भारत के युवा सलामी बल्लेबाज़ यशस्वी जायसवाल ने लीड्स टेस्ट के पहले दिन इंग्लैंड के खिलाफ अपने पांचवें टेस्ट शतक के बाद अपनी सफलता का सूत्र साझा किया। उन्होंने कहा कि उनका मंत्र सिर्फ खुद को बनाए रखना और खेल को जटिल न बनाकर सरलता से खेलना था। जायसवाल ने 159 गेंदों में 101 रन बनाते हुए भारत को मजबूत शुरुआत दिलाई।
ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड में पहली पारी में शतक लगाने वाले पहले विदेशी बल्लेबाज़
जायसवाल ने इस पारी के साथ इतिहास रच दिया। वह पहले विदेशी बल्लेबाज़ बने जिन्होंने ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड दोनों में डेब्यू पारी में शतक लगाया हो। साथ ही, वह इंग्लैंड में डेब्यू पारी में शतक लगाने वाले पांचवें भारतीय बल्लेबाज़ भी बन गए हैं। यह पारी भारत के लिए उस समय महत्वपूर्ण रही जब टीम ने दिन का खेल 359/3 के स्कोर पर समाप्त किया।
अभ्यास में नहीं डाला कोई झोल, सरलता रही लक्ष्य
स्काई स्पोर्ट्स से बातचीत में जायसवाल ने बताया, "मैं हमेशा खुद को बनाए रखने की कोशिश करता हूं, मैदान पर जाकर खेल का आनंद लेता हूं और अच्छी तैयारी करता हूं। यही मैं हर बार करता हूं।"
उन्होंने कहा कि उन्होंने और टीम ने कुछ हफ्तों पहले जो अभ्यास सत्र किए थे, उनमें एक ही लक्ष्य था – खेल को जितना हो सके, सरल बनाए रखना। "अगर कोई ढीली गेंद मिलती है, तो मैं हमेशा मानता हूं कि उस पर आक्रमण करना चाहिए और मुझे यह करने में मज़ा आता है," जायसवाल ने कहा।
ये शतक मेरे लिए बहुत खास है – यशस्वी
जायसवाल के लिए यह शतक सिर्फ आंकड़ों का खेल नहीं था, बल्कि उनके मेहनत का फल भी था। उन्होंने कहा, “यह मेरे लिए बहुत खास था, इसका बहुत मतलब है। मैं बस मैदान पर उतरकर अपनी टीम, अपने देश और खुद के लिए कुछ करना चाहता था, खासकर उस मेहनत के बाद जो मैंने दौरे से पहले की थी। मुझे इस पारी का हर पल बहुत पसंद आया।”
तीन देशों में पहली पारी में शतक का अनोखा रिकॉर्ड
इस पारी के साथ जायसवाल ने एक और खास उपलब्धि हासिल की — वह तीन देशों (भारत, ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड) में अपनी पहली टेस्ट पारी में शतक लगाने वाले गिने-चुने खिलाड़ियों में शामिल हो गए हैं। इससे उनका आत्मविश्वास और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में उनकी पहचान और मजबूत हुई है।
आत्मविश्वास, सादगी और तैयारी की मिसाल
यशस्वी जायसवाल की यह पारी न केवल तकनीकी रूप से उम्दा थी, बल्कि मानसिक तौर पर भी एक परिपक्व बल्लेबाज़ की झलक देती है। उन्होंने दिखाया कि कैसे सादगी और आत्मविश्वास के साथ खेलकर कोई भी बल्लेबाज़ दबाव के पलों को अपने पक्ष में मोड़ सकता है। यह शतक न केवल स्कोरबोर्ड में चमका, बल्कि यह भारतीय क्रिकेट के भविष्य की भी एक चमकती तस्वीर बन गया।