
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा छह भारतीय कंपनियों पर प्रतिबंध लगाने और भारत से आने वाले उत्पादों पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा के बाद ईरान ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। गुरुवार, 31 जुलाई 2025 को ईरान ने अमेरिका पर आरोप लगाया कि वह वैश्विक आर्थिक व्यवस्था का दुरुपयोग करते हुए संप्रभु देशों के आर्थिक विकास को बाधित करने का प्रयास कर रहा है।
भारत में स्थित ईरानी दूतावास ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर बयान जारी करते हुए कहा, “अमेरिका लगातार अर्थव्यवस्था को एक हथियार की तरह इस्तेमाल कर रहा है। वह स्वतंत्र राष्ट्रों — जैसे कि ईरान और भारत — की नीतियों पर अपनी मनमर्जी थोपना चाहता है और उनकी तरक्की में रोड़े अटका रहा है। यह रवैया न केवल भेदभावपूर्ण और जबरदस्ती भरा है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय कानून और राष्ट्रीय संप्रभुता की मूल अवधारणाओं के भी खिलाफ है। यह आर्थिक उपनिवेशवाद का नया चेहरा है।”
पोस्ट में आगे कहा गया, “ऐसी अमर्यादित नीतियों का विरोध ही एक संतुलित, बहुध्रुवीय और गैर-पश्चिमी वैश्विक व्यवस्था की स्थापना की दिशा में उठाया गया निर्णायक कदम है। यह मजबूत होते वैश्विक दक्षिण की आवाज़ है।”
गौरतलब है कि ट्रंप की इस नई नीति के तहत भारत से आयात होने वाले उत्पादों पर भारी शुल्क लगाया जाएगा और रूस से ऊर्जा स्रोत खरीदने को लेकर भारत को दंडित करने की बात कही गई है। ईरान ने इस फैसले को ‘आर्थिक युद्ध’ बताते हुए स्पष्ट किया है कि अमेरिका अपने राजनीतिक हितों के लिए व्यापारिक स्वतंत्रता और पारस्परिक सम्मान जैसे मूल्यों की अनदेखी कर रहा है।
उधर, ईरान के विदेश मंत्रालय ने भी अमेरिकी प्रतिबंधों को लेकर नाराज़गी जताई। मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा कि अमेरिका द्वारा ईरानी तेल व्यापार को निशाना बनाना एक सोची-समझी साजिश है, जिसका उद्देश्य देश की आर्थिक प्रगति को अवरुद्ध करना और नागरिकों की भलाई को नुकसान पहुंचाना है।
ईरानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता इस्माइल बकाई ने प्रेस को संबोधित करते हुए कहा, “अमेरिका की ओर से हमारे ऊर्जा और तेल क्षेत्र से जुड़े व्यक्तियों, संगठनों और जहाजों पर लगाए गए प्रतिबंध न केवल अन्यायपूर्ण हैं, बल्कि यह हमारे नागरिकों के खिलाफ खुला शत्रुतापूर्ण रवैया दर्शाते हैं। यह दमनकारी नीतियां अमेरिकी प्रशासन की ईरानी जनता के प्रति वैमनस्य की परिचायक हैं।”
बकाई ने आगे कहा, “ये सभी एकतरफा और अवैध प्रतिबंध न केवल अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन करते हैं, बल्कि ये मानवाधिकारों और न्याय के वैश्विक सिद्धांतों को भी चुनौती देते हैं। ऐसे कृत्य सभ्यता के खिलाफ अपराध की श्रेणी में आते हैं और वैश्विक समुदाय को इसके खिलाफ एकजुट होना चाहिए।”














