
बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण को लेकर राजनीतिक घमासान लगातार बढ़ता जा रहा है। विजय सिन्हा और मुजफ्फरपुर की मेयर के नाम पर दो-दो वोटर आईडी कार्ड मिलने के बाद अब मामला और तूल पकड़ गया है। इस बार नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने एनडीए की वैशाली से सांसद वीणा देवी पर भी दो अलग-अलग वोटर आईडी रखने का आरोप जड़ दिया है।
देर रात पेश किए सबूत
बुधवार की रात तेजस्वी यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म ‘एक्स’ पर एक पोस्ट करते हुए दावा किया कि वीणा देवी के नाम दो अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों में वोट दर्ज हैं। उन्होंने कहा कि सांसद के पास EPIC ID- UTO1134543 और EPIC ID- GSB1037894 नाम से दो कार्ड मौजूद हैं। तेजस्वी ने इस दावे के समर्थन में दो तस्वीरें भी साझा कीं।
तेजस्वी यादव के अनुसार, दोनों वोटर आईडी कार्ड में सांसद की उम्र अलग-अलग दर्ज है। इसके अलावा, मतदाता सूची पुनरीक्षण के दौरान उन्होंने दो अलग-अलग गणना फॉर्म भरे और दोनों पर हस्ताक्षर किए। तेजस्वी ने सवाल किया कि इन अलग-अलग फॉर्मों पर चुनाव आयोग के दस्तख़त कैसे हुए और क्या यह प्रमाण नहीं है कि सांसद ने खुद इस प्रक्रिया में हिस्सा लिया।
अगर लालू जी BJP से हाथ मिला लेते तो वो आज हिंदुस्तान के राजा हरीशचंद्र होते।तथाकथित चारा घोटाला दो मिनट में भाईचारा घोटाला हो जाता अगर लालू जी का DNA बदल जाता।
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) December 26, 2017
चुनाव आयोग और सत्ता पक्ष पर गंभीर आरोप
तेजस्वी यादव ने आरोप लगाते हुए कहा, "नई ड्राफ्ट मतदाता सूची में दो EPIC कार्ड, दो अलग विधानसभा क्षेत्र और दो अलग-अलग उम्र के साथ वोट दर्ज होना, चुनाव आयोग की मिलीभगत और सत्ता पक्ष के हित में की गई धांधली का सबूत है। क्या यह चुनाव आयोग अब बीजेपी-एनडीए के लिए चुनाव जिताने का औजार बन चुका है?"
उन्होंने व्यंग्य करते हुए जोड़ा कि आयोग को सांसद के खिलाफ दो अलग-अलग नोटिस जारी करने चाहिए, क्योंकि दोनों वोट अलग-अलग जगह दर्ज हैं। तेजस्वी ने इस घटना को "फर्जीवाड़ा, हेराफेरी और खुलेआम मिलीभगत" बताया।
विवाद बढ़ने की आशंका
इस खुलासे के बाद बिहार की राजनीति में एक बार फिर से हलचल तेज हो गई है। विपक्ष जहां इसे लोकतांत्रिक प्रक्रिया के साथ खिलवाड़ बता रहा है, वहीं सत्ता पक्ष से इस मामले पर प्रतिक्रिया का इंतजार है। चुनाव आयोग की ओर से भी अब तक इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
तेजस्वी का यह नया आरोप निश्चित तौर पर बिहार में आने वाले चुनावी माहौल को और गर्मा सकता है। अब निगाहें इस पर हैं कि चुनाव आयोग इस मामले पर क्या कदम उठाता है और सत्ता पक्ष किस तरह की सफाई देता है।














