राज्यपाल के विधेयकों को लंबित रखने के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्यों को नोटिस जारी किया

By: Shilpa Fri, 26 July 2024 3:01:34

राज्यपाल के विधेयकों को लंबित रखने के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्यों को नोटिस जारी किया

नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को केंद्र और संबंधित राज्यपालों के अतिरिक्त मुख्य सचिव को नोटिस जारी किया तथा उनसे तीन सप्ताह के भीतर विस्तृत जवाब दाखिल करने को कहा। केरल और पश्चिम बंगाल सरकारों द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के बाद न्यायालय ने यह आदेश दिया। इन याचिकाओं में राज्यपालों के कई विधेयकों को महीनों तक लंबित रखने, या तो उन्हें मंजूरी देने से इनकार करने या राष्ट्रपति के विचार के लिए सुरक्षित रखने के फैसले को चुनौती दी गई है।

मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की अध्यक्षता वाली शीर्ष अदालत की तीन न्यायाधीशों की पीठ ने केंद्र, केरल और पश्चिम बंगाल के राज्यपालों को उनके संबंधित कार्यालयों, अतिरिक्त मुख्य सचिवों के माध्यम से तीन सप्ताह के भीतर नोटिस जारी किया।

सीजेआई ने कहा, "तीन सप्ताह में जवाब दाखिल किया जाए और राज्यों की ओर से एक संयुक्त नोट भी प्रस्तुत किया जाए।"

सुनवाई के दौरान केरल राज्य की ओर से पेश पूर्व अटॉर्नी जनरल (एजी) और वरिष्ठ वकील केके वेणुगोपाल ने सर्वोच्च न्यायालय से अनुरोध किया कि न्यायालय को इस मुद्दे पर दिशा-निर्देश निर्धारित करने की आवश्यकता है कि राज्यपाल कब विधेयक लौटा सकते हैं या संदर्भित कर सकते हैं।

वरिष्ठ वकील ने सर्वोच्च न्यायालय से कहा, "देश के विभिन्न राज्यपालों के मन में यह भ्रम है कि विधेयकों को मंजूरी देने के संबंध में उनकी शक्तियां क्या हैं। वर्तमान (केरल) मामले में, आठ विधेयकों में से दो को 23 महीने, एक को 15 महीने, दूसरे को 13 महीने तथा अन्य को 10 महीने तक लंबित रखा गया। यह बहुत दुखद स्थिति है। राज्यपालों के बीच यह भ्रम है कि वे विधेयकों को लंबित रखते हैं। यह संविधान के विरुद्ध है।"

वेणुगोपाल ने आगे कहा कि इस अदालत को राज्यपाल को यह बताना चाहिए कि वे कब मंजूरी देने से इनकार कर सकते हैं और कब राष्ट्रपति को संदर्भित कर सकते हैं।

पश्चिम बंगाल सरकार के लिए, वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि हर बार जब अदालत सुनवाई करती है तो कुछ विधेयकों को मंजूरी दे दी जाती है और तमिलनाडु मामले के दौरान भी ऐसा ही हुआ।

संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत शीर्ष अदालत में दायर अपनी याचिका में केरल सरकार ने केरल के राज्यपाल द्वारा भेजे गए सात विधेयकों में से चार पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी रोकने की कार्रवाई और पुनर्विचार को चुनौती दी है।

केरल सरकार ने राज्यपाल द्वारा विधेयकों को राष्ट्रपति के पास भेजने की कार्रवाई को भी चुनौती दी है, जिसमें तर्क दिया गया है कि केंद्र-राज्य संबंधों से संबंधित किसी भी विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी की आवश्यकता नहीं है।

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