गुरुवार देर रात खेल मंत्री राज्यवर्धन राठौड़ से मुलाक़ात की, लेकिन वहां से भी उन्हें निराशा हाथ लगी, जिसके बाद अब वो कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाने की तैयारी में हैं। आपको बता दें कि किसी भी खिलाड़ी को प्रतियोगिता के हिसाब से नंबर मिलते और इसके बाद उसका नाम राजीव गांधी खेल रत्‍न के लिए भेजा जाता है। इस तालिका के अनुसार बजरंग पूनिया और विनेश फोगाट को 80 अंक मिले है जबकि मीराबाई चानू को सिर्फ 44 अंक मिले हैं। इसमें विराट कोहली को 0 अंक मिले है क्‍योंकि क्रिकेट के लिए प्‍वाइंट सिस्‍टम नहीं है।


किस मेडल पर कितने अंक?


प्रतियोगिता स्वर्ण रजत कांस्य
ओलिंपिक्स/पैरा ओलिंपिक्स 80 70 55
वर्ल्ड चैंपियनशिप/वर्ल्ड कप 40 30 20
एशियन गेम्स 30 25 20
कॉमनवेल्थ गेम्स 25 20 15


किसके कितने अंक?
बजरंग पूनिया (कुश्ती) - 80
विनेश फोगाट (कुश्ती) - 80
दीपा मलिक (पैरा एथलेटिक्स) - 78.4
मनिका बत्रा (टेबल टेनिस) - 65
अभिषेक वर्मा (मुक्केबाज़ी) - 55.3
विकास कृष्ण (मुक्केबाज़ी) - 52


विजेता

मीराबाई चानू (भारोत्तोलन) - 44
विराट कोहली (क्रिकेट) - 00 (क्रिकेट के लिए प्वाइंट सिस्टम नहीं)



बजरंग ने कहा, ‘किसी को भी पुरस्कार के लिये भीख मांगना अच्छा नहीं लगता लेकिन किसी भी खिलाड़ी के लिये यह बड़ा सम्मान है और पहलवान का करियर काफी अनिश्वित होता है। किसी भी समय लगी चोट करियर खत्म कर सकती है।’ उन्हें लगता है कि पिछले कुछ वर्षों में अपने निरंतर अच्छे प्रदर्शन को देखते हुए वह इस सम्मान के हकदार थे। उन्होंने कहा, ‘मैंने इसकी उम्मीद नहीं की थी कि मुझे इस साल यह पुरस्कार नहीं मिलेगा। पिछले चार साल के मेरे प्रदर्शन को देखिये। पहले कोई अंक प्रणाली नहीं थी लेकिन अब अंक प्रणाली आ गयी है तो मुझे लगता है कि अब संख्यायें मेरे साथ हैं। ’ बजरंग ने कहा कि खेल रत्न पुरस्कार की अनदेखी करने से उनकी विश्व चैम्पियनशिप की तैयारियों पर बड़ा असर पड़ा है जिसका आयोजन हंगरी के बुडापेस्ट में 20 से 28 अक्तूबर तक किया जायेगा। उन्होंने कहा, ‘इस फैसले से मेरी विश्व चैम्पियनशिप तैयारियों पर प्रभाव पड़ा है। यह मेरे लिये करारा झटका था। यह मेरे लिये मुश्किल समय है। मुझे उम्मीद है कि मुझे अदालत का दरवाजा नहीं खटखटाना पड़ेगा और मैं अपनी तैयारियों पर ध्यान लगाऊंगा।’ इस पहलवान ने जोर दिया कि उन्हें हर जगह से पूरा समर्थन मिल रहा है लेकिन उन्होंने कहा कि वह इस मामले में भारतीय कुश्ती महासंघ को बीच में नहीं लायेंगे।

उन्होंने कहा, ‘मैंने इस मामले में महासंघ से बात नहीं की। उन्होंने मेरे नाम को आगे बढ़ाया था जिसका मतलब है कि वे मेरे साथ हैं। लेकिन यह मेरी निजी लड़ाई है।’ राष्ट्रीय खेल पुरस्कार इस साल 29 अगस्त के बजाय 25 सितंबर को दिये जायेंगे क्योंकि निर्धारित तारीख के समय एशियाई खेल चल रहे थे।

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