उत्तराखंड के जंगलों में आग रोकने के मामले पर बोली सुप्रीम कोर्ट, हम बारिश या क्लाउड सीडिंग के भरोसे नहीं रह सकते

By: Shilpa Wed, 08 May 2024 5:49:36

उत्तराखंड के जंगलों में आग रोकने के मामले पर बोली सुप्रीम कोर्ट, हम बारिश या क्लाउड सीडिंग के भरोसे नहीं रह सकते

नई दिल्ली। उत्तराखंड के जंगलों में आग के मामले को लेकर जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ में सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता के वकील ने आग लगने की बढ़ती घटनाओं पर चिंता जताते हुए इन पर शीघ्र लगाम लगाने के लिए सरकार को आदेश देने को गुहार लगाई। उसने कहा कि इस तरह की घटनाओं को लेकर उन्होंने 2 साल पहले भी एनजीटी में याचिका लगाई थी। अब तक सरकार ने उस पर कोई कार्रवाई नहीं की, इसलिए मुझे यहां आना पड़ा। याचिका दायर करने वाले ने कहा कि जंगलों में आग लगने का मामला पूरे भारत में है, उत्तराखंड इससे अधिक पीड़ित है।

उत्तराखंड के जंगलों में आग को रोकने के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम बारिश या क्लाउड सीडिंग के भरोसे हाथ पर हाथ धरे बैठे नहीं रह सकते। सरकार को कारगर रूप से कुछ करना होगा।

इस मामले की अगली सुनवाई अगले गुरुवार 16 मई को होगी। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार से कहा कि आपने देखा होगा कि मीडिया मे जंगलों में आग की कैसी भयावह तस्वीरें आ रही हैं। इस मामले में राज्य सरकार क्या कर रही है?

वहीं उत्तराखंड सरकार ने राज्य में जंगल की भीषण आग पर काबू पाने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में सुप्रीम कोर्ट को बुधवार को जानकारी दी। राज्य सरकार ने कहा कि आग की घटना के कारण राज्य का केवल 0.1 प्रतिशत वन्यजीव क्षेत्र प्रभावित हुआ है। राज्य सरकार ने न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ को बताया कि पिछले साल नवंबर से राज्य में जंगल में आग लगने की 398 घटनाएं हुई हैं और वे सभी इंसानों के कारण लगी हैं।

सरकार ने कहा कि अब तक जंगलों में आग की 398 घटनाएं रजिस्टर की गई हैं। 350 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज किए गए हैं जिनमें 62 लोगों को नामजद किया गया है। 298 अज्ञात लोगों की पहचान की कोशिश जारी है। कुछ लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में भी लिया गया है।


याचिकाकर्ता ने कहा कि सरकार जितने आराम से ब्योरा दे रही है हालात उससे ज्यादा गंभीर हैं। जंगल में रहने वाले जानवर, पक्षी और वनस्पति के साथ आसपास रहने वाले निवासियों के अस्तित्व को भी भीषण खतरा है। जस्टिस गवई ने कहा कि क्या हम इसमें सीईसी यानी सेंट्रल एंपावर्ड कमिटी को भी शामिल कर सकते हैं?

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार से कहा कि आपने देखा होगा कि मीडिया में जंगलों में आग की कैसी भयावह तस्वीरें आ रही हैं. राज्य सरकार क्या कर रही है? उत्तराखंड के जंगलों में आग को लेकर जस्टिस संदीप मेहता ने कहा कि हम बारिश और क्लाउड सीडिंग के भरोसे बैठे नहीं रह सकते। सरकार को आगे बढ़कर शीघ्र ही कारगर उपाय करने होंगे।

उत्तराखंड सरकार ने कहा कि अभी दो महीने आग का सीजन रहता है। हर चार साल में जंगल की आग का भीषण दौर आता है। इसके बाद अगले साल कम फिर और कम घटनाएं होती जाती हैं। चौथे साल ये फिर काफी ज्यादा होती हैं।

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