कारोबारी सप्ताह की शुरुआत भारतीय शेयर बाजार के लिए नकारात्मक रही। सोमवार को वैश्विक भू-राजनीतिक तनाव, विशेषकर ईरान और अमेरिका के बीच सैन्य कार्रवाई की आशंका के बीच निवेशकों ने सतर्कता बरती। इस कारण से भारतीय बाजार लाल निशान पर बंद हुआ। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) का सेंसेक्स 511.02 अंकों की गिरावट के साथ 81,896.79 पर बंद हुआ, जबकि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) का निफ्टी 0.56% गिरकर 24,971.90 पर क्लोज हुआ।
किन शेयरों में दिखी मजबूती, कौन रहे लूजर
सोमवार को मिले-जुले रुझान देखने को मिले। जहां कुछ चुनिंदा शेयरों में मजबूती रही, वहीं बड़े आईटी और ऑटो स्टॉक्स में गिरावट दर्ज की गई।
सोमवार के कारोबारी सत्र में एनएसई पर कुछ कंपनियों के शेयरों में तेज़ी देखने को मिली और ये टॉप गेनर्स की सूची में शामिल रहीं। इनमें ट्रेंट, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स, हिंडाल्को इंडस्ट्रीज, अडाणी एंटरप्राइजेज और अडाणी पोर्ट्स के शेयरों में अच्छी बढ़त दर्ज की गई। इन कंपनियों में निवेशकों का विश्वास बना रहा और इनकी मांग में इजाफा देखने को मिला।
वहीं दूसरी ओर, कुछ बड़ी कंपनियों के शेयरों में गिरावट देखने को मिली और वे टॉप लूजर्स की सूची में शामिल रहीं। इनमें इंफोसिस, एलएंडटी, हीरो मोटोकॉर्प, महिंद्रा एंड महिंद्रा (M&M) और एचसीएल टेक्नोलॉजीज के शेयर प्रमुख रूप से शामिल रहे। खासकर आईटी और ऑटो सेक्टर से जुड़ी इन कंपनियों पर बाजार के दबाव का असर साफ तौर पर दिखा।
सेक्टोरल परफॉर्मेंस: आईटी और बैंकिंग शेयरों पर दबाव
सेक्टोरल स्तर पर देखा जाए तो, आईटी, एफएमसीजी, ऑटो, और बैंकिंग सेक्टर में 0.5% से 1% तक की गिरावट रही। इसके पीछे मुख्य वजह अमेरिकी आईटी कंपनी एक्सेंचर की बिकवाली और कमजोर ग्लोबल संकेत माने जा रहे हैं।
वहीं, मीडिया, मेटल, और कैपिटल गुड्स सेक्टर में मजबूती दिखी और इनमें 0.5% से 3.5% तक की तेजी दर्ज की गई।
मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स हरे निशान में:
—बीएसई मिडकैप इंडेक्स 0.2% चढ़ा
—स्मॉलकैप इंडेक्स 0.6% की बढ़त के साथ बंद हुआ
रुपया भी गिरा, डॉलर के मुकाबले 86.75 पर बंद
भारतीय मुद्रा भी कमजोर हुई। सोमवार को रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 16 पैसे फिसलकर 86.75 पर बंद हुआ। शुक्रवार को रुपया 86.59 पर बंद हुआ था। डॉलर की मजबूती और कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों का दबाव इसमें प्रमुख वजह रहा।
बाजार में गिरावट की प्रमुख वजहें क्या रहीं?
ईरान-अमेरिका टकराव:अमेरिकी सैन्य कार्रवाई के बाद कच्चे तेल की कीमतों में तेज उछाल आया, जिससे निवेशकों की चिंता बढ़ गई।
एक्सेंचर की बिकवाली:एक्सेंचर के शेयरों में भारी गिरावट के बाद आईटी सेक्टर में दबाव देखा गया, जिससे भारतीय आईटी कंपनियों के शेयर भी प्रभावित हुए।
मुद्रास्फीति और ब्याज दरें:तेल की बढ़ती कीमतें वैश्विक मुद्रास्फीति को बढ़ा सकती हैं, जिससे अमेरिकी फेडरल रिजर्व ब्याज दरों में कटौती को टाल सकता है। इससे ग्लोबल मार्केट में दबाव बढ़ा।
वैश्विक बिकवाली का असर:एशियाई और यूरोपीय बाजारों में भी बिकवाली देखी गई, जिसका असर भारतीय बाजार पर भी पड़ा।
कैसी रही बाजार की ओपनिंग?
सप्ताह की शुरुआत ही भारी दबाव में हुई। सेंसेक्स ने दिन की शुरुआत 704 अंकों की गिरावट के साथ 81,704.07 पर की। वहीं निफ्टी 0.69% की गिरावट के साथ 24,939.75 पर खुला। शुरुआती कारोबार से ही बाजार में लाल निशान छाया रहा और दिनभर यही ट्रेंड जारी रहा।
आगे क्या रहेगा बाजार का रुख?
विश्लेषकों का मानना है कि बाजार की दिशा फिलहाल वैश्विक घटनाक्रम, खासकर ईरान और अमेरिका के बीच चल रहे तनाव, कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव और विदेशी निवेशकों के रुख पर निर्भर करेगी। इसके अलावा, आईटी कंपनियों की अगली तिमाही के अनुमान और अमेरिकी फेड की अगली नीति बैठक भी अहम रहेंगी।
शेयर बाजार सोमवार को भू-राजनीतिक तनावों और वैश्विक दबावों के चलते गिरावट के साथ बंद हुआ। हालांकि मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में निवेशकों ने रुचि दिखाई। आने वाले दिनों में बाजार की दिशा काफी हद तक अंतरराष्ट्रीय परिस्थितियों और घरेलू आर्थिक संकेतकों पर निर्भर करेगी। निवेशकों को सतर्कता बरतने और लंबी अवधि की रणनीति पर ध्यान देने की सलाह दी जा रही है।