
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर 25 प्रतिशत आयात शुल्क लगाने की घोषणा से राजनीतिक हलकों में खलबली मच गई है। कांग्रेस नेता और सांसद शशि थरूर ने इस कदम को लेकर चिंता जताई है और आशंका जाहिर की है कि यह कदम दोनों देशों के व्यापारिक संबंधों को नुकसान पहुंचा सकता है।
थरूर का कहना है कि अगर इस टैरिफ के साथ-साथ अन्य आर्थिक दंड भी लगाए गए, तो कुल शुल्क दर 35 से 45 प्रतिशत तक जा सकती है, जिससे भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक समीकरण पूरी तरह से गड़बड़ा सकते हैं। उनके अनुसार यह फैसला ऐसे समय पर आया है जब दोनों देशों के बीच व्यापार समझौते को लेकर बातचीत चल रही है। इसलिए यह मुमकिन है कि ट्रंप का यह एलान अमेरिकी सौदेबाजी का एक तरीका हो।
उन्होंने कहा, “यह हमारे लिए बेहद संवेदनशील विषय है। यदि इस टैरिफ के साथ रूस से तेल खरीदने पर कोई अतिरिक्त दंड लगाया गया तो दोनों देशों के बीच व्यापारिक रिश्ते क्षतिग्रस्त हो सकते हैं। चूंकि फिलहाल व्यापार समझौते पर वार्ता हो रही है, तो उम्मीद है कि यह कदम केवल एक सौदेबाजी का हिस्सा है, न कि स्थायी नीति। यदि ऐसा नहीं हुआ, तो यह अमेरिका के लिए खुद नुकसानदायक सिद्ध हो सकता है, क्योंकि भारत उनके लिए एक महत्वपूर्ण निर्यात बाजार है।”
शशि थरूर ने यह भी कहा कि अगर अमेरिका की मांगें भारत के हितों के खिलाफ जाती हैं, तो भारतीय प्रशासन को उनका विरोध करने का पूरा हक है। उन्होंने कहा, “हमारे देश में करीब 70 करोड़ लोग खेती और उससे जुड़े कामों पर निर्भर हैं। सिर्फ अमेरिका को खुश करने के लिए हम अपने किसानों और स्थानीय उत्पादकों को संकट में नहीं डाल सकते। अमेरिका को हमारे सामाजिक और आर्थिक ढांचे की समझ रखनी चाहिए। अगर वे भारतीय बाजार में अपने उत्पाद बेचने की इच्छा रखते हैं, तो उन्हें कीमतों का भारतीय उपभोक्ताओं की क्षमता के अनुसार निर्धारण करना होगा।”
थरूर ने यह भी उल्लेख किया कि जो वस्तुएं ट्रंप भारत को बेचना चाहते हैं, वे कई बार अन्य देशों से सस्ती मिल जाती हैं। ऐसे में अमेरिका को यह समझना चाहिए कि केवल रणनीति से व्यापारिक सफलता नहीं मिलती, उसे साझेदारी की भावना भी जरूरी है।
गौरतलब है कि डोनाल्ड ट्रंप ने इससे पहले जापान के साथ भी व्यापार वार्ता के दौरान इसी तरह का रवैया अपनाया था। जब जापान ने अमेरिकी हितों को स्वीकार करते हुए निवेश के संकेत दिए, तब जाकर टैरिफ की दरों को घटाया गया। यही रणनीति दक्षिण कोरिया के साथ भी अपनाई गई थी, जिसके बाद दोनों देशों के बीच व्यापार समझौते की वार्ता एक बार फिर सक्रिय हो गई थी।














